Vitamin D: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें आहार के माध्यम से नियमित रूप से विटामिन्स-मिनरल्स की आवश्यकता होती है। जिन विटामिन्स की हमारी अच्छी सेहत को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा की जाती रही है विटामिन-डी उनमें से एक है। आहार विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए कि रोजाना आपके भोजन में ऐसी चीजें हों जिससे शरीर के लिए आवश्यक मात्रा में विटामिन-डी की पूर्ति हो सके।
Vitamin D Toxicity: विटामिन-डी की कितनी मात्रा फायदेमंद, कब बन जाती है सेहत के लिए खतरा? यहां जानिए सबकुछ
- स्वस्थ वयस्कों के लिए रोजाना लगभग 400–800 IU (10-20 माइक्रोग्राम विटामिन-डी काफी है। अगर आप नियमित रूप से इससे अधिक मात्रा में विटामिन-डी ले रहे हैं तो शरीर को कई प्रकार के नुकसान का खतरा हो सकता है।
विटामिन-डी टॉक्सिसिटी का खतरा
एक स्वस्थ वयस्क के लिए रोजाना लगभग 400–800 IU (10-20 माइक्रोग्राम विटामिन-डी काफी है। अगर आप नियमित रूप से इससे अधिक मात्रा में विटामिन-डी ले रहे हैं तो शरीर को कई प्रकार के नुकसान का खतरा हो सकता है। इसे विटामिन-डी टॉक्सिसिटी कहते हैं।
आमतौर पर विटामिन-डी टॉक्सिसिटी का खतरा तब होता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट्स खाता रहे, आहार के माध्यम से इसका जोखिम कम होता है। इससे खून में कैल्शियम की मात्रा बहुत बढ़ जाती है। नतीजा आपको बार-बार प्यास लगती है, उल्टी आती है इसके अलावा कमजोरी, चक्कर आने और किडनी खराब होने जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।
हाइपरकैल्सेमिया से किडनी को खतरा
जब हमारे शरीर में विटामिन-डी की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो इससे खून में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरकैल्सेमिया कहते हैं। अधिक कैल्शियम की वजह से किडनी में पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही किडनी की कार्यक्षमता भी घट सकती है।
वैसे तो विटामिन-डी टॉक्सिसिटी के मामले बहुत कम होते हैं पर अगर आप भी विटामिन सप्लीमेंट्स लंबे समय से लेते आ रहे हैं तो सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
गड़बड़ हो सकता है पाचन
शरीर में विटामिन-डी का स्तर बढ़ जाने के कारण पाचन संबंधी दिक्कतें भी हो सकती हैं। चूंकि विटामिन-डी का स्तर बढ़ने के कारण शरीर में कैल्शियम का स्तर भी बढ़ जाता है, इसके कारण पाचन संबंधी समस्या, दस्त और पेट फूल सकता है। विटामिन-डी सप्लीमेंट के ओवरडोज के कारण मतली और उल्टी भी हो सकती है।
दिमाग पर असर
शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ने का असर दिमाग पर भी हो सकता है। इसके कारण अक्सर आपको सिर भारी लगने, चक्कर आने और ध्यान केंद्रित न कर पाने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे लोग बार-बार चीजों को भूलने लगते हैं, चिड़चिड़ापन और बेचैनी बढ़ जाती है। गंभीर स्थिति में व्यक्ति भ्रमित हो सकता है या कोमा तक भी हो सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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