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क्रिकेट की दुनिया के चमकते सितारे बने धोनी, लेकिन पैतृक गांव में आज तक नहीं बना एक खेल का मैदान
यासिर खान/रोहित भट्ट, अमर उजाला, अल्मोड़ा
Published by: अलका त्यागी
Updated Mon, 17 Aug 2020 03:02 PM IST
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अपनी कप्तानी से देश-विदेश में लोहा मनवाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का पैतृक गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यहां अब तक खेल मैदान तक नहीं है। हालांकि समीपवर्ती गांव में पहले खेल मैदान बनाया गया। लेकिन मूल गांव के ग्रामीण आज भी धोनी के नाम का खेल मैदान बनने की राह देख रहे हैं। इसके अलावा गांव के लिए जैंती से ल्वाली मोटरमार्ग का भी निर्माण नहीं हो सका है।
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16 साल पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में करियर शुरू करने वाले धोनी के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। उनके नेतृत्व में ही भारतीय टीम ने दोबारा वर्ल्ड कप जीता। खेल जगत में लंबा समय गुजार चुके पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अब सन्यास का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन उनके पैतृक गांव सालम के ल्वाली की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। गांव में खेल मैदान तक की सुविधा नहीं हो पाई।
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धोनी के रिश्ते के भाई क्षेत्र पंचायत सदस्य हयात सिंह धोनी ने बताया कि लंबे समय से ग्रामीण गांव में धोनी के नाम का खेल मैदान बनवाना चाहते हैं। हालांकि गांव से ही करीब दो किमी दूर थुवासिमल बचकांडे में छह साल पूर्व धोनी के नाम से खेल मैदान बनाया गया, लेकिन यह गांव से काफी दूर बना। ग्रामीण धोनी के नाम से गांव में ही खेल का मैदान बनाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ने जैंती-ल्वाली मोटरमार्ग निर्माण की घोषणा की थी। लेकिन मोटरमार्ग का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है। गांव के लोगों को 16 किमी लंबे मार्ग से होकर विभिन्न कार्यों के लिए जैंती जाना पड़ता है।
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एकता बिष्ट के साथ धोनी
- फोटो : अमर उजाला
महिला क्रिकेटर एकता बिष्ट ने कहा कि उनके संन्यास के फैसले से वे काफी हैरान हैं। वह अब भी उन्हें आगामी टी-20 सीरीज में खेलता देखना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले वर्ष न्यूजीलैंड में हुई क्रिकेट श्रृंखला में गई हुई थीं। वहां उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी से मुलाकात की। धोनी और एकता के बीच काफी लंबे समय तक बातचीत हुई। धोनी ने एकता को क्रिकेट के कई गुर सिखाए। उन्होंने खेले मैदान में दबाव को दूर करने के लिए उन्हें कुछ सुझाव भी दिए।
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फैंस के साथ सुरेश रैना
- फोटो : अमर उजाला
महेंद्र सिंह धोनी के साथ ही सुरेश रैना ने भी स्वतंत्रता दिवस पर क्रिकेट से अलविदा कह दिया है। सुरेश रैना को भी अल्मोड़ा की आबोहवा बहुत पसंद थी। 2017 में वह यहां आए हुए थे। उन्होंने अल्मोड़ा के स्टेडियम की तुलना धर्मशाला से की थी। बिनसर में बुरांश के फूलों ने रैना को जमकर लुभाया था। रैना ने तब पहाड़ों के मौसम और अल्मोड़ा की जमकर तारीफ की थी। बार-बार यहां आकर ट्रैकिंग करने की भी इच्छा जताई थी। इस दौरान कई लोगों ने उनके साथ सेल्फी भी खिचवाईं थी।
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