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Cancer Risk: कैंसर की फैमिली हिस्ट्री वालों के लिए जरूरी सलाह, समय रहते ये कदम उठाकर आप हो सकते हैं सुरक्षित

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 19 Dec 2025 07:22 PM IST
सार

शोध बताते हैं कि कुछ प्रकार के कैंसर जैसे स्तन कैंसर, कोलन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर में जेनेटिक भूमिका होती है। अगर माता-पिता, भाई-बहन या नजदीकी रिश्तेदार को कैंसर रहा हो, तो आपके शरीर में भी कुछ ऐसे जीन हो सकते हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। 

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कैंसर होने का खतरा - फोटो : Adobe Stock

Cancer Risk: लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी ने जिन गंभीर बीमारियों के खतरे को सबसे ज्यादा बढ़ा दिया है, कैंसर उनमें से एक है। कुछ दशकों पहले तक कैंसर के मामले न सिर्फ कम थे, बल्कि इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारियों में से एक माना जाता था, हालांकि अब ये डायबिटीज और हृदय रोगों जितना आम हो गया है।



विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों के अनुसार, बदलती जीवनशैली, बढ़ता प्रदूषण, खान-पान की गड़बड़ी और आनुवंशिकता (जेनेटिक)  कैंसर के मामलों में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। अगर आपके परिवार में पहले किसी को कैंसर रहा है, तो अगली पीढ़ी में इसका खतरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।

अगर आपमें भी इस तरह का जोखिम है तो आइए जानते हैं कि आप कैंसर के खतरे से बचे रहने के लिए कौन से उपाय कर सकते हैं?

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कैंसर से बचाव के तरीके - फोटो : Freepik.com

कैंसर के मामले और इसका खतरा

अध्ययनों में खान-पान की गड़बड़ी जैस जंक और प्रोसेस्ड फूड, तली-भुनी चीजें, तंबाकू और शराब आदि को कैंसर का खतरा बढ़ाने वाला माना जाता रहा है। इसके अलावा हवा, पानी और भोजन में मौजूद हानिकारक रसायन भी शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले हो सकते हैं।

शोध बताते हैं कि कुछ प्रकार के कैंसर जैसे स्तन कैंसर, कोलन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर में जेनेटिक भूमिका भी होती है। अगर माता-पिता, भाई-बहन या नजदीकी रिश्तेदार को कैंसर रहा हो, तो आपके शरीर में भी कुछ ऐसे जीन हो सकते हैं जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि कैंसर होना तय है, लेकिन सावधानी और समय पर जांच बेहद जरूरी हो जाती है।

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समय रहते बीमारियों का पता लगाना जरूरी - फोटो : Adobe stock photos

आनुवांशिक जोखिमों को कैसे कम करें?

कैंसर के आनुवांशिक खतरे को कम करने के लिए कम उम्र से कुछ सावधानियां जरूरी हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आपके लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि परिवार में पहले किस प्रकार का कैंसर रह चुका है और जिसे कैंसर था उनमें इसका पता किस उम्र में चला था? तीन पीढ़ियों का पारिवारिक इतिहास डॉक्टरों को वंशानुगत जोखिम का सही आकलन करने में मदद करता है।

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कैंसर का पारिवारिक इतिहास - फोटो : Adobe stock photos

परिवार में पहले से रह चुके कैंसर के खतरे को कम करने के लिए आप जेनेटिक काउंसलिंग की मदद ले सकते हैं। अगर परिवार में किसी को कम उम्र में कैंसर रहा है या एक ही कैंसर वाले कई रिश्तेदार हैं तो जेनेटिक काउंसलिंग यह तय करने में मदद कर सकती है कि हाई-रिस्क जीन के लिए टेस्टिंग करवाना सही है या नहीं। इन नतीजों के आधार पर रोकथाम और स्क्रीनिंग में मदद मिल सकती है।
 
कैंसर के खतरे को जानने के लिए कराएं जांच

मैमोग्राम, कोलोनोस्कोपी, पैप टेस्ट जैसी रूटीन स्क्रीनिंग अक्सर लक्षण शुरू होने से पहले ही कैंसर का पता लगा लेती हैं। ज्यादा जोखिम वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई बार स्क्रीनिंग की सलाह दे सकते हैं ताकि आपके खतरे का अंदाजा लगाया जा सके। 

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धूम्रपान से बनाएं दूरी - फोटो : Freepik.com

तंबाकू और शराब से बिल्कुल दूरी

तंबाकू या धूम्रपान के कारण फेफड़े, मुंह, गले, अन्नप्रणाली जैसे कई अन्य कैंसर का खतरा रहता है। तंबाकू का इस्तेमाल न करना कैंसर से बचाव के सबसे असरदार तरीकों में से एक है। इसी तरह से शराब भी कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ाती है। इससे ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल और लिवर कैंसर का खतरा रहता है। शराब का सेवन कम करने या पूरी तरह से छोड़ने से उन लोगों में भी जोखिम कम हो सकता है जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है।

शारीरिक मेहनत जरूरी 

मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता कैंसर के जोखिम कारक माने जाते हैं। नियमित व्यायाम और वज़न प्रबंधन हार्मोन को नियंत्रित करने, सूजन को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं, जिससे समय के साथ कैंसर का खतरा कम होता है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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