कानूनी पच्चड़े में फंसे संजय पाठक: हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर तक मांगा जवाब, जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर ने लगाया आरोप
जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विधायक संजय पाठक पर फर्जी मामलों में फंसाने और खनन कारोबार में दबाव बनाने का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में संजय पाठक से 16 दिसंबर तक जवाब तलब किया है।
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मध्य प्रदेश के कटनी से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक एक नए विवाद में घिर गए हैं। जबलपुर हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान पाठक को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह मामला जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक की ओर से दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें रज्जाक ने गंभीर आरोप लगाते हुए विधायक संजय पाठक को राजनीतिक और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के चलते फर्जी मामलों में फंसाने का जिम्मेदार ठहराया है।
संजय पाठक को औपचारिक पक्षकार बनाने की अनुमति
अब्दुल रज्जाक की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि विधायक संजय पाठक ने अपने राजनीतिक प्रभाव और प्रशासनिक दबाव के ज़रिए पुलिस को निर्देश दिए, जिससे उसे बार-बार गिरफ्तार किया गया और खनन कारोबार से दूर रखने के लिए लगातार परेशान किया गया। कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए संजय पाठक को औपचारिक पक्षकार बनाने की अनुमति दी और नोटिस जारी किया है।
दरअसल, 29 अक्तूबर की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रज्जाक से पूछा था कि जिन नेताओं और खनन कारोबारियों पर वे आरोप लगा रहे हैं, उन्हें नामज़द पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया। इसके बाद रज्जाक के वकीलों अधिवक्ता मोहम्मद अली, शारिक अकील फारूकी और अमित रायजादा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत लगातार परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रज्जाक के खिलाफ दर्ज कई मामलों में अभी तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है और जैसे ही किसी एक केस में जमानत मिलती है, दूसरे में गिरफ्तार दिखा दिया जाता है।
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब रज्जाक अगस्त 2021 से जेल में बंद है तो इसी अवधि में उसके खिलाफ नए आपराधिक मामले कैसे दर्ज हो गए। इस पर प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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कानूनी हलकों में हलचल
वहीं, इस मामले से जुड़ा एक और विवाद उस वक्त उभर आया जब हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने एक अन्य याचिका की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए अपने आदेश में लिखा कि विधायक संजय पाठक ने उनसे खनन कंपनियों से जुड़े मामले पर निजी तौर पर चर्चा करने की कोशिश की थी। यह टिप्पणी 1 सितंबर के आदेश में दर्ज की गई थी, जिसने कानूनी हलकों में हलचल मचा दी है। इस पूरे प्रकरण की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की गई है, जिसे लेकर अब राजनीतिक और न्यायिक दोनों ही गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है।