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Mandla News: बांधवगढ़ लौटाया गया कान्हा में रह रहा जंगली हाथी, हाईकोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मंडला
Published by: मंडला ब्यूरो
Updated Tue, 09 Sep 2025 05:39 PM IST
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सार
MP News Today: बांधवगढ़ लौटाया गया कान्हा में रह रहा जंगली हाथी, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट और अदालत के आदेश के बाद आखिरकार उसे उसके प्राकृतिक आवास में वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी हुई। जानें क्या है पूरा मामलाछ

बांधवगढ़ लौटाया गया कान्हा में रह रहा जंगली हाथी, हाईकोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
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विस्तार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर कान्हा टाइगर रिजर्व में रह रहे जंगली हाथी को मंगलवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजा गया। यह हाथी पिछले डेढ़ साल से निगरानी में था और वेटनरी केयर फैसिलिटी में उसका इलाज और व्यवहार परीक्षण किया जा रहा था। विशेषज्ञों की रिपोर्ट और अदालत के आदेश के बाद आखिरकार उसे उसके प्राकृतिक आवास में वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी हुई।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
फरवरी 2024 में बांधवगढ़ और अनूपपुर के जंगलों में दो जंगली हाथियों ने ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर तीन लोगों की जान ले ली थी। इस घटना के बाद वन विभाग ने दोनों हाथियों को पकड़ लिया। इनमें से एक हाथी को बांधवगढ़ में रखा गया, जबकि घायल हाथी को इलाज और देखरेख के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व की वेटनरी केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया।
हाथियों के व्यवहार को समझने और उनके भविष्य पर निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई। समिति ने लंबी जांच और निगरानी के बाद बांधवगढ़ में रखे गए हाथी को नवंबर 2024 में जंगल में छोड़ने की अनुशंसा की, जिसके बाद उसे सफलतापूर्वक प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया।
समिति और हाईकोर्ट की भूमिका
कान्हा में रह रहे घायल हाथी की देखरेख लगातार की जाती रही। एलिफेंट एडवाइजरी कमेटी ने नियमित जांच के बाद उसे पूरी तरह स्वस्थ बताया। इसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया कि हाथी को जंगल में छोड़ दिया जाए। अदालत ने साफ किया कि जंगली प्राणी को लंबे समय तक कैद में रखना उसके स्वाभाविक व्यवहार के लिए उचित नहीं है।
कान्हा से बांधवगढ़ तक की यात्रा
हाईकोर्ट के आदेश और समिति की सिफारिश के बाद मंगलवार को कान्हा की विशेष टीम ने इस हाथी को बांधवगढ़ रवाना किया। ट्रांसपोर्ट की प्रक्रिया बेहद सावधानी से की गई। तीन प्रशिक्षित हाथियों की मदद से उसे विशेष वाहन में लोड किया गया। इस दौरान वेटनरी डॉक्टर और वरिष्ठ वन अधिकारी मौजूद रहे। हाथी को रवाना करने से पहले उसका पूरा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। उसे रेडियो कॉलर भी पहनाया गया ताकि उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके। कान्हा से बांधवगढ़ के मार्ग का पहले ही सर्वे कर लिया गया था ताकि सफर के दौरान किसी भी तरह की बाधा न आए। हाथी के वाहन के आगे पायलट वाहन चल रहा है, जबकि वनकर्मी रास्ते में बिजली के तार और अन्य संभावित अवरोधों को हटाने का इंतजाम कर रहे हैं।
बांधवगढ़ में प्राकृतिक आवास मिलेगा
बांधवगढ़ पहुंचने के बाद इस हाथी को जंगल के प्राकृतिक क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। वहां पहले से मौजूद हाथियों के बीच उसे धीरे-धीरे शामिल किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया के दौरान वेटनरी डॉक्टरों और तकनीकी अधिकारियों की टीम लगातार निगरानी करेगी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ने से उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आएगा और वह सामान्य जीवन जी सकेगा।
ये भी पढ़ें- भारत के सभी पड़ोसी देशों में अस्थिरता की आग: कहीं सेना का शासन, कहीं साल भर से चुनाव नहीं; अब नेपाल में अशांति
मानव-वन्यजीव टकराव पर सीख
यह पूरी प्रक्रिया इस बात की ओर इशारा करती है कि मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव की स्थिति को समझना और संभालना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में वैज्ञानिक अध्ययन और न्यायिक हस्तक्षेप दोनों मिलकर ही संतुलित समाधान दे सकते हैं। हाथी को कान्हा से बांधवगढ़ रवाना करना न सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में सुरक्षित रखना ही दीर्घकालिक समाधान है।
ये भी पढ़ें- MP News: एमपी में कब खत्म होगा खाद का संकट? मैहर में दिखा किसानों का आक्रोश, SDM कार्यालय में तोड़फोड़

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घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
फरवरी 2024 में बांधवगढ़ और अनूपपुर के जंगलों में दो जंगली हाथियों ने ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर तीन लोगों की जान ले ली थी। इस घटना के बाद वन विभाग ने दोनों हाथियों को पकड़ लिया। इनमें से एक हाथी को बांधवगढ़ में रखा गया, जबकि घायल हाथी को इलाज और देखरेख के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व की वेटनरी केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया।
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हाथियों के व्यवहार को समझने और उनके भविष्य पर निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई। समिति ने लंबी जांच और निगरानी के बाद बांधवगढ़ में रखे गए हाथी को नवंबर 2024 में जंगल में छोड़ने की अनुशंसा की, जिसके बाद उसे सफलतापूर्वक प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया।
समिति और हाईकोर्ट की भूमिका
कान्हा में रह रहे घायल हाथी की देखरेख लगातार की जाती रही। एलिफेंट एडवाइजरी कमेटी ने नियमित जांच के बाद उसे पूरी तरह स्वस्थ बताया। इसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया कि हाथी को जंगल में छोड़ दिया जाए। अदालत ने साफ किया कि जंगली प्राणी को लंबे समय तक कैद में रखना उसके स्वाभाविक व्यवहार के लिए उचित नहीं है।
कान्हा से बांधवगढ़ तक की यात्रा
हाईकोर्ट के आदेश और समिति की सिफारिश के बाद मंगलवार को कान्हा की विशेष टीम ने इस हाथी को बांधवगढ़ रवाना किया। ट्रांसपोर्ट की प्रक्रिया बेहद सावधानी से की गई। तीन प्रशिक्षित हाथियों की मदद से उसे विशेष वाहन में लोड किया गया। इस दौरान वेटनरी डॉक्टर और वरिष्ठ वन अधिकारी मौजूद रहे। हाथी को रवाना करने से पहले उसका पूरा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। उसे रेडियो कॉलर भी पहनाया गया ताकि उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके। कान्हा से बांधवगढ़ के मार्ग का पहले ही सर्वे कर लिया गया था ताकि सफर के दौरान किसी भी तरह की बाधा न आए। हाथी के वाहन के आगे पायलट वाहन चल रहा है, जबकि वनकर्मी रास्ते में बिजली के तार और अन्य संभावित अवरोधों को हटाने का इंतजाम कर रहे हैं।
बांधवगढ़ में प्राकृतिक आवास मिलेगा
बांधवगढ़ पहुंचने के बाद इस हाथी को जंगल के प्राकृतिक क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। वहां पहले से मौजूद हाथियों के बीच उसे धीरे-धीरे शामिल किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया के दौरान वेटनरी डॉक्टरों और तकनीकी अधिकारियों की टीम लगातार निगरानी करेगी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ने से उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आएगा और वह सामान्य जीवन जी सकेगा।
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मानव-वन्यजीव टकराव पर सीख
यह पूरी प्रक्रिया इस बात की ओर इशारा करती है कि मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव की स्थिति को समझना और संभालना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में वैज्ञानिक अध्ययन और न्यायिक हस्तक्षेप दोनों मिलकर ही संतुलित समाधान दे सकते हैं। हाथी को कान्हा से बांधवगढ़ रवाना करना न सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में सुरक्षित रखना ही दीर्घकालिक समाधान है।
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