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MP News: प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का फंसा पेंच, कोर्ट ने कहा- हमारे अंतिम फैसले के अधीन होंगी भर्तियां

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Tue, 17 Jan 2023 12:20 PM IST
सार

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने डीएलएड छात्रों की ओर से दायर मामलों की सुनवाई करते हुए समस्त प्राथमिक शिक्षकों की भर्तियां याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखने के निर्देश दिए हैं। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव से जवाब मांगा है।

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MP News High Court said Primary Teacher Recruitment will be subject to our final decision
एमपी हाई कोर्ट - फोटो : Social Media
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विस्तार
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मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी से जुड़ी एक और परीक्षा कानूनी दांव-पेंच में उलझ गई है। हाई कोर्ट ने साल 2018 में हुई प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के तहत होने वाली नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है।

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चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में प्रमुख सचिव मानव संसाधन विभाग, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन, पीएस स्कूल शिक्षा विभाग, आयुक्त लोक संचनालय, कमिश्नर आदिवासी विकास विभाग और चेयरमैन प्रोफेशन एग्जाम बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई तीन मार्च को निर्धारित की है।
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यह मामला डीएलएड छात्र सतना निवासी विपिन और नीलेश कुमार की ओर से दायर किया गया है, जिसमें एनसीईटी की अधिसूचना 26 अगस्त 2018 तथा मध्यप्रदेश राज्य के शिक्षक भर्ती नियम 2018 सहित रिजल्ट को चुनौती दी गई है। आवेदकों की ओर से कहा गया, प्राथमिक शिक्षकों की काउंसलिंग में डीपीआई की ओर से बीएड डिग्री धारियों को भी मौका दिया जा रहा है, जबकि अभ्यर्थियों की ओर से एनसीईटी की ओर से निर्धारित छह महीने का ब्रिज कोर्स नहीं किया गया है। न ही आज तक ब्रिज कोर्स का सिलेबस एनसीईटी की ओर से निर्धारित किया गया।

यदि अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाती है तो छह से 14 साल के छात्रों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। जो संविधान के अनुच्छेद 21-ए का उल्लंघन सहित शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि डीएलएड डिग्री धारियों को छोटे बच्चों को अध्यापन कार्य कराने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। जबकि बीएड डिग्री धारियों को उच्च कक्षा में अध्यापन कार्य का प्रशिक्षण दिया जाता है। सभी तर्कों के समर्थन में आवेदकों की ओर से राजस्थान, नई दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया गया।

इसमें कहा गया है कि राजस्थान में बीएड डिग्री धारियों की प्राथमिक शिक्षकों के रूप में की गई नियुक्तियों को हाई कोर्ट की ओर से निरस्त किया गया है। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्राथमिक शिक्षकों की भर्तियां याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखने के निर्देश देते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह और अंजनी कोरी ने पक्ष रखा।

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