कोरोना का डेल्टा वैरिएंट इस समय पूरी दुनिया के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। अध्ययनों में दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों में कोरोना के इस घातक वैरिएंट का खतरा कम हो सकता है, हालांकि कौन सी वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर ज्यादा असरदार है, इसको लेकर अब भी शोध जारी है। इसी से संबंधित, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अपने हालिया अध्ययन में बताया कि डेल्टा वैरिएंट्स से सुरक्षा देने में फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के मुकाबले मॉडर्ना की वैक्सीन ज्यादा असरदार हो सकती है।
कोरोना से जंग: डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षित रखने में यह वैक्सीन है ज्यादा असरदार, सीडीसी का दावा
कोरोना से सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन जरूरी
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है उन्हें अगर डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण हो जाता है तो आपातकालीन देखभाल या अस्पताल में भर्ती होने की संभावना पांच से सात गुना अधिक हो सकती है। कोरोना के खतरे से बचे रहने के लिए वैज्ञानिक सभी लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से दुनिया के तमाम देशों में डेल्टा वैरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए मॉडर्ना के टीके ज्यादा कारगर हो सकते हैं।
मॉडर्ना वैक्सीन की प्रभाविकता
मॉर्बिडिटी एंड मॉर्टेलिटी वीकली रिपोर्ट में एमआरएनए टीकों (मॉडर्ना और फाइजर) की प्रभावशीलता के बीच एक उल्लेखनीय अंतर दिखाया गया है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि डेल्टा से संक्रमण की स्थिति में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में मॉडर्ना के टीके अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को 95 फीसदी तक कम कर सकते हैं। वहीं फाइजर के टीके को इसमें 80 फीसदी जबकि जॉनसन एंड जॉनसन को 60 फीसदी तक कारगर पाया गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययन के लेखक और इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में एनालिटिक्स और मेडिसिन के प्रोफेसर शॉन ग्रैनिस कहते हैं, अध्ययन में पाया गया है कि वैक्सीन ले चुके लोगों में कोविड-19 से संबंधित अस्पताल में भर्ती होने और आपातकालीन इलाज की आवश्यकता काफी कम हो सकती है। कोरोना के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट्स के खिलाफ भी वैक्सीनों को काफी कारगर पाया गया है। मॉडर्ना के टीकों को नए कोरोना वैरिएंटस पर भी अधिक प्रभावी पाया गया है।
इससे पहले नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने डेल्टा वैरिएंट से लोगों को विशेष रूप से सुरक्षित रहने की सलाह दी थी। भारत और अन्य देशों के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अध्ययन में पाया कि कोरोना के मूल वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज को चकमा देने में सफल हो सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस संक्रामक वैरिएंट के कारण कोविड-19 से संक्रमित रह चुके लोगों में भी दोबारा से संक्रमण होने का खतरा छह गुना अधिक हो सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना था कि वैक्सीन गंभीर संक्रमण से बचाने में सुरक्षा दे सकते है, इससे मौत के खतरे को कम किया जा सकता है।
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स्रोत और संदर्भ:
Interim Estimates of COVID-19 Vaccine Effectiveness Against COVID-19–Associated Emergency Department or Urgent Care Clinic Encounters and Hospitalizations Among Adults During SARS-CoV-2 B.1.617.2 (Delta) Variant Predominance — Nine States, June–August 2021
अस्वीकरण नोट: यह लेख मॉर्बिडिटी एंड मॉर्टेलिटी वीकली रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।