दुनियाभर में तेजी से क्रॉनिक बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो या फिर डायबिटीज की दिक्कत ये सभी मौजूदा समय में काफी आम हो गई हैं। इतनी आम कि बच्चे भी इनका शिकार पाए जा रहे हैं। जब भी इन बीमारियों का चर्चा होती है तो इनके कारणों में इंफ्लेमेशन की भी खूब बात की जाती है। शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन समय के साथ जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है।
Inflammation: शरीर के लिए 'साइलेंट किलर' है बढ़ा हुआ सूजन, इन गंभीर बीमारियों का हो सकते हैं शिकार
- जब भी इन बीमारियों का चर्चा होती है तो इनके कारणों में इंफ्लेमेशन की भी खूब बात की जाती है। शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन समय के साथ जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है।
- अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक बने रहने वाली सूजन (सीआरपी) हृदय रोग, मधुमेह और ऑटोइम्यून बीमारियों का जड़ हो सकती है।
शरीर में सूजन बढ़ना साइलेंट किलर
अध्ययनों में कई ऐसे खाद्य पदार्थों का जिक्र मिलता है जो शरीर में सूजन को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। चीनी, रिफाइंड कार्ब, प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट वाले भोजन से शरीर में सूजन का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण समय के साथ शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और कई गंभीर बीमारियों को बढ़ाने वाली हो सकती है।
खानपान के अलावा लाइफस्टाइल की गलतियां जैसे देर रात तक जगना, तनाव और नींद की कमी के कारण भी कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो शरीर में इंफ्लेमेशन को बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक बने रहने वाली सूजन (सीआरपी) हृदय रोग, मधुमेह और ऑटोइम्यून बीमारियों का जड़ हो सकती है।
हृदय की बीमारियों का खतरा
हार्ट के मरीजों में आपने भी अक्सर इंफ्लेमेशन बढ़ने की बात सुनी होगी। लंबे समय से बने रहने वाली इंफ्लेमेशन की समस्या हृदय रोगों का सबसे बड़ा जोखिम कारक माना जाती है। जब शरीर में लगातार सूजन बनी रहती है, तो यह धमनियों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाती है। इससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
शरीर में सूजन का पता लगाने के लिए सीआरपी टेस्ट किया जाता है। जिन लोगों में सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) का स्तर बढ़ा होता है, उनमें हृदय रोगों का खतरा दोगुना तक बढ़ जाता है।
टाइप-2 डायबिटीज की समस्या
अध्ययनों में लंबे समय तक बने रहने वाले इंफ्लेमेशन को टाइप-2 डायबिटीज के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। सूजन की स्थिति शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाती है, यानी शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक से पहचान नहीं पातीं। इससे ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ने लगता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में सीआरपी लेवल बढ़ा रहता है उनमें डायबिटीज का जोखिम लगभग 40-60% अधिक हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है असर
इंफ्लेमेशन के कारण शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि क्रॉनिक इंफ्लेमेशन दिमाग में कुछ प्रकार के रसायनों जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन को भी प्रभावित करती है, जो मूड और मानसिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। हाई सीआरपी लेवल वाले लोगों में समय के साथ मेंटल हेल्थ की समस्या 35% तक बढ़ने का खतरा रहता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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