अमिताभ बच्चन, शहरूख खान, काजोल और ऋतिक रोशन की साल 2001 में आई फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' आप सभी को जरूर से याद होगी। इसे लोगों ने काफी पसंद किया था। ये दो भावनाएं हर इंसान के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। सफलता में आपको खुशी का अनुभव होता हैं वहीं निराशा और दुख में गम का।
Serotonin vs Cortisol: कभी खुशी कभी गम? जानिए इन भावनाओं के पीछे छिपे हार्मोन्स का खेल
- अध्ययनों में पाया गया है कि लगातार तनाव, खराब नींद, शारीरिक गतिविधि की कमी और अकेलापन दुख से जुड़े हार्मोनों को बढ़ाता है।
- खुशी महसूस कराने में और जिन हार्मोन्स की भूमिका होती है उनमें सेरोटोनिन और एंडॉर्फिन भी शामिल हैं। वहीं दुखी होने में कोर्टिसोल एक प्रमुख कारण है।
खुश या दुखी होने के पीछे की वजह क्या है?
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि खुश या दुखी होना कोई जादू नहीं है बल्कि दिमाग में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का नतीजा है। जब हम खुश होते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में कुछ खास हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर सक्रिय हो जाते हैं, जिन्हें आम भाषा में हैप्पी हार्मोन कहा जाता है।
इन्हीं हार्मोन्स का स्तर अगर असंतुलित हो जाए तो आप लंबे समय के लिए गम में डूब जाते हैं, जिसे मेडिकल की भाषा में डिप्रेशन कहा जाता है।
खुश महसूस होने के पीछे के कारण
हमें खुशी और आनंद दिलाने की पीछे जिन हार्मोन्स की भूमिका होती है उनमें सबसे पहला हार्मोन है- डोपामिन। इसे रिवॉर्ड हार्मोन भी कहा जाता है। जब हमें कोई लक्ष्य हासिल होता है, तारीफ मिलती है या मनपसंद काम करते हैं, तब दिमाग में डोपामिन रिलीज होता है। यह हमें संतुष्टि और उत्साह का एहसास कराता है और आगे भी बेहतर करने की प्रेरणा देता है।
अगर इस हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाए तो सफलता मिलने पर भी आपको खुशी का एहसास नहीं होगा।
सेरोटोनिन और एंडॉर्फिन हार्मोन
खुशी महसूस कराने में और जिन हार्मोन्स की भूमिका होती है उनमें सेरोटोनिन और एंडॉर्फिन भी शामिल हैं।
सेरोटोनिन हमारे मूड को संतुलित रखने में मदद करता है। इसका स्तर अच्छा हो तो व्यक्ति शांत, आत्मविश्वासी और भावनात्मक रूप से स्थिर रहता है। इसे बढ़ाने के लिए धूप में समय बिताना, योग और ध्यान करना आपके लिए मददगार होता है।
वहीं जब हम व्यायाम करते हैं, हंसते हैं या संगीत सुनते हैं तब एंडॉर्फिन रिलीज होता है। यह तनाव कम करता है और शरीर में खुशी और उत्साह की लहर पैदा करता है।
हम दुखी क्यों होते हैं?
खुश होने की ही तरह से दुखी महसूस करने के लिए भी कुछ हार्मोन्स को जिम्मेदार माना जाता है। दुख या उदासी भी इंसानी शरीर की एक जैविक प्रतिक्रिया है। जब हम तनाव, डर या निराशा महसूस करते हैं, तब कुछ ऐसे हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जो हमारे मूड को नकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। कोर्टिसोल या स्ट्रेस हार्मोन की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
जब हम लंबे समय काम के दबाव, आर्थिक चिंता या रिश्तों की परेशानी में रहते हैं तो कोर्टिसोल का स्तर लगातार बढ़ता रहता है। हाई कोर्टिसोल से चिड़चिड़ापन, बेचैनी और थकान महसूस होती है। दुखी महसूस करने का एक बड़ा कारण सेरोटोनिन और डोपामिन का कम होना भी है।
शोध बताते हैं कि डिप्रेशन और लंबे समय तक उदासी में इन हार्मोन्स का स्तर गिर जाता है, जिससे व्यक्ति को किसी भी चीज में खुशी महसूस नहीं होती।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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