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World COPD Day 2024: इस गंभीर बीमारी से हर साल लाखों लोगों की हो जाती है मौत, आपमें भी तो नहीं हैं ऐसे लक्षण?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Wed, 20 Nov 2024 10:50 AM IST
सार

साल 2021 में सीओपीडी के कारण 3.5 मिलियन (35 लाख) लोगों की मौत हुई, जो दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का लगभग 5% था। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इससे बचाव कैसे किया जा सकता है?

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फेफड़ों की बीमारी- सीओपीडी - फोटो : Adobe stock

श्वसन समस्याएं वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का कारण हैं, इसके कारण हर साल स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ता जा रहा है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) ऐसी ही एक बीमारी है जो फेफड़ों और वायुमार्ग को प्रभावित करती है। इस बीमारी के कारण आपका वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जिससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है। इसमें वायुमार्ग के अंदर सूजन और जलन की दिक्कत भी बढ़ जाती है। वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि फेफड़ों की इस बीमारी के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। 



साल 2021 में सीओपीडी के कारण 3.5 मिलियन (35 लाख) लोगों की मौत हुई, जो दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का लगभग 5% था। ये आंकड़ें सीओपीडी को वैश्विक स्तर पर मौत का चौथा प्रमुख कारण बनाते हैं। फेफड़ों की इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने और इससे बचाव के उपायों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल नवंबर महीने के तीसरे बुधवार (इस बार 20 नवंबर) को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता है।

इस साल विश्व सीओपीडी दिवस के लिए का थीम है "अपने फेफड़ों के कार्य को जानें। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इससे बचाव कैसे किया जा सकता है?

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क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज - फोटो : Adobe Stock

हर साल लाखों लोगों की हो जाती है मौत

सीओपीडी की समस्या हमारे फेफड़ों को क्षति पहुंचाती है। अगर समय रहते इसका निदान न हो पाए या इलाज न हो तो इसके कारण जान जाने का भी खतरा रहता है। 

आमतौर पर इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी माना जाता रहा है हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि 40 से कम आयु वालों में भी इसका तेजी से निदान बढ़ गया है। साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में सीओपीडी के अनुमानित 480 मिलियन (48 करोड़) मामले थे, जो वैश्विक आबादी का लगभग 10.6% है। इसके अलावा ये बीमारी हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनती है। साल 2019 में 3.23 मिलियन (32.3 लाख) लोगों की इससे मौत भी हो गई।

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सांस की समस्या - फोटो : Freepik.com

समय रहते लक्षणों की करें पहचान

डॉक्टर कहते हैं, सीओपीडी के लक्षणों की समय रहते पहचान जरूरी है ताकि इसका उचित इलाज किया जा सके। वैसे तो सीओपीडी के लक्षण आमतौर पर तब तक प्रकट नहीं होते जब तक कि फेफड़ों को बहुत ज्यादा नुकसान न हो जाए। हालांकि कुछ संकेत हैं जिन्हें बिल्कुल अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। गंध, ठंडी हवा, वायु प्रदूषण, सर्दी या संक्रमण के कारण इस तरह के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं।

  • सांस लेने में परेशानी, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान।
  • सांस लेते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना।
  • लगातार बहुत अधिक बलगम वाली खांसी आना। बलगम साफ, पीला या हरा हो सकता है।
  • सीने में जकड़न या भारीपन महसूस होते रहना।
  • बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
  • बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना।
  • टखनों, पैरों या टांगों में सूजन।
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फेफड़ों की बीमारी - फोटो : Freepik.com

किन लोगों में इसका खतरा अधिक होता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है हालांकि कुछ स्थितियों में इसका जोखिम काफी बढ़ जाता है। धूम्रपान सीओपीडी के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है, लेकिन धूम्रपान करने वाले हर व्यक्ति को यह हो ये जरूरी नहीं है। आप 65 वर्ष से ज़्यादा उम्र के हों या फिर वायु प्रदूषण, रासायनिक पदार्थों, धूल या धुएं के संपर्क में रहे हों तो आपमें इसका खतरा हो सकता है। 

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों को बचपन में कई बार श्वसन संक्रमण हुए हों उनमें भी इसका जोखिम अधिक हो सकता है।

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धूम्रपान से होने वाली समस्याएं - फोटो : Freepik.com

बचाव के लिए छोड़ दें धूम्रपान

अधिकांश मामलों में सीओपीडी सीधे सिगरेट पीने से जुड़ी समस्या होती है, सीओपीडी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि धूम्रपान न करें। रसायनों-प्रदूषण से बचाव और दिनचर्या को ठीक रखकर भी सीओपीडी से बचा जा सकता है। कुछ प्रकार की दवाओं, थेरेपी आदि के माध्यम से लक्षणों को बिगड़ने से रोका जा सकता है। समय पर इसकी पहचान हो जाने से सीओपीडी के कारण होने वाली जटिलताओं को कम करने में मदद मिल सकती है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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