सब्सक्राइब करें

Pneumonia: बच्चों-बुजुर्गों के लिए जानलेवा हो सकती है निमोनिया, बचे रहने के लिए जरूर करें ये उपाय

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 24 Nov 2025 07:40 PM IST
सार

  • Pneumonia In Children: निमोनिया फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस किसी भी कारण से हो सकता है। बुजुर्गों और पहले से ही सांस की समस्याओं के शिकार लोगों के लिए ये बीमारी खतरनाक और जानलेवा तक हो सकती है।

विज्ञापन
pneumonia risk factors and complications in children know pneumonia se kaise bache
बच्चों में निमोनिया की बीमारी - फोटो : Freepik.com

सर्दियों का ये मौसम सेहत के लिए कई प्रकार की दिक्कतें बढ़ाने वाला माना जाता है। विशेषतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को इस मौसम में खास सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। तापमान गिरने के साथ ही हवा में नमी बढ़ने लगती है जिससे वायरस और बैक्टीरिया तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि इस मौसम में निमोनिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 



निमोनिया फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस किसी भी कारण से हो सकता है। इसके कारण तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और सीने में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। बुजुर्गों और पहले से ही सांस की समस्याओं के शिकार लोगों के लिए ये बीमारी खतरनाक और जानलेवा तक हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 5 साल से कम उम्र के लगभग 7 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। ठंड के मौसम में इस बीमारी का प्रकोप अधिक देखा जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी माता-पिता को इन दिनों में बच्चों को निमोनिया से बचाने के उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।

Trending Videos
pneumonia risk factors and complications in children know pneumonia se kaise bache
निमोनिया के कारण हो सकती हैं गंभीर समस्याएं - फोटो : Freepik.com

ठंड के दिनों में बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा

हार्वर्ड मेडिसिन की रिपोर्ट से पता चलता है कि ठंड के दिनों में बच्चे घरों में अधिक समय बिताते हैं, जिससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा इस मौसम में धूप से मिलने वाले विटामिन डी की कमी, प्रदूषण और धुएं का संपर्क भी बच्चों के फेफड़ों को कमजोर बनाता है। खराब भोजन, गंदा पानी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी स्थितियां निमोनिया संक्रमण को और भी आसान बना देती हैं।

आइए जानते हैं कि इससे बचाव के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं?

विज्ञापन
विज्ञापन
pneumonia risk factors and complications in children know pneumonia se kaise bache
फेफड़ों में होने वाला संक्रमण - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं श्वसन रोग विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ एन.आर.चौहान बताते हैं, ठंड के कारण निमोनिया नहीं होता, बल्कि यह मौसम ऐसी स्थितियां पैदा कर देता है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हवा में बढ़ता सूखापन सांस की नली और फेफड़ों में जलन पैदा करती है, जिससे उनमें संक्रमण होने का जोखिम हो सकता है।

इसके अलावा लोग ठंड से बचाव के लिए घरों के अंदर रहते हैं, यहां एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा डायबिटीज, सीओपीडी और अस्थमा जैसे मरीजों के इस बीमारी से ग्रस्त होने का जोखिम अधिक हो सकता है।

निमोनिया वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है, पर बच्चों और बुजुर्गों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जाता रहा है। निमोनिया से बचे रहने के लिए कुछ उपाय जरूर किए जाने चाहिए।

pneumonia risk factors and complications in children know pneumonia se kaise bache
निमोनिया से बचाव के लिए लगवाएं टीके - फोटो : Freepik.com

निमोनिया से बचाव के लिए लगवाएं वैक्सीन

निमोनिया से बचाव के टीका लगवाना सबसे अच्छे और प्रभावी तरीकों में से एक है। डॉक्टर की सलाह पर न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा वैक्सीन की मदद से संक्रमण की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। जन्म के बाद समय पर सभी वैक्सीन लगवाना बच्चे की सुरक्षा की सबसे मजबूत दीवार मानी जाती है। 

इसके अलावा छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए ठंड से बचाना जरूरी है। बच्चे का शरीर गर्म रखें। बच्चे के हाथ बार-बार धोना, खिलौने साफ रखना और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखना संक्रमण रोकने में मदद करता है।

विज्ञापन
pneumonia risk factors and complications in children know pneumonia se kaise bache
बच्चों को निमोनिया से बचाएं - फोटो : Freepik.com

इन बातों का भी रखें ध्यान

डॉक्टर बताते हैं, निमोनिया से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी माना जाता है। अच्छी तरह हाथ धोना, मास्क पहनना और फ्लू जैसी बीमारी वाले लोगों के संपर्क में आने से बचने के तरीके अपनाकर आप संक्रमण के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। 

अध्ययनों से पता चलता है कि मां का दूध 6 महीने तक बच्चे की प्रतिरक्षा को मजबूत रखता है। इसमें मौजूद इम्युनोग्लोबुलिन्स, एंटीबॉडी बच्चे को संक्रमण से बचाते हैं इसलिए नवजात बच्चों को मां का दूध ही दें। बड़े बच्चों को विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक से भरपूर आहार देना चाहिए, जो फेफड़ों की मजबूती बढ़ाते हैं।

अगर किसी को कुछ दिनों से बलगम के साथ खांसी और बुखार की दिक्कत है, सांस की तकलीफ है जो सामान्य गतिविधियों को करते समय अधिक हो जाती है या फिर सीने में दर्द बना रहता है तो इस बारे में डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें।


------------
नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें  लाइफ़ स्टाइल से संबंधित समाचार (Lifestyle News in Hindi), लाइफ़स्टाइल जगत (Lifestyle section) की अन्य खबरें जैसे हेल्थ एंड फिटनेस न्यूज़ (Health  and fitness news), लाइव फैशन न्यूज़, (live fashion news) लेटेस्ट फूड न्यूज़ इन हिंदी, (latest food news) रिलेशनशिप न्यूज़ (relationship news in Hindi) और यात्रा (travel news in Hindi)  आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़ (Hindi News)।  

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed