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Jabalpur News: चार दशक तक सेवा उपरांत नियुक्ति को अवैध ठहराने का आदेश निरस्त, स्थाई समिति गठित करने पर जोर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Wed, 10 Dec 2025 09:13 AM IST
सार
मप्र हाईकोर्ट ने 38 साल बाद नियुक्ति को अवैध घोषित करने की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता के नियमितीकरण के लिए मुख्य सचिव के अधीन नीति व समिति बनाने के निर्देश दिए।
मप्र हाईकोर्ट ने 38 साल बाद नियुक्ति को अवैध घोषित करने की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता के नियमितीकरण के लिए मुख्य सचिव के अधीन नीति व समिति बनाने के निर्देश दिए।
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चार दषक तक सेवा उपरांत नियुक्ति को अवैध ठहराने का आदेश निरस्त
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विस्तार
मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने 38 वर्ष की सेवा के बाद नियुक्ति को अवैध ठहराने का आदेश को अनुचित करार देते हुए निरस्त कर दिया है। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के नियमितीकरण के लिए मुख्य सचिव के नियंत्रण में नीति व समिति बनाने निर्देश दिये हैं।
उद्यान विभाग जबलपुर में कार्यरत राकेश चौरसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह विभाग में विगत 38 वर्ष से दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत है। उसने नियमितिकरण की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए शासन को नियमितीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने हेतु आदेश जारी किये थे। शासन के द्वारा उसकी नियुक्ति को ही अवैध करार दे दिया गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से दिया गया ये तर्क
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि चार दशक तक सेवा लेने के दौरान उसकी नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया गया था। लंबे समय से किसी कर्मचारी से अनवरत सेवा लेने के बावजूद भी स्थाई कर्मचारी का लाभ नहीं दिया जाना अनुचित है। हाईकोर्ट ने पूर्व में अपने आदेश में मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि ऐसे कर्मचारी जो कि 10 वर्ष से अधिक सेवारत हैं और उनकी नियुक्ति अवैध या अनियमित है,तो ऐसे प्रकरणों में नियुक्तिकरण हेतु स्थाई समिति गठित की जानी चाहिए।
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के पक्ष में राहतकारी आदेश जारी करते हुए नियुक्ति को अवैध ठहराया जाने के आदेश को निरस्त करते हुए उक्त आदेष जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे ने पैरवी की।
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उद्यान विभाग जबलपुर में कार्यरत राकेश चौरसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह विभाग में विगत 38 वर्ष से दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत है। उसने नियमितिकरण की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए शासन को नियमितीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने हेतु आदेश जारी किये थे। शासन के द्वारा उसकी नियुक्ति को ही अवैध करार दे दिया गया।
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याचिकाकर्ता की तरफ से दिया गया ये तर्क
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि चार दशक तक सेवा लेने के दौरान उसकी नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया गया था। लंबे समय से किसी कर्मचारी से अनवरत सेवा लेने के बावजूद भी स्थाई कर्मचारी का लाभ नहीं दिया जाना अनुचित है। हाईकोर्ट ने पूर्व में अपने आदेश में मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि ऐसे कर्मचारी जो कि 10 वर्ष से अधिक सेवारत हैं और उनकी नियुक्ति अवैध या अनियमित है,तो ऐसे प्रकरणों में नियुक्तिकरण हेतु स्थाई समिति गठित की जानी चाहिए।
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के पक्ष में राहतकारी आदेश जारी करते हुए नियुक्ति को अवैध ठहराया जाने के आदेश को निरस्त करते हुए उक्त आदेष जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे ने पैरवी की।

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