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जवान की आखिरी कॉल, 'मैं यहां ठीक हूं, टेंशन मत किया करो'... अगले दिन आई शहादत की खबर
अमर उजाला, चरखी दादरी
Published by: खुशबू गोयल
Updated Mon, 07 Sep 2020 03:17 PM IST
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पत्नी के साथ शहीद भूपेंद्र सिंह
- फोटो : अमर उजाला
एक दिन पहले परिवार वालों से फोन पर बात हुई और बोला मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं। टेंशन मत लिया करो और अगले ही दिन जवान की शहादत की खबर आ गई। नौगाम और पुंछ में पाकिस्तान की तरफ से की गई फायरिंग में शुक्रवार रात को शहीद हुए चरखी दादरी जिले के गांव बांस निवासी सिपाही भूपेंद्र सिंह का शव मंगलवार सुबह गांव पहुंचेगा। राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ वीर सपूत की अंत्येष्टि की जाएगी।
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शहीद भूपेंद्र सिंह
- फोटो : अमर उजाला
शहीद भूपेंद्र सिंह मात्र 23 साल के थे। गत 15 मार्च को ही एक माह की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटे थे। उनकी शादी 18 माह पहले हुई थी और सात माह पहले वह बेटे के पिता बने थे। ड्यूटी पर जाने से पहले भूपेंद्र ने पिता मल्खान सिंह से फोन पर बातचीत की थी और कहा था कि पापा मैं यहां ठीक हूं और आप मेरी टेंशन मत किया करो। शनिवार बाद दोपहर डेढ़ बजे उन्हें फोन पर बेटे की शहादत की सूचना मिली।
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शहीद भूपेंद्र सिंह के पिता मल्खान सिंह
- फोटो : अमर उजाला
बचपन से ही सेना में भर्ती होना का था सपना
शहीद भूपेंद्र सिंह 2015 में सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। उन्होंने अंबाला सेना भर्ती में भाग लिया था और उस समय वह बीए प्रथम वर्ष के छात्र थे। पिछले तीन साल से भूपेंद्र सिंह की पोस्टिंग बारामूला में थी। भूपेंद्र सिंह दो भाइयों में बड़े थे। 23 वर्ष की उम्र में मातृभूमि की रक्षा करते हुए प्राणों का बलिदान देने वाले भूपेंद्र सिंह की बचपन से ही रुचि सेना में जाने की थी। बारहवीं पास करते ही भूपेंद्र ने अंबाला में पहली सेना भर्ती में भाग लेकर सेना में जाने का अपना सपना पूरा किया था।
शहीद भूपेंद्र सिंह 2015 में सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। उन्होंने अंबाला सेना भर्ती में भाग लिया था और उस समय वह बीए प्रथम वर्ष के छात्र थे। पिछले तीन साल से भूपेंद्र सिंह की पोस्टिंग बारामूला में थी। भूपेंद्र सिंह दो भाइयों में बड़े थे। 23 वर्ष की उम्र में मातृभूमि की रक्षा करते हुए प्राणों का बलिदान देने वाले भूपेंद्र सिंह की बचपन से ही रुचि सेना में जाने की थी। बारहवीं पास करते ही भूपेंद्र ने अंबाला में पहली सेना भर्ती में भाग लेकर सेना में जाने का अपना सपना पूरा किया था।
शहीद के घर शोक मनाने पहुंचे ग्रामीण
- फोटो : अमर उजाला
छह घंटे तक बेटे की शहादत की बात छिपाए रखी
शहीद भूपेंद्र सिंह के पिता मल्खान सिंह ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि शनिवार दोपहर डेढ़ बजे उन्हें भूपेंद्र की शहादत की खबर मिली थी, लेकिन छह घंटे तक बेटे की शहादत की बात दिल में ही छिपाए रखी। इसके बाद उन्होंने अपने छोटे बेटे दीपक को यह बात बताई। अपनी पत्नी राजेश देवी और पुत्रवधू रेखा को देर शाम करीब साढ़े सात बजे शहादत की खबर दी।
शहीद भूपेंद्र सिंह के पिता मल्खान सिंह ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि शनिवार दोपहर डेढ़ बजे उन्हें भूपेंद्र की शहादत की खबर मिली थी, लेकिन छह घंटे तक बेटे की शहादत की बात दिल में ही छिपाए रखी। इसके बाद उन्होंने अपने छोटे बेटे दीपक को यह बात बताई। अपनी पत्नी राजेश देवी और पुत्रवधू रेखा को देर शाम करीब साढ़े सात बजे शहादत की खबर दी।
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भारतीय सेना के कमांडो
बेटा होने के चलते एक माह की आए थे छुट्टी
मल्खान सिंह ने बताया कि उनके बेटे भूपेंद्र और पुत्रवधू रेखा की शादी 18 माह पहले हुई थी। गत फरवरी माह में पत्नी की डिलिवरी होने के चलते भूपेंद्र छुट्टी लेकर आया था। एक माह रुकने के बाद वो गत 15 मार्च को ही वापस ड्यूटी पर चले गए थे। शहीद भूपेंद्र के सात माह का बेटा है। शहीद की पत्नी रेखा बीए पास है। भूपेंद्र सेना में भर्ती होने वाला परिवार का पहला सदस्य है। भूपेंद्र ने शहादत देकर पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मल्खान सिंह ने बताया कि उनका बड़ा बेटा परिवार के सदस्यों के चेहरों पर अपने लाडले को खोने का गम तो है, लेकिन उन्हें शहादत का गर्व भी है।
मल्खान सिंह ने बताया कि उनके बेटे भूपेंद्र और पुत्रवधू रेखा की शादी 18 माह पहले हुई थी। गत फरवरी माह में पत्नी की डिलिवरी होने के चलते भूपेंद्र छुट्टी लेकर आया था। एक माह रुकने के बाद वो गत 15 मार्च को ही वापस ड्यूटी पर चले गए थे। शहीद भूपेंद्र के सात माह का बेटा है। शहीद की पत्नी रेखा बीए पास है। भूपेंद्र सेना में भर्ती होने वाला परिवार का पहला सदस्य है। भूपेंद्र ने शहादत देकर पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। मल्खान सिंह ने बताया कि उनका बड़ा बेटा परिवार के सदस्यों के चेहरों पर अपने लाडले को खोने का गम तो है, लेकिन उन्हें शहादत का गर्व भी है।