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Jabalpur News: प्रतिबद्धता और विचारों की स्पष्टता पर आधारित है वकालत का पेशा- जस्टिस जेके माहेश्वरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Sat, 15 Nov 2025 10:21 PM IST
सार

आईआईआईटीडीएम में आयोजित सम्मेलन में जस्टिस जेके माहेश्वरी ने वकालत में नैतिकता, तैयारी और बार-बेंच तालमेल को आवश्यक बताया। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस आलोक अराधे ने पेशेवर दक्षता, ईमानदारी और अध्ययन को न्याय व्यवस्था की मजबूती का आधार कहा। कार्यक्रम में कई वरिष्ठ न्यायाधीश उपस्थित रहे। 

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The legal profession is based on commitment and clarity of thought
शनिवार को आईआईआईटीडीएम सभागार में आयोजन हुआ।
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विस्तार
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वकालत का पेशा प्रतिबद्धताएं तैयारी, विचारों की स्पष्टता और कानून के शासन के प्रति सम्मान पर आधारित है। बार और बेंच, न्याय रथ के दो पहिए हैं, जिनके बीच तालमेल अपरिहार्य है, एक के बिना दूसरा अधूरा है। ये बात जस्टिस जेके माहेश्वरी ने शनिवार को आईआईआईटीडीएम सभागार में वकालत व व्यावसायिक दक्षता, उत्कृष्टता की खोज विषय पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही।

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कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस आलोक अराधे, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व आर्म फोर्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस राजेंद्र मेनन, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा, प्रशासनिक न्यायाधीश विवेक रूसिया के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव सहित अन्य उपस्थित थे।जस्टिस जेके महेश्वरी ने पेशेवर नैतिकता और क्षमता से जुड़े बढ़ते सवालों पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिवक्ता संघ से उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने प्रख्यात दार्शनिक लाओत्जु का हवाला देते हुए कहा कि हजार मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है और इस सम्मेलन के माध्यम से यह महत्वपूर्ण पहला कदम उठाने में मप्र राज्य न्यायिक अकादमी की पहल सराहनीय है।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि अधिवक्ताओं की पेशेवर तैयारी न्याय प्रदान करने को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। उन्होंने सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि यह वकालत कौशल को बढ़ाने और कानूनी पेशे को मजबूत करने के लिए एक सार्थक पहल है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आलोक अराधे ने अधिवक्ताओं को न्याय व्यवस्था का एक आधारभूत स्तंभ, अनुनय-विनय में पारंगत और परिशुद्धता में पारंगत बताया। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक दक्षता केवल एक तकनीकी आवश्यकता नहीं है, बल्कि ईमानदारी, अध्ययन और चिंतन पर आधारित एक आजीवन नैतिक और बौद्धिक प्रयास है।

आयोजन में प्रतिभागियों का स्वागत किया गया। प्रशासनिक न्यायाधीश विवेक रूसिया व महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने भी प्रेरित किया। मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष जस्टिस विवेक अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

 

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