सर्दी-खांसी की सिरप के चलते मध्यप्रदेश में 20 से अधिक बच्चों की मौत का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा है कि आरंभिक जांच रिपोर्ट में दूषित कप सिरप से बच्चों की किडनियां फेल होने से मौतें हुई हैं। संबंधित कप सिरप को जिले में प्रतिबंधित कर दिया गया है। मामले में आगे जांच जारी है।
इस बीच स्वास्थ्य सेवा महानिदेशाल (डीजीएचएस) ने बच्चों के इलाज के लिए कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर सलाह जारी की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं न देने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, हो रही है जांच
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है, पानी, एंटोमोलॉजिकल वेक्टर और श्वसन सैंपल की एनईईआरआई, एनआईवी पुणे और अन्य प्रयोगशालाओं में जांच चल रही है। विशेषज्ञों की टीम इन मामलों के पीछे के सभी संभावित कारणों की जांच कर रही है। दूषित कफ सिरप के सेवन से राजस्थान में दो बच्चों की मौत से संबंधित रिपोर्टों के संबंध में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित उत्पाद में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं है, जो दूषित पदार्थों, डीईजी का संभावित स्रोत हो सकता है।
Ministry of Health and Family Welfare says, "Samples of water, entomological vectors, and respiratory specimens are under further investigation by NEERI, NIV Pune, and other laboratories. A multi-disciplinary team comprising experts from NCDC, NIV, ICMR, AIIMS Nagpur, and state…
— ANI (@ANI) October 3, 2025
राज्य के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों की टीम में विभिन्न कफ सिरप के सैंपल सहित कई नमूने एकत्र किए। परीक्षण के परिणामों के अनुसार, किसी भी सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) नहीं था, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। मध्य प्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने भी तीन सैंपल का परीक्षण किया और वहीं से भी डीईजी/ईजी न होने की पुष्टि हुई।