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Dark Patterns: Uber, Ola जैसी 11 कंपनियों को सरकार का नोटिस, 'डार्क पैटर्न' से यूजर्स को गुमराह करने का आरोप
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Thu, 29 May 2025 09:37 PM IST
सार
सरकार ने Zepto, Uber, Ola और Rapido जैसी कुल 11 कंपनियों को नोटिस भेजा है। वजह ये है कि इन कंपनियों पर 'डार्क पैटर्न' नाम की एक भ्रामक तकनीक का इस्तेमाल करने का आरोप है।
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ओला केब्स
- फोटो : ola cabs
सरकार ने Zepto, Uber, Ola और Rapido जैसी कुल 11 कंपनियों को नोटिस भेजा है। वजह ये है कि इन कंपनियों पर 'डार्क पैटर्न' नाम की एक भ्रामक तकनीक का इस्तेमाल करने का आरोप है। जिसके जरिए उपभोक्ताओं को उनकी मर्जी के बिना या उन्हें भ्रमित करके फैसले करवाए जाते हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इन कंपनियों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने सरकार की गाइडलाइंस का पालन नहीं किया, और अगर ये कंपनियां इन गलत प्रथाओं को नहीं रोकतीं हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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उबर
- फोटो : ANI
कंपनियों को करनी होगी अंदरूनी जांच
उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को नई दिल्ली में ई-कॉमर्स कंपनियों, इंडस्ट्री संगठनों और उपभोक्ता संरक्षण संस्थाओं के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म की आंतरिक जांच (ऑडिट) करनी होगी कि कहीं उनके या उनके विक्रेताओं द्वारा 'डार्क पैटर्न' तो नहीं अपनाया जा रहा। यह ऑडिट रिपोर्ट मंत्रालय को देनी होगी।
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उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को नई दिल्ली में ई-कॉमर्स कंपनियों, इंडस्ट्री संगठनों और उपभोक्ता संरक्षण संस्थाओं के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म की आंतरिक जांच (ऑडिट) करनी होगी कि कहीं उनके या उनके विक्रेताओं द्वारा 'डार्क पैटर्न' तो नहीं अपनाया जा रहा। यह ऑडिट रिपोर्ट मंत्रालय को देनी होगी।
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Zepto
- फोटो : Zepto
इन 13 डार्क पैटर्न्स की हुई पहचान
सरकार ने नवंबर 2023 में 'डार्क पैटर्न' को रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत ऐसे किसी भी डिजाइन या इंटरफेस को गलत माना जाएगा जो यूजर को भ्रम में डालकर ऐसा काम करवाए जो वो असल में नहीं करना चाहता था। जैसे बिना मर्जी के कुछ खरीद लेना या सब्सक्रिप्शन चालू हो जाना। मंत्रालय के अनुसार, अब तक 13 प्रकार के 'डार्क पैटर्न' की पहचान की जा चुकी है, जैसे झूठी जल्दीबाजी दिखाना, बिना बताए कार्ट में प्रोडक्ट जोड़ना, यूजर को शर्मिंदा करना, छिपे हुए चार्जेज आदि। सरकार ने कंपनियों से इन सभी तकनीकों को तुरंत हटाने को कहा है।
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सरकार ने नवंबर 2023 में 'डार्क पैटर्न' को रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत ऐसे किसी भी डिजाइन या इंटरफेस को गलत माना जाएगा जो यूजर को भ्रम में डालकर ऐसा काम करवाए जो वो असल में नहीं करना चाहता था। जैसे बिना मर्जी के कुछ खरीद लेना या सब्सक्रिप्शन चालू हो जाना। मंत्रालय के अनुसार, अब तक 13 प्रकार के 'डार्क पैटर्न' की पहचान की जा चुकी है, जैसे झूठी जल्दीबाजी दिखाना, बिना बताए कार्ट में प्रोडक्ट जोड़ना, यूजर को शर्मिंदा करना, छिपे हुए चार्जेज आदि। सरकार ने कंपनियों से इन सभी तकनीकों को तुरंत हटाने को कहा है।
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रैपिडो
- फोटो : Adobe Stock
नए नियम और कड़े कदम
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि ये डार्क पैटर्न आमतौर पर एल्गोरिद्म आधारित और मुनाफा कमाने की नीयत से डिजाइन किए जाते हैं। अब इसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनियों पर डाली गई है कि वो इसे खत्म करें। अगर ऐसा नहीं होता, तो केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) (सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी) इस पर सीधे कार्रवाई करेगी।
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उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि ये डार्क पैटर्न आमतौर पर एल्गोरिद्म आधारित और मुनाफा कमाने की नीयत से डिजाइन किए जाते हैं। अब इसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनियों पर डाली गई है कि वो इसे खत्म करें। अगर ऐसा नहीं होता, तो केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) (सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी) इस पर सीधे कार्रवाई करेगी।
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Ola Cabs
- फोटो : Adobe Stock
साझा कार्य समूह का गठन होगा
बैठक में यह भी तय किया गया कि इन गाइडलाइंस को जमीन पर सही तरीके से लागू करने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह बनाया जाएगा। इसका उद्देश्य इन भ्रामक तरीकों को पूरी तरह खत्म करना और ग्राहकों की पसंद की आजादी को सुरक्षित रखना है।
कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम डिजिटल दुनिया में बढ़ते उपभोक्ता शोषण के खिलाफ एक बड़ा और जरूरी कदम माना जा रहा है। इससे ई-कॉमर्स कंपनियों पर जिम्मेदारी बढ़ेगी और ग्राहकों के हितों की बेहतर तरीके से रक्षा हो सकेगी।
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कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम डिजिटल दुनिया में बढ़ते उपभोक्ता शोषण के खिलाफ एक बड़ा और जरूरी कदम माना जा रहा है। इससे ई-कॉमर्स कंपनियों पर जिम्मेदारी बढ़ेगी और ग्राहकों के हितों की बेहतर तरीके से रक्षा हो सकेगी।
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