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Car Accessories: कार एक्सेसरीज लगवाने की सोच रहे हैं? जानें क्या है कानूनी तौर पर सही या गैर-कानूनी
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 14 Jun 2025 06:24 PM IST
सार
बहुत से लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिरकार कौन-सी एक्सेसरीज अब कानूनी रूप से इस्तेमाल की जा सकती हैं और कौन-सी नहीं। यहां हम आपको इस सवाल का जवाब आसान भाषा में बता रहे हैं।
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- फोटो : Adobe Stock
एक समय था जब भारत में आफ्टरमार्केट या एक्सेसरीज बाजार काफी बड़ा हुआ करता था। लोग अपनी कारों को अपनी पसंद के मुताबिक सजाते-संवारते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दो बड़े बदलाव आए हैं। पहली बात, अब कार कंपनियां ही अपनी गाड़ियों में पहले से बहुत-सी फीचर्स देने लगी हैं। और दूसरी बात, सरकार ने एक नया नियम लागू कर दिया है जिसमें किसी भी तरह के मॉडिफिकेशन (बदलाव) पर सख्त रोक है।
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कौन-सी कार एक्सेसरीज हैं कानूनी
किसी भी एक्सेसरी को लगाने से पहले सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कानून क्या कहता है। कानून के मुताबिक, "कोई भी ऐसा बदलाव जो गाड़ी की सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण या उसकी संरचना (स्ट्रक्चर) को प्रभावित करता है, वह बिना आरटीओ की मंजूरी के अवैध है।"
मतलब अगर किसी एक्सेसरी से गाड़ी की सेफ्टी या उसकी बनावट पर असर नहीं पड़ता, तो वह आमतौर पर मान्य हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, कंपनी द्वारा ऑफर की गई या कंपनी से अनुमोदित एक्सेसरीज जैसे डोर वाइजर, सीट कवर, फ्लोर मैट्स, डैशबोर्ड डेकोरेशन आदि लगाए जा सकते हैं। कुछ राज्यों में हेडलाइट बल्ब बदलना, टायर का साइज थोड़ा बढ़ाना या सिंपल स्पॉइलर लगाना भी अनुमति के दायरे में आता है, बशर्ते ये ज्यादा एक्सट्रीम न हों। कुछ जगहों पर हल्की टिंटेड विंडो ग्लास भी चल जाती है, लेकिन कई राज्य इसे सख्ती से लागू करते हैं।
यह भी पढ़ें - AMT Hatchbacks: शहर की भीड़भाड़ में ऑटोमैटिक कारें बनीं पहली पसंद, ये हैं पांच सबसे किफायती ऑटोमैटिक हैचबैक
किसी भी एक्सेसरी को लगाने से पहले सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कानून क्या कहता है। कानून के मुताबिक, "कोई भी ऐसा बदलाव जो गाड़ी की सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण या उसकी संरचना (स्ट्रक्चर) को प्रभावित करता है, वह बिना आरटीओ की मंजूरी के अवैध है।"
मतलब अगर किसी एक्सेसरी से गाड़ी की सेफ्टी या उसकी बनावट पर असर नहीं पड़ता, तो वह आमतौर पर मान्य हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, कंपनी द्वारा ऑफर की गई या कंपनी से अनुमोदित एक्सेसरीज जैसे डोर वाइजर, सीट कवर, फ्लोर मैट्स, डैशबोर्ड डेकोरेशन आदि लगाए जा सकते हैं। कुछ राज्यों में हेडलाइट बल्ब बदलना, टायर का साइज थोड़ा बढ़ाना या सिंपल स्पॉइलर लगाना भी अनुमति के दायरे में आता है, बशर्ते ये ज्यादा एक्सट्रीम न हों। कुछ जगहों पर हल्की टिंटेड विंडो ग्लास भी चल जाती है, लेकिन कई राज्य इसे सख्ती से लागू करते हैं।
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कौन-सी एक्सेसरीज हैं गैर-कानूनी
गैर-कानूनी एक्सेसरीज की लिस्ट काफी लंबी है। इसमें शामिल हैं - एक्स्ट्रा लाइट्स (फॉग लैंप, रूफ लाइट), बंपर में बदलाव, क्रैश गार्ड, हॉर्न बदलना, चेंज्ड अलॉय व्हील्स और बहुत कुछ। अगर आपकी गाड़ी की बाहरी बनावट स्टॉक मॉडल से अलग दिखती है और पुलिस की नजर में आ जाती है। तो फिर किसी भी एक्सेसरी को लेकर चालान हो सकता है।
हालांकि, गाड़ी के अंदर कुछ हद तक पर्सनलाइजेशन की छूट है। जैसे बेहतर साउंड सिस्टम लगाना, रेसिंग सीट्स जैसी कुर्सियां जो आरामदायक हों, जैसी चीजों की इजाजत आमतौर पर दी जाती है। बशर्ते वो सुरक्षा मानकों को न तोड़ें।
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गैर-कानूनी एक्सेसरीज की लिस्ट काफी लंबी है। इसमें शामिल हैं - एक्स्ट्रा लाइट्स (फॉग लैंप, रूफ लाइट), बंपर में बदलाव, क्रैश गार्ड, हॉर्न बदलना, चेंज्ड अलॉय व्हील्स और बहुत कुछ। अगर आपकी गाड़ी की बाहरी बनावट स्टॉक मॉडल से अलग दिखती है और पुलिस की नजर में आ जाती है। तो फिर किसी भी एक्सेसरी को लेकर चालान हो सकता है।
हालांकि, गाड़ी के अंदर कुछ हद तक पर्सनलाइजेशन की छूट है। जैसे बेहतर साउंड सिस्टम लगाना, रेसिंग सीट्स जैसी कुर्सियां जो आरामदायक हों, जैसी चीजों की इजाजत आमतौर पर दी जाती है। बशर्ते वो सुरक्षा मानकों को न तोड़ें।
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क्या अब भी मॉडर्न कारों में एक्सेसरीज की जरूरत है
क्या अब भी मॉडर्न कारों में एक्सेसरीज की जरूरत है? इस सवाल का जवाब साफ तौर पर नहीं है। आज की कारें पहले से ही बढ़िया टायर, बेहतर हेडलाइट्स, सेफ्टी फीचर्स और इंटीरियर में तमाम गैजेट्स के साथ आती हैं। ऐसे में बाहर से कुछ जोड़ने की जरूरत महसूस नहीं होती। इसके अलावा, अगर आपने किसी लोकल शॉप से एक्सेसरी लगवाई है तो कंपनी आपकी वारंटी भी रद्द कर सकती है।
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अगर बदलाव करना ही है, तो क्या करें
अगर आपको सच में किसी जरूरी एक्सेसरी की जरूरत है या गाड़ी में कोई बदलाव कराना है, तो सबसे सही तरीका यह है कि पहले अपने लोकल आरटीओ से जानकारी लें और आवश्यक अनुमति लिखित रूप में हासिल करें। और अगर मंजूरी मिल जाए, तो नामी कंपनियों के ही प्रोडक्ट्स लगवाएं जो प्रमाणित और सुरक्षित हों।
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