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Tikamgarh News: हिमाचल के हरमन शर्मा ने बदल दी बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत, 50 डिग्री में भी उग रहा सेबफल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़
Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो
Updated Thu, 19 Jun 2025 06:14 PM IST
सार
हिमाचल के पद्मश्री हरमन शर्मा द्वारा विकसित 'हरमन 99' सेबफल ने बुंदेलखंड की किस्मत बदली है। 50 डिग्री तापमान में भी यह पौधा फल दे रहा है। झांसी, टीकमगढ़ जैसे जिलों में किसान इसका सफल उत्पादन कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा लाभ और बाजार में ऊंचा दाम मिल रहा है।
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टीकमगढ़ के गर्म मौसम में भी सेबफल की फसल अच्छी हो रही है।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बुंदेलखंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर ठंडे प्रदेश में बैठे एक व्यक्ति ऐसा सेबफल का पौधा लाना चाह रहा था, जिससे उत्तर भारतीय किसानों की किस्मत बदल जाए। उसकी मेहनत रंग लाई और अब बुंदेलखंड में सेबफल के पेड़ भी लहलहा रहे हैं और फल दे रहे हैं। बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत बदल दी हिमाचल के पद्मश्री हरमन शर्मा ने। बुंदेलखंड में 50 डिग्री के तापमान पर सेबफल का भरपूर उत्पादन हो रहा है। बुंदेलखंड का क्षेत्रफल हमेशा गर्म रहता है, इस वर्ष 45 से लेकर 47 तक का तापमान में भी सेब का बंपर उत्पादन हुआ है।
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कई वर्षों की मेहनत के बाद हिमाचल के हरमन शर्मा ने सेबफल के एक ऐसे पौधे का इजाद किया, जो 50 डिग्री के तापमान पर फल देता है। इसके चलते उन्हें भारत सरकार ने पहले राष्ट्रपति सम्मान और इसके बाद 2024 -25 के में पद्मश्री सम्मान से नवाजा है। बुंदेलखंड में हरमन-99 सेबफल भरपूर मात्रा में उत्पादित हो रहा है।
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टीकमगढ़ के सेबफल की मांग बढ़ रही है।
- फोटो : अमर उजाला
बुंदेलखंड के जनपद झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी में हरमन 99 सेबफल का भरपूर मात्रा में उत्पादन हो रहा है। टीकमगढ़ के रहने वाले किसान सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि हरमन-99 को उन्होंने वर्ष 2021 में ऑनलाइन मंगाया था और पौधारोपण किया था। पिछले तीन साल से उनके पेड़ लगातार उत्पादन दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग के सहयोग से उन्होंने सेबफल का उत्पादन शुरू किया था, जो प्रतिवर्ष बंपर उत्पादन होता है।
सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि उन्होंने 22 पेड़ ऑनलाइन मंगाए थे, सभी पेड़ जिंदा हैं और सभी में फल का उत्पादन हो रहा है। उनका कहना है कि बुंदेलखंड में तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंचता है, लेकिन इस फल के पौधे पर कोई असर नहीं होता है और इसका उत्पादन अच्छा होता है। उन्होंने बताया कि एक पेड़ में करीब 25 से 30 किलो सेब का उत्पादन होता है, क्योंकि यह फल मई के लास्ट और जून के फर्स्ट वीक में आता है जिसमें कश्मीर का सेब आना बंद हो जाता है। ऐसे में बुंदेलखंड में सेब फल का रेट भी अच्छा मिलता है। सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि जनवरी महीने में पेड़ शुष्क अवस्था में चला जाता है। इसके बाद उसकी कटिंग की जाती है। झाड़ियों की जितनी अच्छी कटिंग होगी, उतना ही फल पेड़ में लगता है। इसके बाद फूलों से फूल की क्रॉसिंग कराई जाती है और कीटनाशक दावों का छिड़काव करना पड़ता है। वे पिछले तीन साल से लगातार सेबफल का उत्पादन कर रहे हैं और बाजार में बेच रहे हैं।
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150 से 200 रुपए किलो तक बिकता है बाजार में
किसान सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि जब कश्मीर का सेबफल बाजार में आना बंद हो जाता है तो बुंदेलखंड का सेबफल बाजार में सबसे ज्यादा दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि गर्मियों में उत्पादन होने वाले सेबफल का टेस्ट मीठा और रंग भी अच्छा होता है, जिस कारण से थोक रेट 200 तक बिक जाता है। बुंदेलखंड में उत्पादन होने से बाजार में भी इसकी डिमांड प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह है ताजा सेब होना। क्योंकि कश्मीर से आने में काफी समय लगता है और गर्मियों में तुरंत सेबफल बाजार में पहुंच जाता है।
सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि उन्होंने 22 पेड़ ऑनलाइन मंगाए थे, सभी पेड़ जिंदा हैं और सभी में फल का उत्पादन हो रहा है। उनका कहना है कि बुंदेलखंड में तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंचता है, लेकिन इस फल के पौधे पर कोई असर नहीं होता है और इसका उत्पादन अच्छा होता है। उन्होंने बताया कि एक पेड़ में करीब 25 से 30 किलो सेब का उत्पादन होता है, क्योंकि यह फल मई के लास्ट और जून के फर्स्ट वीक में आता है जिसमें कश्मीर का सेब आना बंद हो जाता है। ऐसे में बुंदेलखंड में सेब फल का रेट भी अच्छा मिलता है। सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि जनवरी महीने में पेड़ शुष्क अवस्था में चला जाता है। इसके बाद उसकी कटिंग की जाती है। झाड़ियों की जितनी अच्छी कटिंग होगी, उतना ही फल पेड़ में लगता है। इसके बाद फूलों से फूल की क्रॉसिंग कराई जाती है और कीटनाशक दावों का छिड़काव करना पड़ता है। वे पिछले तीन साल से लगातार सेबफल का उत्पादन कर रहे हैं और बाजार में बेच रहे हैं।
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150 से 200 रुपए किलो तक बिकता है बाजार में
किसान सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि जब कश्मीर का सेबफल बाजार में आना बंद हो जाता है तो बुंदेलखंड का सेबफल बाजार में सबसे ज्यादा दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि गर्मियों में उत्पादन होने वाले सेबफल का टेस्ट मीठा और रंग भी अच्छा होता है, जिस कारण से थोक रेट 200 तक बिक जाता है। बुंदेलखंड में उत्पादन होने से बाजार में भी इसकी डिमांड प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह है ताजा सेब होना। क्योंकि कश्मीर से आने में काफी समय लगता है और गर्मियों में तुरंत सेबफल बाजार में पहुंच जाता है।
हरमन शर्मा को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।
- फोटो : फाइल फोटो
किसान क्या-क्या रखें ध्यान
किसान सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि बुंदेलखंड में सेबफल का उत्पादन भरपूर मात्रा में हो रहा है, अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो उसको कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पौधा लगाने के बाद उसे कम मात्रा में पानी देना होता है। इसके साथ ही कीटनाशक दवा का छिड़काव करना होता है, ताकि दीमक ना लग सके और दो साल बाद फल देने लगता है। जब पेड़ बड़ा हो जाए और जनवरी महीने में सुस्त अवस्था में चला जाता है, उस समय डोलियों की कटिंग की जाती है। अगर मधुमक्खी नहीं है तो फूलों की क्रॉसिंग भी एक दूसरे फूल से करने पड़ती है, जिससे कि फल का उत्पादन अच्छा हो। उनका मानना है कि बुंदेलखंड के तापमान पर भी इसका असर नहीं होता है और यहां पर 100% सेबफल की फसल बेहतर है।
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पद्मश्री हिमाचल के हरमन शर्मा ने बदल दी बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत
हिमाचल के बिलासपुर जिले के रहने वाले हरमन शर्मा ने कई वर्षों तक रिसर्च के बाद एक ऐसी सफल पौधे का इजाद किया, जो 60 डिग्री के तापमान पर भी पैदा होता है और फल देता है। लंबे प्रयास के बाद जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यह सेबफल सफल हुआ तो भारत सरकार द्वारा पहले उन्हें राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस पौधे का नाम भी उन्हीं के नाम से है। हरमन शर्मा ने इसका नाम दिया हरमन-99। भारत सरकार द्वारा पहले उन्हें राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद वर्ष 2024-25 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा रिसर्च किए गए इस पौधे ने अब बुंदेलखंड के किसानों की तस्वीर और तकदीर बदल दी है।
किसान सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि बुंदेलखंड में सेबफल का उत्पादन भरपूर मात्रा में हो रहा है, अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो उसको कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पौधा लगाने के बाद उसे कम मात्रा में पानी देना होता है। इसके साथ ही कीटनाशक दवा का छिड़काव करना होता है, ताकि दीमक ना लग सके और दो साल बाद फल देने लगता है। जब पेड़ बड़ा हो जाए और जनवरी महीने में सुस्त अवस्था में चला जाता है, उस समय डोलियों की कटिंग की जाती है। अगर मधुमक्खी नहीं है तो फूलों की क्रॉसिंग भी एक दूसरे फूल से करने पड़ती है, जिससे कि फल का उत्पादन अच्छा हो। उनका मानना है कि बुंदेलखंड के तापमान पर भी इसका असर नहीं होता है और यहां पर 100% सेबफल की फसल बेहतर है।
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पद्मश्री हिमाचल के हरमन शर्मा ने बदल दी बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत
हिमाचल के बिलासपुर जिले के रहने वाले हरमन शर्मा ने कई वर्षों तक रिसर्च के बाद एक ऐसी सफल पौधे का इजाद किया, जो 60 डिग्री के तापमान पर भी पैदा होता है और फल देता है। लंबे प्रयास के बाद जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यह सेबफल सफल हुआ तो भारत सरकार द्वारा पहले उन्हें राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस पौधे का नाम भी उन्हीं के नाम से है। हरमन शर्मा ने इसका नाम दिया हरमन-99। भारत सरकार द्वारा पहले उन्हें राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद वर्ष 2024-25 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा रिसर्च किए गए इस पौधे ने अब बुंदेलखंड के किसानों की तस्वीर और तकदीर बदल दी है।

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