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GST 2.0: जीएसटी सुधार से कार खरीदारों में खुशी, लेकिन डीलरों पर ₹2,500 करोड़ का बोझ, जल्द स्पष्टीकरण की मांग

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Fri, 05 Sep 2025 04:13 PM IST
सार

जहां एक तरफ कारें, दोपहिया वाहन और एसयूवी अब सस्ती हो गई हैं, वहीं दूसरी तरफ नए जीएसटी स्लैब ने पैसेंजर व्हीकल डीलरशिप्स पर लगभग 2,500 करोड़ रुपये का बड़ा झटका दे दिया है।

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GST Reforms 2025 Car Buyers Cheer but Dealers Face Rs 2500 Crore Blow from Old Inventory
Automobile Industry - फोटो : PTI
जहां एक तरफ कारें, दोपहिया वाहन और एसयूवी अब सस्ती हो गई हैं, वहीं दूसरी तरफ नए जीएसटी स्लैब ने पैसेंजर व्हीकल डीलरशिप्स पर लगभग 2,500 करोड़ रुपये का बड़ा झटका दे दिया है। वजह है 22 सितंबर से कम्पेंसेशन सेस का खत्म होना, जिसकी वजह से पुराने टैक्स रेट पर खरीदा गया स्टॉक अब डीलरों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सेस की रकम वापस पाने या रिफंड करने की कोई साफ व्यवस्था नहीं है।
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Automobile Industry - फोटो : PTI
संक्रमण काल बना चुनौती
रिपोर्ट के मुताबिक, डेलॉयट इंडिया की पार्टनर शीना सरीन का कहना है कि 22 सितंबर तक का ट्रांजिशन पीरियड बेहद अहम है। कम्पेंसेशन सेस खत्म होने से डीलरों के पास जो पुराना महंगे टैक्स वाला स्टॉक है, उसकी वजह से वर्किंग कैपिटल पर बड़ा दबाव आ जाएगा। अगर रिफंड या ट्रांजिशन के लिए कोई नियम बनाए जाते, तो इतनी अचानक परेशानी नहीं होती।

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Automobile Industry - फोटो : AI
किन पर सबसे ज्यादा असर
कम्पेंसेशन सेस सिर्फ पैसेंजर व्हीकल्स पर लागू था, इसलिए कमर्शियल गाड़ियों और टू-व्हीलरों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। लेकिन पैसेंजर व्हीकल कैटेगरी में सबसे ज्यादा नुकसान बड़ी कारों और एसयूवी को होगा, जिन पर 20 प्रतिशत से 22 प्रतिशत तक सेस लगता था। राजस्थान के एक बड़े डीलर के मुताबिक, "यही सेगमेंट भारत की 60 प्रतिशत पैसेंजर व्हीकल सेल्स कवर करता है।"

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Automobile Industry - फोटो : AI
FADA ने जताई चिंता
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) (फाडा) ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है। फाडा के अध्यक्ष सी.एस. विग्नेश्वर ने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि डीलरों के बही-खाते में पड़े सेस बैलेंस का क्या होगा। इस पर जल्द से जल्द स्पष्टीकरण मिलना चाहिए, ताकि ट्रांजिशन के दौरान कोई उलझन न हो। उनका कहना है कि डीलरों को होने वाला अनुमानित नुकसान 2,500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।

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Automobile Industry - फोटो : Freepik
कंपनियों की रणनीति
कुछ कंपनियों ने पहले ही इस संकट से बचने के लिए कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) ने अपने डीलर नेटवर्क को 20 अगस्त से ही यह जानकारी दे दी कि अब से वह सिर्फ उन्हीं गाड़ियों की बिलिंग करेगा जिन पर न्यूनतम सेस (1% या 3%) लगता है, और ज्यादा सेस (15%, 20%, 22%) वाले मॉडल फिलहाल नहीं भेजे जाएंगे। एक दिल्ली स्थित डीलर ने कहा, "यह कदम त्योहारी सीजन से पहले मांग होने के बावजूद उठाया गया, ताकि डीलरों पर ज्यादा स्टॉक का बोझ न आए।"

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