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Diwali 2025: निशीथ-काल में लक्ष्मी-साधना का विशेष महत्व, क्या तैयारियां करें कि मां लक्ष्मी हो जाएं प्रसन्न

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Mon, 20 Oct 2025 12:48 PM IST
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सार

माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान गणेश की कृपा से जीवन में धन, वैभव और मानसिक शांति आती है। दीपावली की रात में किया गया लक्ष्मी पूजन, व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता और दुर्भाग्य का अंधकार मिटा देता है।

Dipawali 2025: Puja Muhurat Set for October 20, Nishita Kaal Holds Special Significance for Lakshmi Sadhana
दिवाली 2025 - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि धन, सौभाग्य और दिव्यता का उत्सव है। इस दिन घर के दीपक ही नहीं, आत्मा के दीप भी प्रज्वलित होते हैं। माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान गणेश की कृपा से जीवन में धन, वैभव और मानसिक शांति आती है। ज्योतिष पद्म भूषण व स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ. पंडित गणेश शर्मा के अनुसार दीपावली की रात में किया गया लक्ष्मी पूजन, व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता और दुर्भाग्य का अंधकार मिटा देता है।

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इस वर्ष दीपावली की तिथि पर हलचल इसलिए रही क्योंकि तिथि की शुरुआत और समाप्ति स्थानीय पंचांग एवं प्रदोष-काल पर निर्भर है। ज्योतिषाचार्य पंडित डॉक्टर शर्मा ने स्पष्ट किया कि इस वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 से प्रारंभ हो रही है, तथा 21 अक्टूबर शाम 5:54 तक बनी रहेगी। इस कारण पूजा-उत्सव 20 अक्टूबर सोमवार को ही वांछित रूप से करना शास्त्रानुसार सम्वत रहेगा।
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मुहूर्त-सूची
विजयी मुहूर्त: दोपहर 2:07 से 2:53
गोधुली मुहूर्त: शाम 5:57 से 6:22
संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 5:57 से 7:12
लक्ष्मी-पूजा मुहूर्त: शाम 7:23 से रात्रि 8:27
प्रदोष काल: शाम 5:57 से 8:27
वृषभ काल: रात 7:23 से 9:22
निशीथ-काल पूजा मुहूर्त: रात 11:47 से 12:36

इन समयों के अनुसार घर-परिवार में तैयारी कर लेनी चाहिए, विशेषकर मुख्य लक्ष्मी-पूजा हेतु शाम 7:23 बजे के बाद।

निशीथ-काल का महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित के अनुसार निशीथ काल पूजा दीपावली की सबसे गूढ़ और शक्तिशाली साधना-विधियों में से एक मानी जाती है। यह पूजा रात्रि के मध्य भाग में की जाती है, जब वातावरण पूर्णतः शांत और ऊर्जात्मक होता है। निशीथ-काल वह समय माना गया है जब अमावस्या तिथि की प्रदोष-व्याप्ति के बाद तथा मध्यरात्रि से पूर्व का काल है। इस समय विशेष रूप से कहा जाता है कि मां महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और ऐसे घरों में वास करती हैं जो स्वच्छ, प्रकाशित व शांत साधना-मय हों। इस समय किया गया जप-ध्यान तथा पूजा-साधना तांत्रिक दृष्टि से अत्यधिक सिद्धिकारक मानी जाती है।

तैयारी
-घर की सफाई, प्रकाश (दीप/मोमबत्ती) एवं सकारात्मक वायुमंडल बनाना अनिवार्य है।
-पूजा-स्थान को विशेष रूप से उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें तथा शाम व रात्रि में दीप जलाएं।
-लाल-पीला रंग पहनें या पूजा-विज्ञान में इन रंगों का उपयोग करें क्योंकि यह समृद्धि से जुड़ा माना जाता है।
-पूजा-समय के बाद दान-पुण्य करें, प्रसाद बांटें एवं परिवार व पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करें।
-रात में यदि संभव हो तो कुछ समय जागरण, मंत्र-जप एवं ध्यान करना लाभप्रद होगा।

स्थायी समृद्धि के लिए ये करें
इस वर्ष दिवाली की तैयारी 20 अक्टूबर को शाम-रात्रि की ओर केन्द्रित होगी। मुख्य लक्ष्मी-पूजा 7:23 से 8:27 के बीच तथा निशीथ-काल स्मरणीय साधना के लिए लगभग रात 11:47 से 12:36 तक उपयुक्त है। इस संदर्भ में, समय-निकासी, पूजा-विधि और साधना-मानदंडों का पालन करने से घर में स्थायी समृद्धि एवं सुख-शांति के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।

माता लक्ष्मी को प्रसन्न रखने के विशेष उपाय
-स्थायी धन लाभ के लिए शुक्रवार को श्रीसूक्त या लक्ष्मी अष्टकम का पाठ करें।
-नकारात्मकता का नाश करने के लिए प्रतिदिन शाम को उत्तर-पूर्व दिशा में दीप जलाएं।
-धन हानि से बचाव के लिए झाड़ू को पैर से न लगाएं और मंदिर में न रखें।
-लक्ष्मी-नारायण की कृपा पाने के लिए तुलसी के पास दीप जलाकर प्रणाम करें।
-धन व स्थिरता प्राप्ति के लिए ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः का 108 बार जप करें।

 

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