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Health Alert: डेंगू-मलेरिया नहीं अब ये मच्छर जनित रोग बना विशेषज्ञों की चिंता, यहां पर लॉकडाउन जैसे हालात

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 07 Sep 2024 12:46 PM IST
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Eastern Equine Encephalitis in us states know its causes symptoms and risk in details
मच्छर जनित रोगों का खतरा - फोटो : amarujala

मच्छर जनित रोगों के कारण वैश्विक स्तर पर हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। भारत में भी इन दिनों इस तरह के रोगों से बचाव के लिए लोगों को सावधान किया गया है। मानसून के दिनों में देशभर में डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के कारण बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं और अस्पतालों में भीड़ बढ़ जाती है।



हालिया रिपोर्ट्स भी चिंताजनक हैं, जिसमें पता चलता है कि कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में डेंगू के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कर्नाटक में बिगड़ते हालात को देखते हुए यहां डेंगू को महामारी तक घोषित कर दिया गया है।

डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया से इतर इन दिनों कुछ देशों में एक और मच्छर जनित रोग स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा रहा है। खबरों के मुताबिक यूएस के कई स्टेट्स ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस (ईईई) नामक गंभीर रोग का प्रकोप झेल रहे हैं। इतना ही नहीं कई शहरों में लॉकडाउन जैसे हालात बन गए हैं, जहां लोगों से घरों में ही रहने की अपील की गई है।

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ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस का खतरा (प्रतीकात्मक) - फोटो : freepik.com

क्या है ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस?

ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस जिसे ट्रिपल-ई भी कहा जाता है ये एक वायरस है जो संक्रमित मच्छरों से घोड़ों और इंसानों में फैलता है। ये मच्छर आमतौर पर स्थिर पानी में रहते हैं। उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और कैरिबियन देशों में इसका प्रकोप अधिक देखा जाता रहा है।

वैसे तो ईईई काफी दुर्लभ हैं और हर साल यूएस में कुछ ही मामले सामने आते हैं, लेकिन यह बहुत गंभीर हो सकता है। संक्रमण से पीड़ित लगभग 30% लोगों की मौत हो जाती है। वहीं संक्रमण से बचे हुए लोगों को स्थाई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है।

इन दिनों यूएस के कई स्टेट्स में ईईई के संभावित जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सावधान किया है।

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मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी - फोटो : Freepik.com

कई स्थानों पर लॉकडाउन जैसे हालात

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस के प्रसार को देखते हुए यूएस स्टेट वर्मोंट में सार्वजनिक कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है, ऐसा करने वाला ये दूसरा स्टेट है। वहीं मैसाचुसेट्स प्रशासन ने नागरिकों को रात में घर पर ही रहने की सलाह दी है। 

वर्मोंट स्वास्थ्य विभाग ने स्टेट के कुछ सबसे व्यस्त शहरों में लोगों को शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच घर से बाहर न जाने की सलाह दी है, क्योंकि इसी दौरान ईईई संक्रमित मच्छर अधिक काटते हैं। यहां लॉकडाउन जैसे हालात हैं। पिछले सप्ताह न्यू हैम्पशायर में संक्रमण के शिकार एक 41 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।

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गंभीर रोगों का खतरा - फोटो : istock

गंभीर हो सकती है संक्रमण की स्थिति

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, ईईई संक्रमण की स्थिति में रोगियों को बुखार, मांसपेशियों में दर्द और मतली महसूस होती है। गंभीर मामलों में इसके कारण स्थाई रूप से मस्तिष्क में क्षति या मौत का भी खतरा रहता है। शोध से पता चलता है कि वसंत के अंत से लेकर पतझड़ की शुरुआत तक इस संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। आमतौर पर गर्मियों के महीनों में ये चरम पर होता है।

गौरतलब है कि यह वायरस केवल संक्रमित मच्छर के काटने से ही मनुष्यों में फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों या फिर संक्रमित घोड़ों (या अन्य जानवरों) से मनुष्यों में इसका खतरा नहीं होता है। 

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बच्चे होते हैं अधिक शिकार - फोटो : Freepik

ऐसे लोगों में हो सकती हैं गंभीर समस्याएं 

ईईई संक्रमण का अभी तक कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। इलाज के दौरान सहायक चिकित्सा दी जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कुछ लोगों में इस संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं या काम करते हैं जहां मच्छर अधिक हैं वहां विशेष सावधानी की जरूरत है। सुबह या शाम को जब मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं उस दौरान घरों से बाहर निकलने से बचा जाना चाहिए। किशोर (15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे) और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण के कारण गंभीर स्थितियां होने का जोखिम अधिक रहता है। 

इसके अलावा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग जैसे कैंसर रोगी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों में गंभीर लक्षणों का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। 



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नोट: यह लेख डॉक्टर्स का सलाह और मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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