Doomsday Clock: प्रलय के बेहद करीब दुनिया पहुंच चुकी है। वैज्ञानिकों की तरफ से इसको लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है। परमाणु वैज्ञानिकों ने दुनिया में तबाही का संकेत देने वाली घड़ी 'डूम्सडे क्लॉक' (Doomsday Clock) में 10 सेकेंड कम कर दिया है। यह तीन साल में पहली बार किया गया है। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (बीएएस) द्वारा इस कयामत की घड़ी में समय सेट किया जाता है।
Doomsday Clock: प्रलय के करीब पहुंची दुनिया! कयामत की घड़ी में 10 सेकेंड हुआ कम, जानिए क्या है डूम्सडे क्लॉक
अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में वैज्ञानिकों ने बताया कि तबाही के कगार पर दुनिया खड़ी है। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (बीएएस) ने इस दौरान बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, कोरोना महामारी, जलवायु संकट और जैविक खतरा सबसे बड़ा संकट बना हुआ है। उन्होंने कहा कि डूम्सडे क्लॉक कभी भी तबाही के इतनी ज्यादा करीब नहीं पहुंची है।
बीते तीन साल से डूम्सडे क्लॉक की सुई आधी रात से 100 सेकेंड की दूरी पर रुकी थी। उस समय बताया गया था कि अभी खतरा 100 सेकेंड की दूरी पर है। लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चरम पर पहुंचने की वजह से तबाही और करीब पहुंच गई है।
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' (बीएएस) के वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 1949 में जब रूस ने परमाणु बम आरडीएस-1 का परीक्षण किया था। इसके बाद दुनिया में तेजी से परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि उस समय यह घड़ी आधी रात से 180 सेकेंड की दूरी पर थी। उन्होंने बताया कि चार साल बाद 1953 में इसका समय घटकर 120 सेकेंड पर पहुंच गया। उस समय अमेरिका ने साल 1952 में पहले थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण किया था और शीत युद्ध चरम पर था।
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वैज्ञानिक इस कयामत की घड़ी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि मानवता के लिए समस्या पैदा करने वाली घटनाओं की वजह से दुनिया के तबाह होने में कितने सेकंड का समय और बचा है। डूम्सडे क्लॉक के मुताबिक, आधी रात होने में जितना कम समय बचेगा, उतना ही परमाणु और जलवायु संकट के खतरे के करीब दुनिया पहुंचेगी।