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Diwali 2025: पटाखों का धुआं कहीं बन न जाए आफत, अस्थमा और सांस के मरीज जरूर जान लें ये बातें

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 20 Oct 2025 12:44 PM IST
सार

  • स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को पहले से ही किसी प्रकार की श्वसन समस्या हो उन्हें दिवाली के दौरान अपनी सेहत को लेकर बहुत सावधानी बरतते रहने की आवश्कता होती है। थोड़ी सी लापरवाही त्योहार के उत्साह को फीका कर सकती है।

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दिवाली में बढ़ सकती है सांस की समस्या - फोटो : Freepik.com

Diwali 2025: रोशनी, खुशियों और एकजुटता के पर्व दीपावली की पूरे देशभर में धूम है। मां लक्ष्मी और श्री गणेश से सुख-समृद्धि और धन-धान्य की कामना के साथ सभी लोग घरों में दीपक जलते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और आसमान पटाखों की चमक से जगमगा उठता है। हालांकि दिवाली के उत्सव के साथ-साथ सभी लोगों को अपनी सेहत को लेकर भी सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।



असल में दिवाली के दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है, इसके संपर्क में आने से तमाम प्रकार की बीमारियों का जोखिम हो सकता है। इस बार दिवाली से पहले ही राजधानी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, दिवाली के बाद दिल्ली की हवा की गुणवत्ता और भी खराब होने की आशंका जताई जा रही है। हवा की गुणवत्ता में खराबी अस्थमा, एलर्जी और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को पहले से ही किसी प्रकार की श्वसन समस्या हो उन्हें दिवाली के दौरान अपनी सेहत को लेकर बहुत सावधानी बरतते रहने की आवश्कता होती है। थोड़ी सी लापरवाही त्योहार के उत्साह को फीका कर सकती है।

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दिवाली में प्रदूषण बढ़ने का खतरा - फोटो : Adobe Stock

दिवाली और सांस की समस्याओं का जोखिम

अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक अस्पताल में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ गरिमा सेकिया कहती हैं, हर बार दिवाली के बाद बड़ी संख्या में मरीज सांस से संबंधित जटिलताओं की शिकयत के साथ अस्पतालों में आते हैं। नवंबर से लेकर जनवरी तक दिल्ली की हवा की गुणवत्ता आमतौर पर प्रभावित देखी जाती है। इसलिए जरूरी है कि दिवाली से पहले ही आप उन उपायों के बारे में जान लें जो आपको किसी समस्या से बचाने में मददगार हो सकती हैं।

दिवाली के दौरान पटाखे जलाने के कारण हवा में मौजूद पीएम2.5 सामान्य दिनों की तुलना में 5 से 7 गुना तक बढ़ जाते हैं। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर सांस लेने में तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन और यहां तक कि अस्थमा अटैक का कारण बन सकते हैं।

इसलिए जरूरी है कि दिवाली की खुशियां मनाते हुए हम अपनी सेहत का भी ध्यान रखें। आइए जानते हैं कि आपके लिए कौन से उपाय मददगार हो सकते हैं?


(त्योहार के उत्साह में दिल की सेहत को न करें अनदेखा, डॉक्टर ने दिए हृदय रोगियों के लिए जरूरी टिप्स)

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प्रदूषण के कारण सांस की समस्या - फोटो : Adobe Stock

पटाखों के धुंए के संपर्क से बचें

दिवाली में पटाखों से निकलने वाला धुंआ और गैसों से अस्थमा और सांस की समस्याओं के बढ़ने का खतरा होता है। इनमें सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व हो सकते हैं फेफड़ों में सूजन पैदा करते हैं।

दिवाली के दौरान हवा में प्रदूषकों का स्तर सामान्य से 6 गुना तक बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी और सीने में जकड़न महसूस होती है।

किसी भी तरह की श्वसन समस्या से बचे रहने के लिए दिवाली के दौरान बाहर जाने से बचें, खासकर रात के समय जब धुंआ ज्यादा होता है। घर की खिड़कियां बंद रखें और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें ताकि सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो मास्क जरूर पहनें।

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प्रदूषण से बचाव के करें उपाय - फोटो : Freepik.com

इनडोर प्रदूषण भी हो सकता है खतरनाक

पटाखों के धुंआ और प्रदूषण से श्वसन समस्याओं का जितना खतरा होता है, उतना ही खतरा आपको इनडोर प्रदूषण से भी होता है। दिवाली के समय घर में अगरबत्ती, दीये और धूपबत्ती का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे घर के अंदर भी प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।

इनडोर प्रदूषण सांस की बीमारियों को ट्रिगर करने का एक बड़ा कारण है। ऐसे में सांस के मरीजों को घर की हवा साफ रखने के लिए कमरे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगरबत्ती या धूप के धुंए से समस्या ट्रिगर हो सकती है इसलिए इसके भी सीधे संपर्क में आने से बचें।

दवा और इनहेलर साथ रखें 

प्रदूषण और गैसें अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं का ट्रिगर करने वाली हो सकती हैं। ऐसे में मरीजों को हमेशा इनहेलर, नेबुलाइजर और जरूरी दवाएं अपने पास रखनी चाहिए। अगर किसी कारण से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, या सीटी जैसी आवाज आने लगे तो तुरंत दवा लें और डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी दवाओं को समय पर लेना और डॉक्टर द्वारा बताई गई डोज का पालन करना बेहद जरूरी है ताकि स्थिति बिगड़ने से पहले कंट्रोल में लाई जा सके।

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सांस की समस्याएं मेडिकल इमरजेंसी - फोटो : Adobe Stock

शरीर को हाइड्रेट रखें 

प्रदूषण के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की कमी और डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। इससे गले और फेफड़ों में सूजन होती है। वहीं त्योहारों के समय में अमूमन लोग कम पानी पाते हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से बलगम गाढ़ा होता है और सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसलिए दिनभर में खूब पानी पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन की दिक्कत से बचा जा सके।

डॉ गरिमा कहती हैं, अगर दिवाली के दौरान तेज खांसी, सीने में भारीपन, सांस फूलने या सिर दर्द की दिक्कत महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह अस्थमा अटैक या एलर्जिक रिएक्शन का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में तुरंत इनहेलर या जरूरी दवाओं का इस्तेमाल करें और यदि राहत न मिले तो अस्पताल पहुंचें।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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