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उमरिया फुटबॉल टूर्नामेंट: प्रतियोगिता के पहले दिन ही विवाद, व्यवस्था पर उठे सवाल; कलेक्टर ने संभाली स्थिति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Tue, 02 Dec 2025 07:58 PM IST
सार
कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन के हस्तक्षेप के बाद स्थिति संभली और नेताओं को मनाकर कार्यक्रम में वापस बुलाया गया। इससे पहले अक्तूबर में भी राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में इसी आयोजक मंडल पर कुप्रबंधन के आरोप लगे थे।
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फुटबाल टूर्नामेंट। (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
उमरिया में राष्ट्रीय शालेय फुटबॉल प्रतियोगिता का पहला दिन तनाव से भरा रहा। उद्घाटन से पहले ही आयोजक समिति के कामकाज को लेकर माहौल गर्म हो गया और भाजपा नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बना ली। स्थिति तब संभली जब कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने हस्तक्षेप कर सभी को बैठाया और कार्यक्रम आगे बढ़ा।
जिले में पिछले कुछ समय से आयोजक मंडल पर पक्षपात और अव्यवस्था के आरोप लगते रहे हैं। बीते अक्तूबर में हुई राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में बाहर से आई कई टीमों ने ठहरने से लेकर भोजन तक खराब व्यवस्था की शिकायत की थी। इसके बावजूद इस बार की राष्ट्रीय प्रतियोगिता की जिम्मेदारी भी उसी टीम को सौंपे जाने पर सवाल उठते रहे हैं।
एक दिसंबर को कार्यक्रम स्थल पर भाजपा नेता पहुंचे तो उन्हें लगा कि उनकी अनदेखी की जा रही है। पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि मंच पर बैठने की व्यवस्था से लेकर स्वागत तक कई स्तरों पर लापरवाही दिखाई दी। उनका आरोप है कि आयोजक समिति ने जानबूझकर उनकी भूमिका को कम महत्व दिया। इसे लेकर नेताओं ने विरोध जताते हुए मैदान छोड़ दिया। कलेक्टर जैन मौके पर पहुंचे और बातचीत के बाद नेताओं को वापस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयार किया। उनके हस्तक्षेप के बाद मंच पर सभी की मौजूदगी सुनिश्चित हुई और प्रतियोगिता औपचारिक रूप से शुरू हो सकी।
ये भी पढ़ें- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के नवागत कुलगुरु बनें डॉ. राकेश, जानें कैसा रहा है इनका एकेडमिक सफर?
भाजपा के वरिष्ठ नेता मिथलेश पयासी ने कहा कि अक्तूबर में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी इसी तरह के हालात बने थे। उस समय कांग्रेस नेता को मुख्य अतिथि बनाकर भाजपा नेताओं को दरकिनार किया गया था। उनका कहना है कि इस बार भी राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में किसी बड़े भाजपा नेता या मंत्री को नहीं बुलाया गया, जबकि जिले में वर्तमान में सांसद और दोनों विधायक भाजपा के ही हैं।
भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर प्रतियोगिता के दौरान ऐसी स्थिति दोहराई गई तो वे कड़ी आपत्ति दर्ज कराएंगे। उन्होंने मांग की कि आयोजक मंडल में शामिल उन लोगों को चिन्हित किया जाए जिन पर लगातार मनमानी के आरोप हैं। प्रतियोगिता 6 दिसंबर तक चलनी है और नेता चाहते हैं कि आगे के सभी कार्यक्रम बिना विवाद के पूरे हों।
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जिले में पिछले कुछ समय से आयोजक मंडल पर पक्षपात और अव्यवस्था के आरोप लगते रहे हैं। बीते अक्तूबर में हुई राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में बाहर से आई कई टीमों ने ठहरने से लेकर भोजन तक खराब व्यवस्था की शिकायत की थी। इसके बावजूद इस बार की राष्ट्रीय प्रतियोगिता की जिम्मेदारी भी उसी टीम को सौंपे जाने पर सवाल उठते रहे हैं।
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एक दिसंबर को कार्यक्रम स्थल पर भाजपा नेता पहुंचे तो उन्हें लगा कि उनकी अनदेखी की जा रही है। पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि मंच पर बैठने की व्यवस्था से लेकर स्वागत तक कई स्तरों पर लापरवाही दिखाई दी। उनका आरोप है कि आयोजक समिति ने जानबूझकर उनकी भूमिका को कम महत्व दिया। इसे लेकर नेताओं ने विरोध जताते हुए मैदान छोड़ दिया। कलेक्टर जैन मौके पर पहुंचे और बातचीत के बाद नेताओं को वापस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयार किया। उनके हस्तक्षेप के बाद मंच पर सभी की मौजूदगी सुनिश्चित हुई और प्रतियोगिता औपचारिक रूप से शुरू हो सकी।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता मिथलेश पयासी ने कहा कि अक्तूबर में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी इसी तरह के हालात बने थे। उस समय कांग्रेस नेता को मुख्य अतिथि बनाकर भाजपा नेताओं को दरकिनार किया गया था। उनका कहना है कि इस बार भी राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में किसी बड़े भाजपा नेता या मंत्री को नहीं बुलाया गया, जबकि जिले में वर्तमान में सांसद और दोनों विधायक भाजपा के ही हैं।
भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर प्रतियोगिता के दौरान ऐसी स्थिति दोहराई गई तो वे कड़ी आपत्ति दर्ज कराएंगे। उन्होंने मांग की कि आयोजक मंडल में शामिल उन लोगों को चिन्हित किया जाए जिन पर लगातार मनमानी के आरोप हैं। प्रतियोगिता 6 दिसंबर तक चलनी है और नेता चाहते हैं कि आगे के सभी कार्यक्रम बिना विवाद के पूरे हों।
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