Diwali 2025: रोशनी, खुशियों और एकजुटता के पर्व दीपावली की पूरे देशभर में धूम है। मां लक्ष्मी और श्री गणेश से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना के साथ सभी लोग घरों में दीपक जलते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और आसमान पटाखों की चमक से जगमगा उठता है। हालांकि दिवाली के उत्सव के साथ-साथ सभी लोगों को अपनी सेहत को लेकर भी सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।
Diwali 2025: पटाखों का धुआं कहीं बन न जाए आफत, अस्थमा और सांस के मरीज जरूर जान लें ये बातें
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को पहले से ही किसी प्रकार की श्वसन समस्या हो उन्हें दिवाली के दौरान अपनी सेहत को लेकर बहुत सावधानी बरतते रहने की आवश्कता होती है। थोड़ी सी लापरवाही त्योहार के उत्साह को फीका कर सकती है।


दिवाली और सांस की समस्याओं का जोखिम
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक अस्पताल में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ गरिमा सेकिया कहती हैं, हर बार दिवाली के बाद बड़ी संख्या में मरीज सांस से संबंधित जटिलताओं की शिकयत के साथ अस्पतालों में आते हैं। नवंबर से लेकर जनवरी तक दिल्ली की हवा की गुणवत्ता आमतौर पर प्रभावित देखी जाती है। इसलिए जरूरी है कि दिवाली से पहले ही आप उन उपायों के बारे में जान लें जो आपको किसी समस्या से बचाने में मददगार हो सकती हैं।
दिवाली के दौरान पटाखे जलाने के कारण हवा में मौजूद पीएम2.5 सामान्य दिनों की तुलना में 5 से 7 गुना तक बढ़ जाते हैं। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सांस लेने में तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन और यहां तक कि अस्थमा अटैक का कारण बन सकते हैं।
इसलिए जरूरी है कि दिवाली की खुशियां मनाते हुए हम अपनी सेहत का भी ध्यान रखें। आइए जानते हैं कि आपके लिए कौन से उपाय मददगार हो सकते हैं?
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पटाखों के धुंए के संपर्क से बचें
दिवाली में पटाखों से निकलने वाला धुंआ और गैसों से अस्थमा और सांस की समस्याओं के बढ़ने का खतरा होता है। इनमें सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व हो सकते हैं फेफड़ों में सूजन पैदा करते हैं।
दिवाली के दौरान हवा में प्रदूषकों का स्तर सामान्य से 6 गुना तक बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी और सीने में जकड़न महसूस होती है।
किसी भी तरह की श्वसन समस्या से बचे रहने के लिए दिवाली के दौरान बाहर जाने से बचें, खासकर रात के समय जब धुंआ ज्यादा होता है। घर की खिड़कियां बंद रखें और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें ताकि सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो मास्क जरूर पहनें।

इनडोर प्रदूषण भी हो सकता है खतरनाक
पटाखों के धुंआ और प्रदूषण से श्वसन समस्याओं का जितना खतरा होता है, उतना ही खतरा आपको इनडोर प्रदूषण से भी होता है। दिवाली के समय घर में अगरबत्ती, दीये और धूपबत्ती का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे घर के अंदर भी प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।
इनडोर प्रदूषण सांस की बीमारियों को ट्रिगर करने का एक बड़ा कारण है। ऐसे में सांस के मरीजों को घर की हवा साफ रखने के लिए कमरे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगरबत्ती या धूप के धुंए से समस्या ट्रिगर हो सकती है इसलिए इसके भी सीधे संपर्क में आने से बचें।
दवा और इनहेलर साथ रखें
प्रदूषण और गैसें अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं का ट्रिगर करने वाली हो सकती हैं। ऐसे में मरीजों को हमेशा इनहेलर, नेबुलाइजर और जरूरी दवाएं अपने पास रखनी चाहिए। अगर किसी कारण से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, या सीटी जैसी आवाज आने लगे तो तुरंत दवा लें और डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी दवाओं को समय पर लेना और डॉक्टर द्वारा बताई गई डोज का पालन करना बेहद जरूरी है ताकि स्थिति बिगड़ने से पहले कंट्रोल में लाई जा सके।

शरीर को हाइड्रेट रखें
प्रदूषण के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की कमी और डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। इससे गले और फेफड़ों में सूजन होती है। वहीं त्योहारों के समय में अमूमन लोग कम पानी पाते हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से बलगम गाढ़ा होता है और सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसलिए दिनभर में खूब पानी पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन की दिक्कत से बचा जा सके।
डॉ गरिमा कहती हैं, अगर दिवाली के दौरान तेज खांसी, सीने में भारीपन, सांस फूलने या सिर दर्द की दिक्कत महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह अस्थमा अटैक या एलर्जिक रिएक्शन का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में तुरंत इनहेलर या जरूरी दवाओं का इस्तेमाल करें और यदि राहत न मिले तो अस्पताल पहुंचें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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