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Sedentary Lifestyle: 8 घंटे से अधिक एक जगह बैठकर करते हैं काम, तो बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Tue, 08 Jul 2025 08:43 AM IST
सार

अक्सर लोग ऑफिस में घंटों कुर्सी पर बैठे रहते हैं और लगातार स्क्रीन देखते रहते हैं। इससे उनकी शारीरिक गतिविधि बहुत कम हो जाती है, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह सिर्फ आलस्य नहीं है, बल्कि एक ऐसी आदत है जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देती है।

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Sedentary Lifestyle Sitting Over 8 Hours Daily Disease Risks Factors Know Precautions
नींद की समस्या - फोटो : Freepik.com
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Side Effect Of Sedentary Lifestyle: आज की आधुनिक जीवनशैली में हमें ढेर सारी सुख-सुविधाएं मिल गई हैं, जिसकी वजह से लोग एक ही जगह बैठे-बैठे अपना सारा काम करना चाहते हैं। ऐसे में शरीर की गतिविधि कम होने से कई मुश्किलें सामने आती हैं। इसी तरह की जीवनशैली को सेडेंटरी लाइफस्टाइल कहते हैं। अक्सर लोग ऑफिस में घंटों कुर्सी पर बैठे रहते हैं और लगातार स्क्रीन देखते रहते हैं। इससे उनकी शारीरिक गतिविधि बहुत कम हो जाती है, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

यदि आप भी उन लोगों में से हैं जो दिन में 8 घंटे से ज्यादा एक ही जगह बैठकर काम करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। यह आदत मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज जैसी कई लाइलाज बीमारियों का खतरा बढ़ाती है। दरअसल, जब हमारा शरीर पर्याप्त हिलता-डुलता नहीं, तो मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे कई शारीरिक प्रक्रियाएं बाधित होती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि अगर कोई 8 घंटे से अधिक एक स्थान पर ही बैठा रहता है, तो उन्हें किन बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही यह भी जानेंगे कि आप किन छोटे बदलावों से अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।
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सिरदर्द की समस्या - फोटो : Freepik.com
गतिहीन जीवनशैली से होने वाली बीमारियां
लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर की सामान्य प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। पहली प्रमुख समस्या है मोटापा। बैठे रहने से कैलोरी बर्न नहीं होती, जिससे वजन बढ़ता है। मोटापा अपने आप में डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों का कारण बनता है। 

दूसरी, टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल इंसुलिन सेंसिटिविटी को कम करती है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल अनियंत्रित हो सकता है। 

तीसरी, हृदय रोग का जोखिम। लंबे समय तक बैठने से रक्त संचार धीमा पड़ता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। चौथी, कमर और पीठ दर्द। गलत मुद्रा में बैठने से रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है, जिससे पुराना दर्द शुरू हो सकता है।
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स्ट्रेस - फोटो : Adobe stock photos
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
गतिहीन जीवनशैली न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। लंबे समय तक बैठे रहने से तनाव, चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ता है। शारीरिक गतिविधि की कमी से एंडोर्फिन हार्मोन का स्राव कम होता है, जो मूड को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।

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सेडेंटरी लाइफस्टाइल - फोटो : Freepik.com
क्यों बढ़ रहा है यह खतरा?
आज के दौर में डेस्क जॉब, रिमोट वर्क और स्क्रीन टाइम ने लोगों को कुर्सी से बांध दिया है। कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के सामने घंटों बिताने से शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। मानसून या ठंड जैसे मौसम में बाहर निकलना और कम हो जाता है, जिससे गतिहीनता और बढ़ती है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी आयु वर्ग इस जीवनशैली का शिकार हो रहे हैं। 

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तनाव, स्ट्रेस - फोटो : Freepik.com
बचाव के उपाय
गतिहीन जीवनशैली से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं। हर 30-40 मिनट में उठकर 2-3 मिनट टहलें या स्ट्रेचिंग करें। रोजाना 30 मिनट टहलें, योग या कोई व्यायाम जरूर करें। हमेशा सीधे बैठें और अपनी रीढ़ को सहारा देने वाली कुर्सी का उपयोग करें। पर्याप्त पानी पिएं और संतुलित आहार लें, जिसमें फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल हों। ये छोटे बदलाव आपको स्वस्थ और सक्रिय रहने में मदद करेंगे।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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