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Dehradun Flood: जख्मी पहाड़ों के रास्ते बच्चों को लेकर भागे लोग, पांच घंटे नहीं मिला दूध, भूख से सूखे होंठ

माई सिटी रिपोर्टर, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 17 Sep 2025 12:29 PM IST
सार

देहरादून में सहस्रधारा से पांच किमी ऊपर की ओर स्थित मजाडा गांव में बादल फटा तो लोगों के घर हिलने लगे। नींद खुली तो बाहर चीख-पुकार मची थी। सीटियां बजाकर और टॉर्च जलाकर लोग एक-दूसरे को सुरक्षित स्थान पर एकत्रित करने के लिए आह्वान कर रहे थे। जमाडा गांव के दीपू और जामा ने यह आपबीती सुनाई। 

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Dehradun Flood People fled with innocent children through the mountains not get milk for five hours
बच्चों को लेकर निकले लोग - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

सहस्त्रधारा के ऊपर बसे गांवों मजाडा, चामासारी और जमाडा में बादल फटने से मची तबाही के बाद कई परिवार सुरक्षित स्थानों के लिए पैदल ही निकल पड़े। इस दौरान उनके साथ मौजूद छोटे बच्चों को घंटों तक भूखे रहना पड़ा और जान जोखिम में डालकर पहाड़ी रास्तों से गुजरना पड़ा।

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जमाडा गांव की सुषमा, निशा और पूजा ने बताया कि रात में बादल फटने के बाद वे अपने पूरे परिवार के साथ घर छोड़कर भागे। इस दौरान उनका घर और खाने-पीने का सारा सामान मलबे में बह गया। उनके साथ नौ बच्चे भी थे जिन्हें पांच घंटे तक दूध नहीं मिल पाया।
 

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Dehradun Flood People fled with innocent children through the mountains not get milk for five hours
रास्ता पार करते लोग - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

भूखे बच्चे रास्ते भर दूध के लिए रोते-बिलखते रहे। भूख के साथ ही रास्ते भर जान का खतरा सता रहा था। महिलाओं ने बताया कि रात में बिजली कड़क रही थी और भारी बारिश हो रही थी जिससे पहाड़ी रास्तों पर पत्थर गिरने का खतरा था। ऐसे में जान बचाना बेहद मुश्किल था। घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद वे किसी तरह सहस्त्रधारा तक पहुंच पाए।

 

 

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देहरादून आपदा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

इन परिवारों के साथ आए छोटे बच्चों के होंठ भूख से सूख गए थे और उनके चेहरे पर आंसू की लकीरें साफ दिख रही थीं। बच्चों को शायद यह समझ आ गया था कि अब उनके माता-पिता उन्हें दूध नहीं दे पाएंगे क्योंकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।

Dehradun Flood People fled with innocent children through the mountains not get milk for five hours
बच्चा सड़क पार करता - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

जमाडा गांव की पूजा ने बताया कि वे किसी तरह अपनी जान बचाकर यहां तक तो पहुंच गए हैं लेकिन अब उन्हें नहीं पता कि वे अपने बच्चों को लेकर कहां जाएंगे। उनका बनाया हुआ घर पूरी तरह से टूट चुका है और भविष्य की राह अनिश्चित है। आगे क्या होगा, कहां जाएंगे कुछ पता नहीं।

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देहरादून आपदा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

रात करीब एक बजे जब पहली बार बादल फटा तो बाहर लोगों की चीख-पुकार मची थी। थोड़ी देर बाद बाहर का माहौल शांत हुआ तो लगा तबाही टल गई लेकिन तड़के करीब चार बजे फिर से घर की जड़ें हिलने लगीं। तब लोगों को लगा कि अब कुछ नहीं बचेगा। इसके बाद वे घरों से बाहर निकल गए। लोगों को सीटियां और टॉर्च जलाकर गांव में एक जगह एकत्रित किया गया। 

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