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MP News: रिवाइज रिजल्ट में चयनित अभ्यर्थियों की करवाएं विशेष परीक्षा, PSC 2019 मामले में दायर अपील खारिज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Thu, 26 Jan 2023 01:48 PM IST
सार
मध्यप्रदेश में पीएससी 2019 मामले में दायर अपील को जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। रिवाइज रिजल्ट में चयनित अभ्यर्थियों की विशेष परीक्षा करवाने के आदेश जारी किए।
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
- फोटो : Social Media
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विस्तार
पीएससी 2019 की दोबारा मुख्य परीक्षा करवाने को एकलपीठ ने अनुचित मानते हुए रिवाइज रिजल्ट में चयनित अभ्यार्थियों की विशेष परीक्षा करवाने के आदेश जारी किए थे। एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को उचित ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया है।
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याचिकाकर्ता दीपेन्द्र यादव, शैलवाला भार्गव और अन्य की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि पीएससी 2019 की परीक्षा में संशोधित नियम लागू किए थे, जिसके खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की युगलपीठ ने असंशोधित नियम 2015 का परिपालन सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट का आदेश आने के पूर्व पीएससी ने मुख्य परीक्षा का आयोजित करते हुए रिजल्ट जारी कर दिए थे, जिसके बाद पीएससी ने असंशोधित नियम के तहत रिवाइज रिजल्ट जारी करते हुए उसके अनुसार दोबारा मुख्य परीक्षा करवाने का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ मुख्य परीक्षा में चयनित 100 से अधिक अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था, जिन अभ्यर्थियों का मुख्य परीक्षा में चयन हो गया है और साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है। दोबारा परीक्षा उनके साथ अन्याय होगी। दोबारा मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है। पहले की तरह नवीन सूची के अनुसार चयनित अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा छह महीने में आयोजित की जाए। पूर्व की मुख्य परीक्षा तथा विशेष परीक्षा के परिमाण अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाए।
दायर अपील में कहा गया है कि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी करने में असंशेधित नियम 2015 का पालन नहीं किया गया है। एकलपीठ का आदेश युगलपीठ द्वारा पारित आदेश के असंगत है। अवैधानिक रिजल्ट के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों के पास कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद एकलपीठ के आदेश को उचित करार देते हुए अपील को खारिज कर दिया।