डिजिटल इंडिया मिशन के 10 वर्ष पूरे हो चूके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जश्न मनाते हुए अपने आधिकारिक लिंक्डइन हैंडल पर 'डिजिटल इंडिया का एक दशक' शीर्षक से एक ब्लॉग साझा किया है। उन्होंने डिजिटल इंडिया के दस वर्षों का सफर बयां किया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि किस प्रकार भारत 2014 में सीमित इंटरनेट पहुंच और डिजिटल सेवाओं से 2024 में डिजिटल प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रणी बन गया है।
Digital India: डिजिटल भारत के 10 साल पूरे; पीएम मोदी ने कहा- अगला दशक होगा और भी परिवर्तनकारी
डिजिटल इंडिया मिशन 1 जुलाई 2015 को शुरू हुआ। इसके दस वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश पहले की तुलना में कितना बदल गया है। भारत मे अब 97 करोड़ से अधिक इंटरनेट कनेक्शन हैं, जो 2014 के 25 करोड़ से उल्लेखनीय वृद्धि है। उन्होंने देश में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी यात्रा और शासन, अर्थव्यवस्था और रोजमर्रा की जिंदगी पर इसके व्यापक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।
तकनीक ने अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को खत्म किया
पीएम मोदी ने कहा कि पहले लोग इस बात पर संदेह करते थे कि भारतीय लोग तकनीक का सही इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं। लेकिन सरकार ने लोगों पर भरोसा किया और अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को भरने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया। आज, डिजिटल उपकरण 140 करोड़ भारतीयों के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। शिक्षा और व्यवसाय से लेकर सरकारी सेवाओं तक इसकी पहुंच है।
इंटरनेट कनेक्शन बढ़कर 97 करोड़ पहुंच गया
उन्होंने बताया कि 2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। अब यह संख्या 97 करोड़ से ज्यादा हो गई है। हाई-स्पीड इंटरनेट गलवान और सियाचिन जैसे दूरदराज के इलाकों में भी पहुंच गया है। देश का 5जी रोलआउट दुनिया में सबसे तेज है। इसमें सिर्फ दो साल में करीब 5 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
यूपीआई से हो रहा सालाना 100 अरब लेनदेन
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीआई जैसे प्लेफॉर्म पर जो दिया। यह अब सालाना 100 अरब से अधिक लेनदेन संभालता है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए 44 लाख करोड़ सीधे लोगों को भेजे गए हैं। इससे बिचौलियों को हटाकर लगभग 3.5 लाख करोड़ की बचत हुई है। डीबीटी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी या अन्य लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा कर दिए जाते हैं, बजाय किसी अन्य माध्यम से।
ओएनडीसी और जीईएम से हुआ करोड़ों का लेन-देन
उन्होंने बताया कि ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और सरकारी ई मार्केटप्लेस (Gem) जैसे प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों को बड़े बाजारों से जोड़कर उन्हें आगे बढ़ाने में कैसे मदद कर रहे हैं। ओएनडीसी ने हाल ही में 200 मिलियन लेन-देन को पार किया है, जबकि जीईएम ने केवल 50 दिनों में 1 लाख करोड़ से ज्यादा की ब्रिकी कर ली है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई सहित 22 लाख विक्रेताओं ने 46,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे किए हैं।। स्वामित्व योजना के तहत 2.4 करोड़ से ज्यादा प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए हैं और 6 लाख से ज्यादा गांवों का मानचित्रण किया गया है।
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ओएनडीसी ,यह एक खुला नेटवर्क है जिसका उद्देश्य भारत में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्य एक ऐसा मंच बनाना है जहां खरीदार और विक्रेता किसी भी प्लेटफॉर्म या ऐप का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकें, भले ही वे एक ही प्लेटफॉर्म पर न हों।
जीईएम,एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो भारत सरकार द्वारा सरकारी विभागों, संगठनों और सार्वजनिक उपक्रमों को वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए बनाया गया है।
स्वामित्व योजना, जिसे "सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक के साथ मानचित्रण" के रूप में भी जाना जाता है, एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में संपत्ति के मालिकों को कानूनी अधिकार प्रदान करना है।
CoWIN ने किए 220 प्रमाण पत्र जारी
भारत के डिजिटल उपकरण, जैसे आधार, CoWIN,डिजिलॉकर और FASTag अब अन्य देशों द्वारा उपोयग और अध्ययन किए जा रहे हैं। CoWIN ने 220 करोड़ प्रमाणत्र जारी करके दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के प्रबंधन में मदद की, जबकि 54 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथ डिजिलॉकर में अब 775 करोड़ से अधिक दस्तावेज हैं।