आजकल सभी कार कंपनियां गाड़ियों में जबरदस्त फीचर दे रही हैं। कुछ साल पहले तक गाड़ियों में एयरबैग्स, रिवर्स पार्किंग कैमरा, डीआरएल एबीएस, ईबीडी जैसे फीचर लग्जरी होते थे, लेकिन अब ये फीचर बेहद क़मन हो गए हैं, और सरकार ने कुछ फीचर्स को देना जरूरी बना दिया है। जिसके बाद कारमेकर्स ने ग्राहकों को लुभाने के लिए नए फीचर देना शुरू कर दिया। अब तो फीचर्स की बेहद लंबी लिस्ट है। गाड़ियों में कई लेटेस्ट ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, टचस्क्रीन, वायरलेस चार्जिंग, एयर प्यूरीफायर, पैडल शिफ्टर, सनरूफ, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे नए-नए आ गए हैं। आलम यह है कि जब कार खरीदने जाते हैं कारों के तमाम फीचर देखकर लोग भ्रमित हो जाते हैं। लेतिन इनमें से कुछ फीचर गैर जरूरी होते हैं और अगर आप इन पर 'लट्टू' होते हैं, तो समझिए आप इन पर पैसे बर्बाद कर रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही यूजलेस फीचर्स के बारे में...
जागो ग्राहक जागो: कारों के इन 'चमक-दमक' वाले फीचर्स पर मत हो जाना ‘लट्टू’, कर देंगे आपकी जेब खाली!
फेक प्लास्टिक रूफ रेल्स
पहले कार कंपनियां रूफ रेल्स उन कारों में लगाती थीं, रूफ पर भारी सामान ले जाने में सक्षम होती थीं। लेकिन अब ये फैशन बन गया है, खासतौर पर हैचबैक, एमपीवी और एसयूवी सेंगमेंट में। कार कंपनियां कार को बोल्ड लुक देने के लिए रूफ रेल्स लगाती हैं, और इसके बदले में हजारों रुपये ग्राहकों से निकाल लेती हैं। न तो इस सेगमेंट की कारों की बॉडी इतनी मजबूत होती है और न ही इंजन इतना पावरफुल होता है। सिंगल मेटल शीट के साथ आने वाली कारों की छत बेहद कमजोर होती है और रूफ रेल्स का कोई फायदा नहीं होता।
सनरूफ
एक समय था जब शेवरले ने अपनी ऑप्ट्रा कार में यह फीचर दिया था। जिसके बाद कई कार कंपनियों ने इस फीचर को देना शुरू कर दिया। वहीं अब कंपनियों ने मिड-लेवल हैचबैक्स और सस्ती कारों में भी यह फीचर दे रही हैं। भारत जैसे गर्म और नमी वाले देश में सनरूफ पर खर्च करना समझदारी नहीं है। जिन लोगों के पास सनरूफ वाली कारें हैं, खुद उनका अनुभव है कि इससे कार में धूल आ जाती है, वहीं शुरुआत में ओपन रूफ के साथ चलना लुभावना लगता है लेकिन बाद में इससे तौबा कर ली।
वॉयस रिकॉगनाइजेशन
जेम्स बॉन्ड की कारों की तरह आजकल कंपनियां कारों में वॉयस रिकॉगनाइजेशन फीचर दे रही हैं। लेकिन देखने में ये आया है कि आजकल इस फीचर के साथ आ रही कारों के मालिक इनका इस्तेमाल ही नहीं करते। बस शुरुआत में इसका क्रेज होता है, लेकिन बाद में केवल म्यूजिक प्ले करने तक ही सीमित रह जाता है। इस फीचर के लिए एक्स्ट्रा खर्च करने की कोई तुक नहीं है।
टच सेंसिटिव एसी कंट्रोल
यह फीचर है जिसे कार कंपनियां गाड़ियां बेचते समय लग्जरी फीचर के नाम से प्रचारित करती हैं। वहीं ड्राइविंग के दौरान हमारा मेन फोकस ड्राइविंग होता है, लेकिन यह फीचर कई बार हादसे भी करवा सकता है। एसी की स्पीड को नोब के जरिये कंट्रोल किया जा सकता है और ड्राइविंग के दौरान ये करना आसान होता है, यहां तक कि बिना देखे भी नोब को एडजस्ट किया जा सकता है। लेकिन टच सेंसिटिव बटन को दबाने के लिए फोकस करना पड़ता है।