BS4 और BS6 गाड़ियों में सबसे बड़ा अंतर कैब्युरटर (Carburettor) का है, क्योंकि नए उत्सर्जन मानक वाली गाड़ियों में फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम दिया गया है। यहां तक कि छोटे से छोटे वाहन में भी फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम मिलेगा। अगर आपके पास बीएस6 बाइक या स्कूटर है तो आपको थोड़ी सावधानी रखने की जरूरत है। क्योंकि अभी भी बीएस6 गाड़ियों के लिए सर्विस सेंटर्स की कमी है, वहीं मैकेनिक भी ठीक से प्रशिक्षित नहीं हैं।
अगर आपके पास है BS6 इंजन बाइक या स्कूटर, तो भूलकर न करें ये गलतियां
फ्यूल और टैंक
तो बात करते हैं सबसे पहले फ्यूल और टैंक की। तो फ्यूल टैंक में जंग नहीं लगना चाहिए और धूल-मिट्टी और गंदगी अंदर नहीं जानी चाहिए। अगर गलती से पानी या कोई बाहरी तत्व ईंधन टैंक में पहुंच गया तो फ्यूल इंजेक्टर्स काम करना बंद कर देंगे। हालांकि ये समस्या कैब्युरटर के साथ नहीं होती है। धूल-मिट्टी के कण फ्यूल इंजेक्टर्स को खराब कर सकते हैं। साथ ही मिलावटी तेल से भी सावधान रहना होगा। बेहतर होगा कि कंपनी के आउटलेट से ही ईंधन भरवाएं। क्योंकि ये पार्ट्स वारंटी में कवर नहीं होते हैं और इन्हें बदलवाने में अच्छा खासा खर्च जेब पर पड़ सकता है।
फ्यूल इंजेक्टर्स
फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम में कई फ्यूल इंजेक्टर्स होते हैं। इन्हें समय-समय पर ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर पर ही क्लीन कराएं। इन गाड़ियों के साथ मिलने वाली मैनुअल गाइड में बताया गया है कि बीच-बीच में इनकी सर्विस कराया जाना जरूरी है। इसका पालन करने से न केवल बाइक की वारंटी बरकरार रहेगी, बल्कि इंजन भी ठीक रहेगा। वहीं अगर ईंधन की वजह से फ्यूल इंजेक्टर्स में कोई खराबी आती भी है जो इंस्ट्रूमेंट कंसोल पर इसकी इंडीकेशन आ जाएगा।
कूलेंट
अगर आपकी बाइक में कूलेंट डलता है तो ध्यान रखें कि कूलेंट का स्तर बरकरार रहे और गंदा न हो। स्कूटर में कूलेंट नहीं डलता है। ध्यान रखें कि बीच-बीच में कूलेंट बदलते भी रहें। अपनी गाड़ी के कंसोल पैनल पर बनने वाले इंटीकेटर्स लाइट्स पर जरूर ध्यान दें। अगर राइड के दौरान इंस्ट्रूमेंट कंसोल में कम कूलेंट का साइन नजर आता है तो आप उसमें पानी भी डाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए मैनुअल गाइड चेक करना न भूलें।
इंजन ऑयल
अपने गाड़ी में इंजन ऑयल के लेवल को बीच-बीच में जरूर चेक करते रहें। इसी जांच करने के लिए अपनी बाइक को बीच वाले स्टैंड पर खड़ी करें, ध्यान रखें कि गाड़ी का इंजन उस वक्त ठंडा हो। डिप स्टिक के जरिए लेवल को चेक करें। अगर ऑयल ज्यादा चिपचिपा नहीं है और आपकी अंगुलियों पर चिपक नहीं रहा है, तो ऑयल को बदलने का वक्त है। यहां तक अगर इंजन ऑयल काला पड़ गया है तो इसे बदलने की जरूरत है। गाड़ी के सर्विस मैनुअल में लिखा रहता है कि ऑयल किस ग्रेड का होना चाहिए। हर बार ऑयल बदलने के दौरान ऑयल फिल्टर को भी बदलना आवश्यक है।