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Infertility: प्रजनन विकारों की डरावनी तस्वीर, ब्रिटेन के हर क्लासरूम में एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 28 Nov 2025 01:09 PM IST
सार

  • आईवीएफ पर लोगों की निर्भरता कितनी अधिक हो गई है, ये इस बात से स्पष्ट होता है कि मौजूदा समय में ब्रिटेन के हर क्लासरूम में औसतन एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा हुआ देखा जा रहा है।

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प्रजनन की बढ़ती समस्याएं - फोटो : Amarujala.com
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विस्तार
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लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ आदतों ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लिहाजा पिछले एक-दो दशकों में क्रॉनिक बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों का खतरा न सिर्फ तेजी से बढ़ा है, बल्कि बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। जीवनशैली की गड़बड़ आदतों ने लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है।

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आंकड़े बताते हैं कि पहले की तुलना में अब लोगों के लिए बिना डॉक्टरी मदद के कंसीव करना तक मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि हाल के वर्षों में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया की मांग तेजी से बढ़ी है।
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आईवीएफ प्रजनन की एक तकनीक है जिसमें महिला के अंडों को प्रयोगशाला में शुक्राणु से निषेचित किया जाता है। इसके बाद बने हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भावस्था हो सके। यह उन दंपतियों के लिए उपयोगी है जिन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में कठिनाई होती है। 

किस तरह से लोगों में प्रजनन समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और आईवीएफ पर लोगों की निर्भरता कितनी अधिक हो गई है, ये इस बात से स्पष्ट होता है कि मौजूदा समय में ब्रिटेन के हर क्लासरूम में औसतन एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा हुआ माना जा सकता है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर प्रजनन से संबंधित समस्याएं इतनी क्यों बढ़ गई हैं और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है, आइए इस बारे में जानते हैं।

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आईवीएफ पर लोगों की बढ़ती निर्भरता - फोटो : Freepik.com

आईवीएफ पर बढ़ती निर्भरता

यूके ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियोलॉजी अथॉरिटी (एचएफईए) की रिपोर्ट कहती है, यहां फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बाद बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं का अनुपात एक दशक में एक तिहाई से ज्यादा बढ़ गया है, लिहाजा अब हर क्लासरूम में लगभग एक बच्चा आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चे के बराबर है।

साल 2023 के डेटा के मुताबिक हर 32 में से एक बच्चा आईवीएफ से जन्मा हुआ था, जो साल 2013 में 43 में से एक से बच्चे (34% से ज्यादा) से अधिक था। 

फर्टिलिटी रेगुलेटरी ने कहा कि कुल मिलाकर साल 2023 में यूके के लाइसेंस्ड फर्टिलिटी क्लीनिक में 52,400 मरीजों ने 77,500 से ज्यादा आईवीएफ साइकिल करवाए, इससे लगभग 20,700 बच्चे पैदा हुए। ये आंकड़ा साल 2000 में 8,700 था।

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गर्भधारण की दिक्कतें - फोटो : adobe stock images

आईवीएफ के साथ-साथ अब एग फ्रीज कराने का चलन भी महिलाओं में तेजी से बढ़ता जा रहा है। साल 2022 में आंकड़ा 4,700 से बढ़कर 2023 में 6,900 हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 की उम्र वाली महिलाओं में एग फ्रीजिंग सबसे ज्यादा बढ़ी।

भारत की भी तस्वीर चिंताजनक

प्रजनन से संबंधित समस्याएं और आईवीएफ की मांग भारतीय आबादी में भी तेजी से बढ़ती देखी जा रही है। पिछले 70 साल में भारत में प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आई है। 1950 में प्रति महिला 6.2 बच्चों से गिरकर साल 2021 तक लगभग 2 बच्चों के आसपास आ गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जीवनशैली-सम्बंधित असंतुलन और क्रॉनिक बीमारियां प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा रही हैं लिहाजा यहां भी आईवीएफ की मांग तेजी से बढ़ रही है।

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एआई की मदद से दुनिया का पहला गर्भधारण - फोटो : adobe stock images

प्रजनन में एआई से भी मिल रही है मदद

हाल ही में अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हमने बताया था कि किस तरह से एआई की मदद से 19 साल से नि:संतान जोड़े की जिंदगी में खुशियां लौटी थीं।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के शोधकर्ताओं ने एआई-निर्देशित विधि का उपयोग करते हुए पहली सफल गर्भावस्था की जानकारी दी थी। एआई की स्टार (स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी) विधि की मदद से दंपत्ति के जीवन में खुशियां लौटी थीं।

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प्रजनन स्वास्थ्य को कैसे सुधारें - फोटो : Adobe Stock

प्रजनन समस्याओं को कैसे ठीक करें?

इन रिपोर्ट्स के बाद अब आपके मन में भी सवाल होगा कि आखिरकार प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए पहले से किन उपायों का पालन किया जाना चाहिए।

इस बारे में डॉक्टर कहते हैं, संतुलित और पौष्टिक आहार जिसमें साबुत अनाज, फल-सब्जियां, प्रोटीन और स्वस्थ वसा वाली चीजों का सेवन अधिक करें। इसके अलावा वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है क्योंकि इससे भी प्रजनन स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है। नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे हल्के से लेकर मध्यम स्तर के व्यायाम जैसे वॉक, योग, साइकिलिंग से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, शरीर में चर्बी कम होती है, और प्रजनन क्षमता बेहतर होती है।



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स्रोत
Proportion of women giving birth after fertility treatment up by more than a third in a decade


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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