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Kiss day Special: हर मर्ज की दवा है एक प्यार भरी पप्पी, ये कहते हैं रिलेशनशिप एक्सपर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Wed, 13 Feb 2019 03:45 PM IST
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किस डे
- फोटो : amar ujala
वह पल बेहद खास हो जाता है, जब आपकी मां आपके माथे को चूम लेती है या आप अपने प्यारे से बच्चे को गोद में उठाकर उसकी पप्पी लेते हैं। इस अहसास को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह हमारी यादों में ठहर सा जाता है। वैलेंटाइन डे से ठीक एक दिन पहले किस डे है। हमने शहर के लोगों से पूछा तो उनका साफ कहना था कि परेशानी चाहे जैसी हो, उनके बच्चों की प्यारी सी पप्पी से बड़े से बड़ा हर दर्द काफूर हो जाता है।
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किस डे
- फोटो : amar ujala
जैसे लगा कि मुझे दोबारा जिंदगी मिल गई
तीन साल पुरानी बात है। मैं पत्नी और तीन साल के बेटे के साथ मूवी देखने गया था। वॉशरूम गए तो साथ में बेटा भी था। लौटा तो बेटा नजर नहीं आया। मैंने सोचा मां के साथ गया होगा। अंदर हॉल में गया तो पता चला वहां भी नहीं है। मैं वॉशरूम की तरफ भागा, लेकिन वह कहीं नहीं दिखा। मेरी सांसें तेज चलने लगीं। लगा पैरों तले जमीन खिसक गई। तभी अचानक वह मुझे मेरे सामने दिखा। मेरी जिंदगी मुझे दोबारा मिल गई। मैं उसे देर तक बांहों में लेकर चूमता रहा।
- बेटे सिद्धार्थ के साथ आरपी सिंह, संयुक्त निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
तीन साल पुरानी बात है। मैं पत्नी और तीन साल के बेटे के साथ मूवी देखने गया था। वॉशरूम गए तो साथ में बेटा भी था। लौटा तो बेटा नजर नहीं आया। मैंने सोचा मां के साथ गया होगा। अंदर हॉल में गया तो पता चला वहां भी नहीं है। मैं वॉशरूम की तरफ भागा, लेकिन वह कहीं नहीं दिखा। मेरी सांसें तेज चलने लगीं। लगा पैरों तले जमीन खिसक गई। तभी अचानक वह मुझे मेरे सामने दिखा। मेरी जिंदगी मुझे दोबारा मिल गई। मैं उसे देर तक बांहों में लेकर चूमता रहा।
- बेटे सिद्धार्थ के साथ आरपी सिंह, संयुक्त निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
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किस डे
- फोटो : amar ujala
बच्चों से ही है मेरी दुनिया
दो माह पहले दो दिन के लिए एक शैक्षिक कार्यक्रम में बाहर जाना पड़ा। बेटी साथ नहीं थी। उस दिन मुझे बच्चों की अहमियत पता चली। घर लौटी तो बेटी ने चूम लिया और सुबकते हुए कहा कि दोबारा मुझे छोड़ कर मत जाना। उसी दिन से मैंने तय किया कि शहर से बाहर जाने पर बेटी को हर हाल में साथ रखूंगी। केजीएमयू आती हूं तो भी मेरी कोशिश रहती है कि बच्चे साथ रहें। यही वजह है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्हें भी साथ लाती हूं। विभागीय ड्यूटी के दौरान ही वे मुझसे दूर रहती हैं।
- बेटी वेदिका के साथ डॉ. शीतल वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, केजीएमयू
दो माह पहले दो दिन के लिए एक शैक्षिक कार्यक्रम में बाहर जाना पड़ा। बेटी साथ नहीं थी। उस दिन मुझे बच्चों की अहमियत पता चली। घर लौटी तो बेटी ने चूम लिया और सुबकते हुए कहा कि दोबारा मुझे छोड़ कर मत जाना। उसी दिन से मैंने तय किया कि शहर से बाहर जाने पर बेटी को हर हाल में साथ रखूंगी। केजीएमयू आती हूं तो भी मेरी कोशिश रहती है कि बच्चे साथ रहें। यही वजह है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्हें भी साथ लाती हूं। विभागीय ड्यूटी के दौरान ही वे मुझसे दूर रहती हैं।
- बेटी वेदिका के साथ डॉ. शीतल वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, केजीएमयू
किस डे
- फोटो : amar ujala
जब पहली बाद दूर हुआ नन्हीं परी से
मेरी मेटी सिर्फ चार से पांच दिन की थी। मेरी छुट्टियां खत्म हो चुकी थीं। जब मैंने घर छोड़ा तो मन बहुत उदास था। हर वक्त, हर पल सिर्फ और सिर्फ मेरी बेटी ही जेहन में थी। दस दिन बाद मैं फिर घर लौटा और बेटी को गोद में उठा कर चूम लिया। वह पल आज तक मुझे याद है।
- बेटी आस्तिक गौतम के साथ अमित कुमार, अपर नगर आयुक्त
मेरी मेटी सिर्फ चार से पांच दिन की थी। मेरी छुट्टियां खत्म हो चुकी थीं। जब मैंने घर छोड़ा तो मन बहुत उदास था। हर वक्त, हर पल सिर्फ और सिर्फ मेरी बेटी ही जेहन में थी। दस दिन बाद मैं फिर घर लौटा और बेटी को गोद में उठा कर चूम लिया। वह पल आज तक मुझे याद है।
- बेटी आस्तिक गौतम के साथ अमित कुमार, अपर नगर आयुक्त
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किस डे
- फोटो : amar ujala
जब बेटी की वजह से मिला सम्मान
मेरी बेटी ला-मार्टीनियर गर्ल्स स्कूल में आठवीं की छात्रा है। सुहानी ने पिछले साल सातवीं की परीक्षा में टॉप किया था। इस पर कॉलेज की ओर से वार्षिक समारोह में उसके साथ मुझे और पति को भी सम्मानित किया गया। अतिथियों के साथ मुझे मंच से अपनी बात रखने का मौका दिया गया। मेरी आंखें भर आई थीं। उसके बाद मैं उसे बाजार ले गई और मनपसंद किताबें दिलवाईं। इस पर सुहानी ने मुझे किस किया।
- बेटी सुहानी के साथ ओम सिंह
मेरी बेटी ला-मार्टीनियर गर्ल्स स्कूल में आठवीं की छात्रा है। सुहानी ने पिछले साल सातवीं की परीक्षा में टॉप किया था। इस पर कॉलेज की ओर से वार्षिक समारोह में उसके साथ मुझे और पति को भी सम्मानित किया गया। अतिथियों के साथ मुझे मंच से अपनी बात रखने का मौका दिया गया। मेरी आंखें भर आई थीं। उसके बाद मैं उसे बाजार ले गई और मनपसंद किताबें दिलवाईं। इस पर सुहानी ने मुझे किस किया।
- बेटी सुहानी के साथ ओम सिंह