दुनियाभर में कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी ने कई तरह की क्रॉनिक बीमारियों के खतरे को तो बढ़ा ही दिया है, साथ ही एचआईवी संक्रमण और इसके कारण होने वाली एड्स की बीमारी ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
World AIDS Day 2025: एचआईवी और एड्स एक ही हैं या अलग? जानिए दोनों के बीच असली फर्क और फैक्ट्स
- एड्स को लेकर लोगों के मन में एक सवाल बहुत कॉमन है- क्या एचआईवी और एड्स एक ही है? अगर एक ही है तो इसे दो नामों से क्यों बुलाया जाता है और अगर अलग है तो दोनों में क्या अंतर है। आइए इस बारे में समझते हैं।
एचआईवी और एड्स के बारे में जानिए
एड्स को लेकर लोगों के मन में एक सवाल बहुत कॉमन है- क्या एचआईवी और एड्स एक ही है? अगर एक ही है तो इसे दो नामों से क्यों बुलाया जाता है और अगर अलग है तो दोनों में क्या अंतर है। आइए इस बारे में समझते हैं।
सरल भाषा में समझें तो ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस, एचआईवी संक्रमण का कारण बनता है। वहीं एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम। एचआईवी संक्रमण की स्थिति में एड्स रोग होता है। मसलन एचआईवी संक्रमण है और एड्स इस संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी।
एचआईवी संक्रमण के बारे में जानिए
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के कारण होने वाला एचआईवी संक्रमण शरीर के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को संक्रमित करके उसे कमजोर बना देता है, जिससे दूसरी बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। जब एचआईवी आपके इम्यून सिस्टम को बहुत कमजोर कर देता है, तो इससे एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) हो जाता है।
एचआईवी मुख्यतः संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, फ्लूड और संक्रमित मां से बच्चे को होता है। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई/सीरिंज के उपयोग, बिना जांच कराया हुआ रक्त चढ़ाना तथा गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान मां से बच्चे को एचआईवी का संक्रमण हो सकता है।
एचआईवी के शुरुआती लक्षण सामान्य वायरल बुखार जैसे होते हैं, जिससे अक्सर लोग वर्षों तक अनजाने में संक्रमित रहते हैं और बीमारी का पता नहीं चल पाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में करोड़ों लोग इस संक्रमण के साथ जी रहे हैं और समय पर टेस्ट न होने से कई मामलों में पहचान देर से होती है।
एड्स के बारे में जानिए?
एड्स, एचआईवी संक्रमण का आखिरी और सबसे गंभीर स्टेज है। एड्स वाले मरीजों में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बहुत कम हो जाती है और इम्यून सिस्टम बहुत खराब हो जाता है। एड्स के कारण कमजोर हुई इम्युनिटी और भी कई बीमारियों और संक्रमण के खतरे को काफी बढ़ा देती है।
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एचआईवी का समय पर इलाज न हो पाने के कारण लगभग 10 साल में एड्स में बदल सकता है।
एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है?
एचआईवी और एड्स को अक्सर एक ही मान लिया जाता है, जबकि दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। जैसा कि बताया गया है कि एचआईवी एक वायरस है जो प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, जबकि एड्स इस संक्रमण का अंतिम चरण है। एचआईवी टेस्ट की मदद से संक्रमण की स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है।
एचआईवी संक्रमण के लिए कई सारे इलाज के विकल्प उपलब्ध हैं। यहां पढ़िए पूरी रिपोर्ट
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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