श्वसन समस्याएं वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का कारण हैं, इसके कारण हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ता जा रहा है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) ऐसी ही एक बीमारी है जो फेफड़ों और वायुमार्ग को प्रभावित करती है। इस बीमारी के कारण आपका वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जिससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसमें वायुमार्ग के अंदर सूजन और जलन की दिक्कत भी बढ़ जाती है। वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि फेफड़ों की इस बीमारी के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।
World COPD Day 2024: इस गंभीर बीमारी से हर साल लाखों लोगों की हो जाती है मौत, आपमें भी तो नहीं हैं ऐसे लक्षण?
साल 2021 में सीओपीडी के कारण 3.5 मिलियन (35 लाख) लोगों की मौत हुई, जो दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का लगभग 5% था। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इससे बचाव कैसे किया जा सकता है?
हर साल लाखों लोगों की हो जाती है मौत
सीओपीडी की समस्या हमारे फेफड़ों को क्षति पहुंचाती है। अगर समय रहते इसका निदान न हो पाए या इलाज न हो तो इसके कारण जान जाने का भी खतरा रहता है।
आमतौर पर इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी माना जाता रहा है हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि 40 से कम आयु वालों में भी इसका तेजी से निदान बढ़ गया है। साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में सीओपीडी के अनुमानित 480 मिलियन (48 करोड़) मामले थे, जो वैश्विक आबादी का लगभग 10.6% है। इसके अलावा ये बीमारी हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनती है। साल 2019 में 3.23 मिलियन (32.3 लाख) लोगों की इससे मौत भी हो गई।
समय रहते लक्षणों की करें पहचान
डॉक्टर कहते हैं, सीओपीडी के लक्षणों की समय रहते पहचान जरूरी है ताकि इसका उचित इलाज किया जा सके। वैसे तो सीओपीडी के लक्षण आमतौर पर तब तक प्रकट नहीं होते जब तक कि फेफड़ों को बहुत ज्यादा नुकसान न हो जाए। हालांकि कुछ संकेत हैं जिन्हें बिल्कुल अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। गंध, ठंडी हवा, वायु प्रदूषण, सर्दी या संक्रमण के कारण इस तरह के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं।
- सांस लेने में परेशानी, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान।
- सांस लेते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना।
- लगातार बहुत अधिक बलगम वाली खांसी आना। बलगम साफ, पीला या हरा हो सकता है।
- सीने में जकड़न या भारीपन महसूस होते रहना।
- बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
- बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना।
- टखनों, पैरों या टांगों में सूजन।
किन लोगों में इसका खतरा अधिक होता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है हालांकि कुछ स्थितियों में इसका जोखिम काफी बढ़ जाता है। धूम्रपान सीओपीडी के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है, लेकिन धूम्रपान करने वाले हर व्यक्ति को यह हो ये जरूरी नहीं है। आप 65 वर्ष से ज़्यादा उम्र के हों या फिर वायु प्रदूषण, रासायनिक पदार्थों, धूल या धुएं के संपर्क में रहे हों तो आपमें इसका खतरा हो सकता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों को बचपन में कई बार श्वसन संक्रमण हुए हों उनमें भी इसका जोखिम अधिक हो सकता है।
बचाव के लिए छोड़ दें धूम्रपान
अधिकांश मामलों में सीओपीडी सीधे सिगरेट पीने से जुड़ी समस्या होती है, सीओपीडी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि धूम्रपान न करें। रसायनों-प्रदूषण से बचाव और दिनचर्या को ठीक रखकर भी सीओपीडी से बचा जा सकता है। कुछ प्रकार की दवाओं, थेरेपी आदि के माध्यम से लक्षणों को बिगड़ने से रोका जा सकता है। समय पर इसकी पहचान हो जाने से सीओपीडी के कारण होने वाली जटिलताओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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