MP: 'जब न्याय देने वाले ही असुरक्षित हों, तो न्याय प्रणाली कैसे बचेगी?', हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों पर बढ़ते हमले और चोरी की घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत दिशा-निर्देश पेश करने को कहा और अगली सुनवाई 4 दिसंबर तय की है।
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प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों पर बढ़ते हमले और चोरी की घटनाओं को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अत्यंत गंभीरता से लेते हुए कड़ी टिप्पणी की है। अनूपपुर जिले में जमानत याचिका खारिज करने पर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अमनदीप सिंह छाबड़ा के सरकारी आवास पर हुए हमले तथा अन्य जिलों में जिला न्यायाधीशों के घरों में हुई चोरी की घटनाओं पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की युगलपीठ मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ ने स्पष्ट कहा कि जब न्यायाधीश ही सुरक्षित नहीं हैं, तो वे न्याय कैसे करेंगे?
सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता ने हाल ही में न्यायिक अधिकारियों के साथ हुई घटनाओं की जानकारी अदालत को दी और बताया कि पुलिस अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। वहीं, उप महाधिवक्ता ने सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा। युगलपीठ ने प्रस्तुत जानकारी को रिकॉर्ड में शामिल करते हुए अगली सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की है।
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गौरतलब है कि 23 जुलाई 2016 को मंदसौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल मनोहर ममतानी ने की थी और रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत की थी। इसके बाद अदालत ने इस मुद्दे को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिए स्वीकार किया था।
हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई के दौरान पूरे प्रदेश में न्यायाधीशों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे, जिसमें कोर्ट परिसरों के चारों तरफ ऊंची बाउंड्री वॉल का निर्माण, पुलिस चौकियों की स्थापना और न्यायाधीशों के आवासीय परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में एक बार फिर न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए युगलपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश प्राप्त कर अदालत के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं।