Vrindavan Trip: कान्हा की बाल स्वरूप के दर्शन करने हों या उनकी बाल लीलाओं के किस्सों को करीब से देखना हो तो श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन की यात्रा जरूर करें। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन वह पवित्र नगरी है जहां हर गली में “राधे-राधे” की गूंज सुनाई देती है। कहा जाता है कि यह वही भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला रची और राधारानी संग प्रेम की अमर गाथा लिखी। इसलिए हर भक्त के जीवन में एक बार वृंदावन दर्शन का अनुभव होना ही चाहिए।
Vrindavan Trip: इस महीने करने हैं बांके बिहारी के दर्शन तो ऐसे बनाएं वृंदावन यात्रा की योजना
Vrindavan Trip: जानिए बांके बिहारी के दर्शन का सही तरीका, वृंदावन पहुंचने का आसान मार्ग, ठहरने की व्यवस्था और घूमने का सबसे बेहतर समय।
बांके बिहारी मंदिर
यह मंदिर वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां भगवान कृष्ण ‘बांके बिहारी’ रूप में विराजमान हैं। कान्हा का यह स्वरूप है जो नटखट भी है और करुणामयी भी। मंदिर की सबसे खास बात है कि यहां भगवान की मूर्ति के दर्शन लगातार नहीं कराए जाते यानी कुछ-कुछ पल के लिए ही पर्दा हटता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान की आंखों में इतना आकर्षण है कि भक्त मोहित होकर अपने होश खो बैठते हैं।
वृंदावन कैसे पहुंचें?
अगर आप वृंदावन की यात्रा करना चाहते हैं तो लगभग सभी शहरों से वृंदावन के लिए कई मार्ग उपलब्ध हैं। यहां दिल्ली से वृंदावन यात्रा की जानकारी दी जा रही है। दरअसल दिल्ली से वृंदावन करीब 180 किमी दूर है। रेल यात्रा मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं, जहां से वृंदावन मात्र 12 किमी दूर है। वहीं दिल्ली, आगरा, जयपुर और लखनऊ से सीधी बसें या टैक्सी उपलब्ध होती हैं। सड़क मार्ग के जरिए कुछ ही घंटों में वृंदावन पहुंचा जा सकता है। अगर हवाई यात्रा करनी है तो वृंदावन से सबसे करीबी एयरपोर्ट आगरा हवाई अड्डा है, जो कि 80 किमी दूर है।
वृंदावन के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल
प्रेम मंदिर
वृंदावन के सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में प्रेम मंदिर का नाम शामिल है। प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की सुदंर झांकियां देखने को मिलती हैं। यहां की लाइटिंग का दृश्य और भव्य आरती में शामिल होकर मन प्रसन्न हो जाता है।
इस्कॉन मंदिर
यहां का इस्काॅन मंदिर हरिनाम संकीर्तन का केंद्र है। मंदिर में होने वाले भजन कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं और राधे कृष्ण की प्रतिमाओं के दिव्य दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
राधा रमण मंदिर
श्रीकृष्ण का दिव्य स्वरूप देखना है तो वृंदावन के राधा रमण मंदिर की यात्रा करें। इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है और सुंदर वास्तुकला का नमूना देख सकते हैं।
सेवाकुंज और निधिवन
सेवाकुंज और वृंदावन का निधिवन रासलीला की पावन भूमि है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण यहां राधा रानी और गोपियों संग रास करते थे।
घूमने का सही समय
वृंदावन यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। खासकर फाल्गुन माह में होने वाला रंगोत्सव और जन्माष्टमी, यहां का वातावरण भक्ति और रंगों से सराबोर कर देते हैं। नवंबर-दिसंबर में वृंदावन जाना सहज और सुविधाजनक हो सकता है।
यहां आएं तो वृंदावन की गलियों में मिलने वाली माखन-मिश्री, पेड़ा, कचौड़ी-जलेबी और लस्सी का स्वाद चखना न भूलें। यह हर यात्री को भक्ति और स्वाद दोनों का आनंद देता है। यहां साधु-संतों के आश्रम से लेकर लग्जरी होटल तक हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। आप चाहें तो इस्कॉन गेस्ट हाउस, बांके बिहारी धर्मशाला या गोवर्धन इको विलेज में ठहर सकते हैं।