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MP News: ड्यूटी पर गए नहीं, फिर भी लगती रही हाजिरी, तकनीक को चकमा देने में डॉक्टर निकले 'मास्टर', जानें कैसे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Thu, 06 Nov 2025 11:06 AM IST
सार
राज्यस्तरीय समीक्षा में यह धोखाधड़ी उजागर होने पर सीएमएचओ ने श्यामपुर, इछावर और बुदनी ब्लॉक के डॉक्टरों को तीन दिन में जवाब देने के नोटिस जारी किए हैं। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला तो अनुबंध समाप्त कर बंधपत्र निरस्त कर दिए जाएंगे।
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फर्जी हाजिरी लगाकर में फंसे डॉक्टर।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सीहोर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर जनता का भरोसा उस समय हिल गया जब सार्थक एप पर बंध चिकित्सकों की उपस्थिति में बड़ा घोटाला उजागर हुआ। जिलेभर के अस्पतालों में तैनात 32 बंध (बॉन्ड) डॉक्टर ड्यूटी पर पहुंचे बिना ही फोटो के जरिए अटेंडेंस लगा रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब राज्य स्तर पर एप की ऑनलाइन समीक्षा की गई।
एक मोबाइल फोन से दर्जनों डॉक्टरों की हाजिरी
जांच में सामने आया कि इन चिकित्सकों ने अस्पताल में एक मोबाइल फोन रख दिया था। उसी मोबाइल फोन से सभी की आईडी से लॉगइन कर अटेंडेंस लगाई जाती थी। लोकेशन अस्पताल की ही दिखाई देती थी और फोटो के समय बड़े आकार में प्रिंट किए गए फोटो दिखाकर उपस्थिति दर्ज कर दी जाती थी। इस चतुराई ने पूरे सिस्टम को धोखा दिया।
तीन ब्लॉक के 32 डॉक्टरों को नोटिस
सीएमएचओ डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने श्यामपुर ब्लॉक के 24, इछावर और बुदनी ब्लॉक के चार-चार डॉक्टरों को नोटिस जारी किया है। सभी से तीन दिन में जवाब मांगा गया है। इतना ही नहीं, श्यामपुर के बीएमओ नवीन मेहर, इछावर के बीएमओ अंकित चांडक और बुदनी के बीएमओ धनजीत बड़ोदिया से भी पूछा गया है कि इतनी बड़ी लापरवाही पर उनकी नजर क्यों नहीं गई।
जिला अस्पताल भी नहीं अछूता रहा फर्जी उपस्थिति से
फर्जीवाड़े की यह बीमारी सिर्फ ग्रामीण अस्पतालों तक सीमित नहीं है। जिला अस्पताल में भी इसी तरह की लापरवाही पहले सामने आ चुकी है। हाल ही में दो डॉक्टरों ने अपने स्थान पर किसी और से मरीजों की जांच कराई थी। उस समय कलेक्टर ने एफआईआर के निर्देश दिए थे, लेकिन कार्रवाई अधूरी ही रह गई।
डॉक्टरों की अनुशासनहीनता पर सख्त रूख
सीएमएचओ डेहरिया ने साफ कहा है कि यह कृत्य अनुशासनहीनता और सेवा नियमों का घोर उल्लंघन है। तीन दिन में यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला, तो अनुबंध समाप्त कर बंधपत्र निष्फल घोषित किए जाएंगे। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि अक्टूबर माह का मानदेय तभी जारी होगा जब जवाब संतोषजनक पाया जाए।
ये भी पढ़ें- चार घंटे देरी इंदौर से उड़ा एयर इंडिया का विमान, एक घंटे तक खुला रहा एयरपोर्ट
मरीजों की सेवा पर सवाल
स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे बैठी जनता के लिए यह खबर चिंता का विषय बन गई है। जिन डॉक्टरों पर गांवों में मरीजों की जान बचाने की जिम्मेदारी थी, वे खुद ड्यूटी से गायब निकले। मरीजों को इलाज न मिलना और अस्पतालों में खाली कुर्सियां मिलना, लोगों के मन में आक्रोश भर रहा है।
राज्य स्तरीय समीक्षा में खुला पूरा मामला
राज्य स्तर पर जब सार्थक एप की समीक्षा हुई तो यह फर्जीवाड़ा सामने आया। रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि कई डॉक्टरों की उपस्थिति एक ही मोबाइल और लोकेशन से दर्ज हो रही थी। फोटो और फेस वेरिफिकेशन में भी गड़बड़ी पाई गई। इसके बाद सीएमएचओ ने तत्काल संज्ञान लेते हुए सभी को नोटिस थमाए।
ये हैं वे डॉक्टर जिन पर गिरी गाज
जिन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें डॉ. डॉ. एहतिशम वसीम, डॉ. अंजली विश्वकर्मा, डॉ. आयुष्मान वस्यानी, डॉ. अभिषेक दांगी, डॉ. अभिषेक जोशी, डॉ. अभिषेक कुमार नागर, डॉ. आदित्य भट्ट, डॉ. अंबिकेश कुमार तिवारी, डॉ. अमित सागर, डॉ. आयुशी रोशन, डॉ. विपाशा बराट, डॉ. जयेश दयाल, डॉ. मदिया अफजल, डॉ. मेवा चौहान, डॉ. निधि कामदार, डॉ. रिचिता चौहान, डॉ. श्रद्धा माण्डली, डॉ. शुभम छत्तानी, डॉ. सुलेखा रावत, डॉ. सुष्मिता चंदानी, डॉ. स्वाति मिश्रा, डॉ. वैष्णवी शर्मा, डॉ. विन्त्री थवानी, डॉ. विश्वजीत भारती, डॉ. इशानल बसित खान, डॉ. कृष्णा दांगी, डॉ. राजीव दांगी, डॉ. राजनारायण मीना, डॉ. सना जेहरा नकवी, डॉ. शीतल बामनिया, डॉ. तन्वी दीवान और डॉ. यशिका वाजपेयी आदि कुल 32 नाम शामिल हैं। सभी से विभाग ने स्पष्ट शब्दों में जवाब मांगा है कि उन्होंने यह कृत्य क्यों किया।
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एक मोबाइल फोन से दर्जनों डॉक्टरों की हाजिरी
जांच में सामने आया कि इन चिकित्सकों ने अस्पताल में एक मोबाइल फोन रख दिया था। उसी मोबाइल फोन से सभी की आईडी से लॉगइन कर अटेंडेंस लगाई जाती थी। लोकेशन अस्पताल की ही दिखाई देती थी और फोटो के समय बड़े आकार में प्रिंट किए गए फोटो दिखाकर उपस्थिति दर्ज कर दी जाती थी। इस चतुराई ने पूरे सिस्टम को धोखा दिया।
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तीन ब्लॉक के 32 डॉक्टरों को नोटिस
सीएमएचओ डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने श्यामपुर ब्लॉक के 24, इछावर और बुदनी ब्लॉक के चार-चार डॉक्टरों को नोटिस जारी किया है। सभी से तीन दिन में जवाब मांगा गया है। इतना ही नहीं, श्यामपुर के बीएमओ नवीन मेहर, इछावर के बीएमओ अंकित चांडक और बुदनी के बीएमओ धनजीत बड़ोदिया से भी पूछा गया है कि इतनी बड़ी लापरवाही पर उनकी नजर क्यों नहीं गई।
जिला अस्पताल भी नहीं अछूता रहा फर्जी उपस्थिति से
फर्जीवाड़े की यह बीमारी सिर्फ ग्रामीण अस्पतालों तक सीमित नहीं है। जिला अस्पताल में भी इसी तरह की लापरवाही पहले सामने आ चुकी है। हाल ही में दो डॉक्टरों ने अपने स्थान पर किसी और से मरीजों की जांच कराई थी। उस समय कलेक्टर ने एफआईआर के निर्देश दिए थे, लेकिन कार्रवाई अधूरी ही रह गई।
डॉक्टरों की अनुशासनहीनता पर सख्त रूख
सीएमएचओ डेहरिया ने साफ कहा है कि यह कृत्य अनुशासनहीनता और सेवा नियमों का घोर उल्लंघन है। तीन दिन में यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला, तो अनुबंध समाप्त कर बंधपत्र निष्फल घोषित किए जाएंगे। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि अक्टूबर माह का मानदेय तभी जारी होगा जब जवाब संतोषजनक पाया जाए।
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मरीजों की सेवा पर सवाल
स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे बैठी जनता के लिए यह खबर चिंता का विषय बन गई है। जिन डॉक्टरों पर गांवों में मरीजों की जान बचाने की जिम्मेदारी थी, वे खुद ड्यूटी से गायब निकले। मरीजों को इलाज न मिलना और अस्पतालों में खाली कुर्सियां मिलना, लोगों के मन में आक्रोश भर रहा है।
राज्य स्तरीय समीक्षा में खुला पूरा मामला
राज्य स्तर पर जब सार्थक एप की समीक्षा हुई तो यह फर्जीवाड़ा सामने आया। रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि कई डॉक्टरों की उपस्थिति एक ही मोबाइल और लोकेशन से दर्ज हो रही थी। फोटो और फेस वेरिफिकेशन में भी गड़बड़ी पाई गई। इसके बाद सीएमएचओ ने तत्काल संज्ञान लेते हुए सभी को नोटिस थमाए।
ये हैं वे डॉक्टर जिन पर गिरी गाज
जिन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें डॉ. डॉ. एहतिशम वसीम, डॉ. अंजली विश्वकर्मा, डॉ. आयुष्मान वस्यानी, डॉ. अभिषेक दांगी, डॉ. अभिषेक जोशी, डॉ. अभिषेक कुमार नागर, डॉ. आदित्य भट्ट, डॉ. अंबिकेश कुमार तिवारी, डॉ. अमित सागर, डॉ. आयुशी रोशन, डॉ. विपाशा बराट, डॉ. जयेश दयाल, डॉ. मदिया अफजल, डॉ. मेवा चौहान, डॉ. निधि कामदार, डॉ. रिचिता चौहान, डॉ. श्रद्धा माण्डली, डॉ. शुभम छत्तानी, डॉ. सुलेखा रावत, डॉ. सुष्मिता चंदानी, डॉ. स्वाति मिश्रा, डॉ. वैष्णवी शर्मा, डॉ. विन्त्री थवानी, डॉ. विश्वजीत भारती, डॉ. इशानल बसित खान, डॉ. कृष्णा दांगी, डॉ. राजीव दांगी, डॉ. राजनारायण मीना, डॉ. सना जेहरा नकवी, डॉ. शीतल बामनिया, डॉ. तन्वी दीवान और डॉ. यशिका वाजपेयी आदि कुल 32 नाम शामिल हैं। सभी से विभाग ने स्पष्ट शब्दों में जवाब मांगा है कि उन्होंने यह कृत्य क्यों किया।