Heart Disease Risk Factor: दुनियाभर में जिन बीमारियों के कारण हर साल सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, उनमें हृदय रोग प्रमुख है। हाल के वर्षों में 30 से कम उम्र के लोगों में भी हृदय की बीमारियां बढ़ती हुई देखी गई हैं। खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की गड़बड़ी के चलते कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय से जुड़ी अन्य समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। हालांकि, सिर्फ लाइफस्टाइल ही नहीं बल्कि आनुवांशिक यानी जेनेटिक कारण भी हृदय रोगों के खतरे को कई गुना बढ़ा सकते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।
Heart Health: लाखों लोगों में बढ़ रही है दिल की गंभीर बीमारी, ये ब्लड टेस्ट बताएगा आपको कितना खतरा?
- दुनियाभर में लाखों लोगों को हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की समस्या है। ये दिल की मांसपेशियों की एक बीमारी है जिसमें दिल की दीवार मोटी हो जाती है।
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की बढ़ती समस्या
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों को हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की समस्या है। ये दिल की मांसपेशियों की बीमारी है जिसमें दिल की दीवार मोटी हो जाती है। यह आमतौर पर जीन में बदलाव के कारण होने वाली समस्या है और इसके ज्यादातर मामले आनुवांशिक देखे जाते हैं।
जिन लोगों को ये समस्या होती हैं उन्हें अक्सर सांस फूलने, सीने में दर्द, चक्कर आने या बेहोशी जैसी दिक्कतें होती रहती हैं। गंभीर स्थितियों में इसके शिकार लोगों की सडेन कार्डियक डेथ भी हो सकती है।
हृदय की इस समस्या का पता लगाने के लिए इकोकार्डियोग्राम, ईसीजी और जेनेटिक टेस्टिंग कराई जाती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक कारगर ब्लड टेस्ट पर काम कर रहे हैं जिसकी मदद से पहले से ही आप हृदय रोग के खतरे को जान पाएंगे।
ब्लड टेस्ट से जान सकेंगे जोखिम
डॉक्टर कहते हैं,सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है। अब तक बहुत अच्छे से ये भी नहीं पता चल पाया है कि जेनेटिक बीमारी वाले किन मरीजों को जानलेवा जोखिम सबसे अधिक होते हैं। लेकिन अब हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों के जोखिमों का अनुमान लगाने के लिए कारगर ब्लड टेस्ट ढूंढ लिया है।
यह ब्लड टेस्ट उन मरीजों की पहचान कर सकता है जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि इस टेस्ट की मदद से उनकी बेहतर निगरानी की जा सकेगी और जानलेवा स्थितियों से भी बचाने में मदद मिलेगी।
अध्ययन में क्या पता चला?
अध्ययन के दौरान टीम ने हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के शिकार करीब 700 मरीजों के खून में एक खास प्रोटीन, एन-टर्मिनल प्रो-बी-टाइप नेट्रियुरेटिक पेप्टाइड (NT-Pro-BNP) के स्तर को मापा। आमतौर पर ये प्रोटीन हार्ट पंपिंग के दौरान रिलीज होता है। इस प्रोटीन की अधिकता इस बात का संकेत है कि दिल बहुत ज्यादा मेहनत कर रहा है।
जिन लोगों में इसका स्तर ज्यादा था, उनमें रक्त संचार की समस्या, स्कार टिश्यू और दिल में ऐसे बदलाव थे जिनसे एट्रियल फाइब्रिलेशन या हार्ट फेलियर हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि NT-Pro-BNP प्रोटीन को मापने वाला ये ब्लड टेस्ट दुनिया की सबसे आम आनुवांशिक दिल की बीमारी वाले लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
क्या कहती हैं विशेषज्ञ?
इस अध्ययन की लेखक और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के कार्डियोवैस्कुलर जेनेटिक्स सेंटर की मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर कैरोलिन हो कहती हैं, यह टेस्ट सही समय पर मरीजों को सही इलाज देने में मदद कर सकता है। जिन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है, उन्हें जान बचाने वाले इलाज के लिए टारगेट किया जा सकता है।
इस टेस्ट की मदद से मरीज अपनी लाइफस्टाइल को ठीक करके हृदय स्वास्थ्य में सुधार ला सकेंगे।
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स्रोत
Scientists find a way to forecast hypertrophic cardiomyopathy
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