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Inflammation: शरीर के लिए 'साइलेंट किलर' है बढ़ा हुआ सूजन, इन गंभीर बीमारियों का हो सकते हैं शिकार

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 28 Nov 2025 02:18 PM IST
सार

  • जब भी इन बीमारियों का चर्चा होती है तो इनके कारणों में इंफ्लेमेशन की भी खूब बात की जाती है।  शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन समय के साथ जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है।
  • अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक बने रहने वाली सूजन (सीआरपी)  हृदय रोग, मधुमेह और ऑटोइम्यून बीमारियों का जड़ हो सकती है।

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What Is Inflammation Know Causes Symptoms and Health Risks why chronic inflammation is dangerous
इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली दिक्कतें - फोटो : Adobe Stock Images

दुनियाभर में तेजी से क्रॉनिक बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो या फिर डायबिटीज की दिक्कत ये सभी मौजूदा समय में काफी आम हो गई हैं। इतनी आम कि बच्चे भी इनका शिकार पाए जा रहे हैं। जब भी इन बीमारियों का चर्चा होती है तो इनके कारणों में इंफ्लेमेशन की भी खूब बात की जाती है।  शरीर में सूजन या इंफ्लेमेशन समय के साथ जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ाने वाली हो सकती है।



डॉक्टर बताते हैं, इंफ्लेमेशन वैसे तो शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रक्रिया है। जब कोई चोट या संक्रमण हो जाता है, वायरस-बैक्टीरिया या हानिकारक पदार्थ शरीर में प्रवेश करते हैं, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तुरंत सक्रिय होकर उस समस्या से लड़ने के लिए सूजन पैदा करती है। यह सूजन शुरुआत में फायदेमंद होती है, हालांकि अगर लंबे समय तक बनी रहे या फिर बिना किसी कारण के शरीर में सूजन होने लगे तो इससे कई प्रकार के नुकसान होने का खतरा रहता है।

आइए जानते हैं कि इंफ्लेमेशन की दिक्कत होती क्यों है और इसके किन बीमारियों का जोखिम हो सकता है।

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शरीर में सूजन की समस्या - फोटो : Adobe Stock Images

शरीर में सूजन बढ़ना साइलेंट किलर

अध्ययनों में कई ऐसे खाद्य पदार्थों का जिक्र मिलता है जो शरीर में सूजन को बढ़ाने वाली हो सकती हैं।  चीनी, रिफाइंड कार्ब, प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट वाले भोजन से शरीर में सूजन का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण समय के साथ शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और कई गंभीर बीमारियों को बढ़ाने वाली हो सकती है। 

खानपान के अलावा लाइफस्टाइल की गलतियां जैसे देर रात तक जगना, तनाव और नींद की कमी के कारण भी कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं जो शरीर में इंफ्लेमेशन को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। 
अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक बने रहने वाली सूजन (सीआरपी)  हृदय रोग, मधुमेह और ऑटोइम्यून बीमारियों का जड़ हो सकती है।

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हृदय रोगों का खतरा - फोटो : Freepik.com

हृदय की बीमारियों का खतरा

हार्ट के मरीजों में आपने भी अक्सर इंफ्लेमेशन बढ़ने की बात सुनी होगी। लंबे समय से बने रहने वाली इंफ्लेमेशन की समस्या हृदय रोगों का सबसे बड़ा जोखिम कारक माना जाती है। जब शरीर में लगातार सूजन बनी रहती है, तो यह धमनियों  की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाती है। इससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।

शरीर में सूजन का पता लगाने के लिए सीआरपी टेस्ट किया जाता है। जिन लोगों में सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) का स्तर बढ़ा होता है, उनमें हृदय रोगों का खतरा दोगुना तक बढ़ जाता है।

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डायबिटीज का खतरा - फोटो : Freepik.com

टाइप-2 डायबिटीज की समस्या

अध्ययनों में लंबे समय तक बने रहने वाले इंफ्लेमेशन को टाइप-2 डायबिटीज के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। सूजन की स्थिति शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाती है, यानी शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक से पहचान नहीं पातीं। इससे ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ने लगता है। 

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में सीआरपी लेवल बढ़ा रहता है उनमें डायबिटीज का जोखिम लगभग 40-60% अधिक हो सकता है।

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स्ट्रेस का खतरा - फोटो : Freepik.com

मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है असर

इंफ्लेमेशन के कारण शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि क्रॉनिक इंफ्लेमेशन दिमाग में कुछ प्रकार के रसायनों जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन को भी प्रभावित करती है, जो मूड और मानसिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। हाई सीआरपी लेवल वाले लोगों में समय के साथ मेंटल हेल्थ की समस्या 35% तक बढ़ने का खतरा रहता है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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