सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Morena News ›   Morena News For first time Chambal river water will be tested

Morena News: पहली बार चंबल नदी के पानी की होगी जांच, क्या खूबियां और क्या कमियां, इसका लगाएंगे पता

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, मुरैना Published by: अरविंद कुमार Updated Sat, 01 Jun 2024 08:37 PM IST
विज्ञापन
सार

पहली बार चंबल नदी के पानी की जांच की जाएगी। चंबल के पानी में क्या खूबियां और क्या कमियां हैं, इसका पता लगाया जाएगा।

Morena News For first time Chambal river water will be tested
चंबल नदी - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

चंबल नदी मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत की सबसे स्वच्छ नदियों में शुमार है। लेकिन चंबल का पानी कितना स्वच्छ है, यह इंसानों के पीने लायक है भी या नहीं? चंबल के पानी में क्या खूबियां और क्या कमियां हैं? यह तकनीकी तौर पर किसी को नहीं पता। यह पता लगाने के लिए पहली बार चंबल के पानी की जांच होगी।

Trending Videos


राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) अगले महीने से यह जांच शुरू करने वाले हैं। इसके लिए अत्याधुनिक यंत्र व मशीनें लाई जा रही हैं। चंबल नदी के पानी की जांच के नाम पर राजघाट क्षेत्र में कभी-कभी पानी के सैंपल लेकर जांच होती रही है। लेकिन राष्ट्रीय घड़ियाल सेंक्चुरी की जद में आने वाले चंबल नदी के 495 किलोमीटर के हिस्से (श्योपुर से लेकर उप्र के पचनदा तक) के पानी की गुणवत्ता जांच पहली बार होने जा रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन


इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान के रिसर्चर एवं विशेषज्ञ तीन दिन पहले चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी के अफसरों से मिले हैं। पानी की जांच की प्लानिंग पर काम शुरू हो गया है और जून महीने के पहले सप्ताह से यह काम शुरू हो जाएगा। सेंक्चुरी प्रशासन के अनुसार, 12 से 15 दिन तक सैंपल लेने और साथ ही साथ पानी की जांच का काम चलेगा। जांच परिणाम आने के बाद चंबल के पानी में पाई जाने वाली कमियों को दूर कर नदी को स्वच्छ बनाने के काम शुरू होंगे। चंबल का पानी आगामी साल में मुरैना, ग्वालियर में पेयजल सप्लाई में मिलेगा। इसलिए भी यह जांच बेहद अहम है।

चंबल नदी के किनारों पर पानी में कई प्रजाति के छोटे-छोटे वनस्पति पौधे 12 महीने हरे-भरे रहते हैं। इन वनस्पति पौधों से पानी की गुणवत्ता पर क्या असर हो रहा, इसका पता लगाने के लिए प्लेंकन जांच होगी। इन तीन चरणों की जांच में परखा जाएगा। चंबल का जल चंबल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा तलहटी से लेकर ऊपर तल पर कितनी है, यह पता लगाने के लिए डिजाल्व ऑक्सीजन जांच होगी।

स्वच्छ पेयजल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। चंबल के पानी में कौन-कौन से मिनरल्स कितनी मात्रा में मौजूद हैं, इसकी भी जांच होगी। वैसे तो चंबल के पानी की जांच यदा-कदा होती रही है। साल 2012 और फिर साल 2013 में चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी ने पानी की जांच करवाई थी, जो केवल राजघाट और चंबल नदी पर बने रेलवे पुल के आसपास के पानी की हुई थी।

साल 2012 में चंबल के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा सात फीसदी थी, जो साल 2013 की जांच में घटकर 3.4 फीसदी रह गई थी। इसके अलावा पानी में अपशिष्टों की जांच हुई थी, जिसमें साल 2012 में 249 मिलीग्राम प्रति लीटर बताई गई और 2013 में यह बढ़कर 374 मिलीग्राम तक पहुंच गई थी। पेयजल में अपशिष्ट की मात्रा शून्य होनी चाहिए, इस हिसाब से पूर्व में हुई जांच में चंबल के पानी को पीने योग्य नहीं माना गया। लेकिन यह जांच बेहद छोटे स्तर पर हुई थी, पहली बार चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी क्षेत्र के पूरे पानी की जांच हो रही है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed