फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ की कामयाबी हिंदी सिनेमा के लिए एक नई संजीवनी बनकर आई है। फिल्म के निर्देशक अनीस बज्मी ने इसमें बहुत चतुराई से आज के युवाओं की पसंद में परंपराओं का प्यार घोला है। फिल्म संस्कारों, परंपराओं और रीति रिवाजों का चोला तो पहने है लेकिन फिल्म की आत्मा पूरी तरह आधुनिक है। फिल्म बच्चों से लेकर बड़ों तक पसंद आ रही है और फिल्म की रिपीट ऑडियंस के बढ़ने से इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन दूसरे हफ्ते भी मजबूत रहने की उम्मीद नजर आ रही है। मशहूर शायर अब्दुल हमीद बज्मी के बेटे अनीस की तैयारी अब ‘नो एंट्री’ का सीक्वल बनाने की है, इसके अलावा उनकी कंपनी जल्द ही ओटीटी कारोबार में भी उतर रही है और उनकी पहली वेब सीरीज का खाका भी बनकर तैयार है। अनीस बज्मी से ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने ये खास मुलाकात की।
Bhool Bhulaiyaa 2: ‘भूल भुलैया 2’ का क्या है मनमोहन देसाई कनेक्शन, जानिए इसके निर्देशक अनीस बज्मी से
मुंबई में अपने शुरुआती दिनों की याद करते हुए अनीस बताते हैं, ‘अपने वालिद के साथ मुंबई के वजीर होटल में मैंने उस दौर के तमाम बड़े शायरों को चाय पिलाई है, उनके लिए पान-सिगरेट लेकर आया हूं। उसी दौर में 11-12 साल की उम्र में लिखने का शौक पनपा। शुरू में शायरी की कोशिश की लेकिन जल्द ही समझ आ गया कि मैं इसके लिए नहीं बना हूं।’
अनीस बज्मी हिंदी सिनेमा के उन गिने चुने निर्देशकों मे से हैं जिन्होंने तीन पीढ़ियों के सुपर सितारों के साथ काम किया है। राजेश खन्ना से लेकर कार्तिक आर्यन तक उन्होंने तमाम बदलाव भी हिंदी सिनेमा के देखे। वह कहते हैं, ‘शोहरत की कसौटी पर खरा उतरना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इस बात का एहसास मुझे अपनी पहली फिल्म ‘स्वर्ग’ के दिनों से है। इस फिल्म की रिलीज के तुरंत बाद यश चोपड़ा जी के यहां से मुझे फोन आया। मैं मिलने गया तो उनकी पत्नी पामेला चोपड़ा ने मेरी अगली फिल्म ‘प्रतिबंध’ का जिक्र किया। चिरंजीवी उस फिल्म के हीरो थे लेकिन पामेला जी ने कहा कि हम लोग पोस्टर पर आपका नाम देखकर फिल्म देखने गए।’
फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ की कामयाबी की एक ब़ड़ी वजह इसका आज के दर्शकों से संबंध जोड़ पाना भी माना जा रहा है। अनीस कहते हैं, ‘मैं लगातार बदलाव में यकीन रखता हूं। निर्देशक का असली काम है समय के साथ खुद को बदलते रहना। मैं पहले भी ये कर चुका हूं और आगे भी करता रहूंगा। ये बात मैंने हिंदी सिनेमा के महान निर्देशक मनमोहन देसाई से सीखी। मैं भी उनकी तरह हर उम्र के लोगों के साथ उठता बैठता हूं। बच्चों के साथ वक्त बिताता हूं और उनकी सोच को अपने सिनेमा में लाने की कोशिश करता हूं।’
कम लोगों को ही पता है कि निर्देशक अनीस बज्मी फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं। फिल्म ‘नसीब’ में उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बचपन वाला रोल किया है। मनमोहन देसाई को वह अपना आदर्श भी मानते हैं और उनकी कंपनी के लिए फिल्म ‘दीवाना मस्ताना’ लिख भी चुके हैं। लेखन से अपना करियर शुरू करने वाले अनीस बज्मी के साथ अब लेखकों की एक बड़ी टीम है और वह मानते हैं कि टीमवर्क ही किसी इंसान की तरक्की की असली सीढ़ी होती है।