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MP News: ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक को हाईकोर्ट से राहत, मानहानि केस में जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Mon, 17 Nov 2025 07:49 PM IST
सार
ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी को मानहानि मामले में राहत मिली है। मप्र हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट, भोपाल द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। मामला 2020 में आकाश विजयवर्गीय को “गुंडा” कहने से जुड़ा है। याचिका पर अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
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टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी
- फोटो : X- @abhishekaitc
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विस्तार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने उनके खिलाफ मानहानि के प्रकरण में एमपी-एमएलए कोर्ट भोपाल द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। एकलपीठ ने अनावेदक को नोटिस जारी करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 8 दिसम्बर निर्धारित की है।
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गौरतलब है कि नवंबर 2020 में कोलकाता में आयोजित एक सभा में अभिषेक ने भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को गुंडा कहा था। इसके कारण आकाश विजयवर्गीय ने 2021 में मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इसकी सुनवाई एक मई 2021 से सुनवाई भोपाल की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है। पेशी पर लगातार उपस्थित नहीं होने के कारण एमपी-एमएलए कोर्ट ने अभिषेक के विरुद्ध 11 अगस्त और 26 अगस्त 2025 की तारीखों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अभिषेक बनर्जी ने इस गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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याचिका के साथ एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट को निरस्त किए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि वह वर्तमान में सासंद है और उनके फरार होने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने एमपी-एमएलए को कोर्ट ने व्यक्तिगत उपस्थित से राहत प्रदान करने आवेदन प्रस्तुत किया गया था। एमपी-एमएलए कोर्ट ने आवेदन पर विचार नहीं करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
कानूनी प्रावधानों के तहत आवेदन पर विचार किया जाना चाहिए था। इसके बाद गैर जमानती वारंट जारी किया जाना था। वे वीसी के माध्यम से एमपी-एमएलए कोर्ट के समक्ष उपस्थित हो सकते हैं। एकलपीठ ने गत 12 नवंबर को आवेदन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए थे। एकलपीठ ने अपने फैसले में उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे तथा मनन अग्रवाल ने पैरवी की।