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Jabalpur News: 'शादी के मामलों में पूरी तरह लागू नहीं होता इंडियन एविडेंस एक्ट', कोर्ट ने अपील को किया खारिज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Mon, 08 Dec 2025 09:18 PM IST
सार

जबलपुर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि वैवाहिक विवादों में इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65-बी का कड़ाई से पालन आवश्यक नहीं है। कोर्ट ने बिना 65-बी सर्टिफिकेट के फोटो को साक्ष्य मानकर कुटुम्ब न्यायालय द्वारा एडल्टरी के आधार पर दिए गए तलाक के आदेश को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।

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The Indian Evidence Act is not fully applicable in marriage cases
शादी के मामलों में पूरी तरह लागू नहीं होता इंडियन एविडेंस एक्ट
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विस्तार
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हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि शादी के मामले में भारतीय साक्ष्य अधिनियम पूरी तरह से लागू नहीं होता है। हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट और जस्टिस बीपी शर्मा की युगलपीठ ने 65-बी सर्टिफिकेट के बिना कुटुंब न्यायालय द्वारा तस्वीर को देखते हुए व्याभिचार (एडल्टरी) के आधार पर तलाक की डिक्री जारी करने में कोई गलती नहीं की है। युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ दायर अपील को खारिज कर दिया।

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बालाघाट निवासी महिला की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि उसका विवाह साल 2006 में अनावेदक के साथ हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हुआ था। अनावेदक पति ने तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में आवेदन दायर किया था। अनावेदक पति ने न्यायालय में उसकी एक अन्य व्यक्ति के साथ फोटो प्रस्तुत की थी। फोटो के साथ इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत प्रमाणिता के लिए 65-बी सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं किया गया था। कुटुंब न्यायालय ने इसके बावजूद व्याभिचार के आधार पर तलाक की डिक्री पारित करने के आदेश जारी किए हैं।
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अपीलकर्ता महिला की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि साक्ष्य अधिनियम, 1872 के सेक्शन 65-बी का पालन करना जरूरी है। अपीलकर्ता के मोबाइल में उक्त तस्वीर थी, जो गलती से अनावेदक पति के मोबाइल पर ट्रांसफर हो गई थी। इसके बाद पति ने उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया। एविडेंस एक्ट की धारा 65-बी के तहत बिना प्रमाणित सर्टिफिकेट कुटुंब
न्यायालय द्वारा पारित आदेश निरस्त करने योग्य है।

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इंडियन एविडेंस एक्ट शादी के मामलों में पूरी तरह लागू नहीं होता है। फैमिली कोर्ट्स एक्ट के सेक्शन 14 के मुताबिक कुटुंब न्यायालय को सच्चाई का पता लगाने के लिए सबूत के तौर पर कोई भी रिपोर्ट, बयान, डॉक्यूमेंट्स लेने का अधिकार दिया गया है। कुटुंब न्यायालय ने अपने फैसले में इन तस्वीरों पर भरोसा करके कोई गलती नहीं लगती। अपीलकर्ता ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि वह तस्वीरों में नहीं थी। सिर्फ यह कहा गया है कि तस्वीरें किसी ट्रिक का इस्तेमाल करके बनाई गई हैं।

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नकली तस्वीरें किसने और किस तरीके से बनाई हैं, इसका भी उल्लेख नहीं किया है। अपीलकर्ता ने अपने बयान में कहा था कि तस्वीरें उसके मोबाइल से पति के मोबाइल में ट्रांसफर की गईं, फिर पति ने उसका मोबाइल तोड़ दिया। पति के पास पत्नी के मोबाइल फोन पर उसके व्याभिचार के सबूत थे। कोई भी इंसान नहीं चाहेगा कि उसकी पत्नी अवैध संबंधों में रहे, इसलिए पति ने गुस्से में पत्नी का मोबाइल फोन तोड़ दिया, ताकि उसकी अपने पार्टनर से बातचीत बंद हो जाए। जिस फोटोग्राफर ने फोटो खींची थी उससे भी कोर्ट में पूछताछ की गई थी। युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ अपील को खारिज कर दिया।

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