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Delhi-NCR: 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंची दिल्ली की आबोहवा, दिवाली मनाने से पहले जान लें डॉक्टर्स की ये सलाह

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 20 Oct 2025 03:12 PM IST
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सार

  • प्रदूषण के कारण बिगड़ते हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पहले ही यहां ग्रेप-2 (GRAP स्टेज-II) लागू कर दिया है।
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी सभी लोगों को प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचने और त्योहारो के दौरान विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।

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प्रदूषण और सेहत पर इसका असर - फोटो : Amarujala.com
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Diwali 2025: देशभर में रोशनी, आनंद और उत्साह के पर्व दीपावली की धूम है। अमर उजाला परिवार की तरफ से सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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राज्यों से प्राप्त हो रही जानकारियों के मुताबिक सभी जगह लोग खूब उत्साह के साथ दिवाली मना रहे हैं। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी दिवाली की धूम देखी जा रही है। हालांकि इस उत्साह के पहले ही दिल्ली की आबोहवा पर प्रदूषण का असर देखा जाने लगा था। 
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिवाली की सुबह दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुंच गया है। इससे पहले रविवार की शाम यानी दिवाली की पूर्व संध्या पर 38 में से 24 निगरानी स्टेशनों ने प्रदूषण का स्तर "बहुत खराब" श्रेणी में दर्ज किया, आनंद विहार में एक्यूआई 400 पार कर गया। पटाखों और मौसम की वजह से दिवाली से पहले ही वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

प्रदूषण के कारण बिगड़ते हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पहले ही यहां ग्रेप-2 (GRAP स्टेज-II) लागू कर दिया है। इसके साथ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी सभी लोगों को प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचने और त्योहारो के दौरान विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी है।

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प्रदूषण का बढ़ता खतरा - फोटो : Amar Ujala

हवा की गुणवत्ता हो रही है खराब

दिल्ली में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता को देखते हुए सड़कों पर पानी का छिड़काव, निर्माण कार्यों की जांच, ट्रैफिक पर नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और डीजल जेनरेटर पर रोक जैसे नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है। 

डॉक्टरों ने कहा है कि जिन लोगों को पहले से ही सांस की समस्या है या फिर किसी प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों का शिकार हैं उनके लिए ये वातावरण समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है, ऐसे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतते रहना चाहिए।

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सांस के मरीज बरतें खास सावधानियां - फोटो : Freepik.com

सांस के मरीज रहें सावधान

दिल्ली-एनसीआर में हवा की खराब होती गुणवत्ता को देखते हुए अमर उजाला से बातचीत में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अमृत सहाय कहते हैं, फसल जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं और आतिशबाजी से निकलने वाले सूक्ष्म कणों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। इससे सीओपीडी, अस्थमा या टीबी जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों में श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

जिन लोगों को पहले से श्वसन संबंधी कोई समस्या नहीं है, उन्हें भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। बच्चे,बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ सकती हैं। दिवाली के समय घर से बाहर निकलते समय सुरक्षात्मक तौर से मास्क जरूर लगाएं। जिन्हें पहले से ही सांस की समस्या है वह धुंआ और प्रदूषण से बचाव को लेकर विशेष सावधानी बरतें।

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प्रदूषण के कारण हृदय की सेहत पर असर - फोटो : Adobe Stock Images

प्रदूषण का दिल की सेहत पर असर

इसी तरह हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अमित श्रीवास्तव कहते हैं, प्रदूषण की स्थिति सांस के साथ दिल के मरीजों के लिए भी खतरनाक है। इससे ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कन बढ़ने जैसी हृदय से संबंधित समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं, जोकि खतरनाक हो सकता है। पटाखों के तेज शोर के कारण भी पहले से दिल के मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ने का खतरा रहता है, इसलिए दिवाली के समय में अपनी सेहत को लेकर खास सावधानी बरतें।

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प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याएं - फोटो : Freepik.com

इन सावधानियों का रखें ध्यान

  • डॉक्टर कहते हैं, 300 से ऊपर का एक्यूआई खतरनाक माना जाता है। इसके अलावा सर्दियों की शुरुआत के कारण तापमान में भी गिरावट आ रहा है जो सेहत के लिए चुनौतीपूर्ण है। इसलिए अपनी बाहरी गतिविधियों को सीमित रखें। प्रदूषण के समय विशेषकर सुबह और शाम को घर से बाहर कम से कम निकलें। 
  • पानी आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शुद्ध कर सकता है। इसलिए दिनभर में खूब पानी पीते रहें। पानी पीते रहने से श्वसन समस्याओं को ट्रिगर होने से भी रोका जा सकता है।
  • जिन लोगों को पहले से ही श्वसन या हृदय संबंधी समस्या है, उन्हें किसी भी प्रकार की असहजता होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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