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देख लो सरकार: बालाघाट में ये कैसी व्यवस्था, एंबुलेंस तक पहुंचाने प्रसूता को तीन किमी कुर्सी पर बैठाकर ले गए
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, बालाघाट
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Wed, 02 Oct 2024 08:24 PM IST
सार
जिला अस्पताल की डॉक्टर गीता बोकडे का कहना है कि प्रसूता को गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था। महिला के नाक और मुंह से खून निकल रहा था, जिस पर त्वरित उपचार देने से उसकी स्थिति में सुधार हुआ है।
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प्रसूता को ले जाते हुए
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जिला मुख्यालय बालाघाट से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए प्रसूता को लगभग तीन किलोमीटर प्लॉस्टिक की कुर्सी में बैठाकर लाया गया। इसके बाद प्रसूता को एंबुलेंस में बैठकर जिला अस्पताल भिजवाया गया। उपचार के बाद महिला की स्थिति में सुधार है।
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ग्राम पंचायत टेकरी के अंतर्गत ग्राम गांगुलपारा निवासी प्रसूता निर्मला उइके पति ईश्वर उइके की सोमवार रात को अचानक तबीयत खराब हो गयी थी। उसके नाक और मुंह से खून बहने लगा था। महिला की उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को बुलाया गया। गांव तक सड़क नहीं होने के कारण प्रसूता को प्लॉस्टिक की कुर्सी में बैठाकर उसे तीन किलोमीटर तक लाया गया। इसके बाद उसके एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया गया।
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ग्राम गांगुलपारा में जनजाति आदिवासी वर्ग के 35 परिवार के लगभग 150 व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों और असुविधाओं के निवासरत हैं। आवागमन के लिए पक्की सड़क व नालों पर पुलिया का नहीं बनी हुई है, जिसके कारण बरसात के चार महीने गांव पूरी अन्य स्थानों से कट जाता है। ग्राम पंचायत की सरपंच रश्मि तारा कावरे का कहना है कि बरसात के दिनों में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं। गंभीर अवस्था में बीमार होने अथवा किसी प्रकार की आपात स्थिति होने पर कोई विकल्प उपलब्ध नहीं रहता।
जिला अस्पताल की डॉक्टर गीता बोकडे का कहना है कि प्रसूता को गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था। महिला के नाक और मुंह से खून निकल रहा था, जिस पर त्वरित उपचार देने से उसकी स्थिति में सुधार हुआ है। गर्भावस्था में कई बार खून के थक्के जम जाने से इस तरह की स्थिति निर्मित हो जाती है।

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