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Raksha Bandhan: बैतूल में पेड़ों को राखी बांधकर मनाया गया रक्षाबंधन, 79 फीट लंबी राखी लेकर निकली शोभायात्रा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बैतूल
Published by: शबाहत हुसैन
Updated Sat, 09 Aug 2025 08:35 AM IST
सार
Raksha Bandhan: ममता गौहर और राधिका पटिया ने बताया कि पेड़ों को राखी बांधने की परंपरा अब सिमोरी की पहचान बन चुकी है। इस आयोजन ने संदेश दिया कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति, पर्यावरण और सैनिकों के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का भी प्रतीक है।
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पेड़ों को बांधी गई राखी
- फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम सिमोरी में रक्षाबंधन का पर्व इस बार भी अनोखे और प्रेरणादायक अंदाज में मनाया गया। ताप्ती आनंद क्लब और इको क्लब के संयुक्त आयोजन में भाई-बहन के पारंपरिक रिश्ते के साथ प्रकृति और देश के वीर सैनिकों के प्रति सम्मान का संदेश दिया गया। इस अवसर पर 79 फीट लंबी विशाल राखी तैयार कर गांव में शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें ग्रामीण, स्कूली बच्चे, समाजसेवी और भूतपूर्व सैनिक शामिल हुए। शोभायात्रा के बाद बहनें जंगल में जाकर पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। उनका कहना था कि पेड़ भी भाई की तरह होते हैं, जो बिना कुछ मांगे जीवनभर छांव, हवा और फल देते हैं।
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पेड़ों को बांधी गई राखी
- फोटो : अमर उजाला
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद अमृतादेवी विश्नोई, भारत माता और बिरसा मुंडा के चित्रों पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद भूतपूर्व सैनिकों सुरेश यादव, दुलारेराम खाड़े, देवशंकर चौधरी, सुदामा सूर्यवंशी, नरेश अनघोरे, हरीश राठौर और जगदीश गड़ेकर का ताप्ती जल से पैर पखारकर, आरती उतारकर और माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। इस मौके पर तिरंगा यात्रा भी निकाली गई, जिसमें “हर घर तिरंगा” अभियान का संदेश दिया गया और “जय जवान, जय किसान” के नारे गूंजे। स्कूली बच्चों ने अपनी बनाई राखियां जंगल के पेड़ों को बांधकर पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली।
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पेड़ों का राखी बांधी गई
- फोटो : अमर उजाला
आयोजक शिक्षक शैलेंद्र बिहारिया ने संचालन के दौरान भावपूर्ण पंक्तियां सुनाईं “मैं कोई सांप नहीं कि न पालो मुझको, मैं हवा दूंगा, मैं छांव दूंगा, बस एक बार कटने से बचा लो मुझको।” उन्होंने शहीद अमृतादेवी विश्नोई और 362 लोगों के बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा कि पेड़ों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति भी दी जा सकती है।
ममता गौहर और राधिका पटिया ने बताया कि पेड़ों को राखी बांधने की परंपरा अब सिमोरी की पहचान बन चुकी है। इस आयोजन ने संदेश दिया कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति, पर्यावरण और सैनिकों के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का भी प्रतीक है।
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