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Independence Day 2025: भोपाल रियासत के बोरास गांव में तिरंगा फहराने के लिए चार युवाओं ने दी थी शहादत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Thu, 14 Aug 2025 08:22 AM IST
सार

भोपाल के पास स्थित बोरास गांव में 14 जनवरी 1949 को भारतीय संघ में भोपाल रियासत के विलय के समर्थन में तिरंगा फहराने के दौरान तत्कालीन नवाब रियासत की पुलिस ने फायरिंग कर दी थी। इसमें चार युवा शहीद हो गए थे। यह घटना भोपाल के भारतीय संघ में विलीनीकरण आंदोलन का अहम हिस्सा बनी थी।

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Independence Day Special:: Four youths sacrificed their lives to hoist the tricolor in Boras village near Bhop
भोपाल स्थित विलीनीकरण शहीद स्मृति द्वार - फोटो : अमर उजाला
आजादी के 78 साल बाद भी 15 अगस्त का दिन हमें सिर्फ 1947 की आजादी ही नहीं, बल्कि उन संघर्षों की भी याद दिलाता है, जो इसके बाद भी जारी रहे। मध्य प्रदेश का बोरास गांव इस इतिहास का एक गौरवपूर्ण और भावनात्मक अध्याय है, जहां तिरंगा फहराने के लिए चार युवाओं ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। चारों शहीदों की उम्र 30 साल से कम थी। उनकी उम्र से उस समय युवाओं में देशभक्ति के जज्बे का अनुमान लगाया जा सकता है। इन शहीदों की याद में बोरास गांव में नर्मदा किनारे शहीद स्मारक बनाया गया है। 


भोपाल रियासत का विलय नहीं हुआ था
15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब भोपाल रियासत आजाद भारत का हिस्सा नहीं बनी थी। भोपाल रियासत में भोपाल, सीहोर, रायसेन का क्षेत्र आता था। यहां के नवाब हमीदुल्लाह खां इसे पाकिस्तान में मिलाने या एक अलग रियासत बनाए रखने के पक्ष में थे। इसके विरोध में भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में विलीनीकरण आंदोलन शुरू हुआ। 

 
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Independence Day Special:: Four youths sacrificed their lives to hoist the tricolor in Boras village near Bhop
रायसेन स्थित बोरास गांव में बना शहीद स्मारक - फोटो : अमर उजाला
14 जनवरी 1949 को नवाब ने भेजी थी पुलिस
रायसेन जिले की उदयपुरा तहसील के बोरास गांव में नर्मदा किनारे तिरंगा फहराने का कार्यक्रम तय हुआ। यह सिर्फ झंडा फहराने का नहीं, बल्कि भारत में भोपाल के विलय की घोषणा का प्रतीक बनने वाला था। 14 जनवरी 1949 को जैसे ही तिरंगा फहराने की तैयारी हुई, इसकी जानकारी नवाब हमीदुल्लाह खां को लग गई। उन्होंने तत्कालीन थानेदार जफर अली को भेजा, जहां नवाब शासन की पुलिस ने बिना बताए युवाओं पर फायरिंग शुरू कर दी।

 
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Independence Day Special:: Four youths sacrificed their lives to hoist the tricolor in Boras village near Bhop
शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम - फोटो : अमर उजाला
चार बलिदानों से जागा आंदोलन
इस गोलीबारी में चार युवाओं ने मौके पर ही प्राण त्याग दिए। इन शहीद होने वालों में 25 वर्ष के धनसिंह, 30 वर्ष के मंगल सिंह, 25 वर्ष के विशाल सिंह और 16 वर्षीय किशोर छोटेलाल शामिल थे। उनकी शहादत ने पूरे प्रदेश में आंदोलन को तेज कर दिया। यह घटना भोपाल के विलय के लिए निर्णायक मोड़ बनी। 

देशभर में मच गई हलचल
बोरास की घटना ने देशभर में हलचल मचा दी। देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गुस्से में केंद्र के सचिव वीपी मेनन को भोपाल भेजा और 1 जून 1949 को भोपाल का भारत में विलय सुनिश्चित कराया। इसके बाद यहां पहली बार तिरंगा लहराया गया।
 
Independence Day Special:: Four youths sacrificed their lives to hoist the tricolor in Boras village near Bhop
बोरास गांव स्थित शहीद स्मारक - फोटो : अमर उजाला
हर साल शहीदों की याद में संक्रांति पर लगता है मेला
आज भी बोरास गांव में स्वतंत्रता दिवस पर इन शहीदों की याद में तिरंगा फहराया जाता है। यह स्थान याद दिलाता है कि आजादी सिर्फ 15 अगस्त 1947 तक की कहानी नहीं थी, बल्कि इसे पाने के लिए देश के कई कोनों में लंबे समय तक संघर्ष चलता रहा। गांव के श्रीराम राजपूत ने बताया कि आज भी मकर संक्रांति पर बोरास गांव में लगने वाला मेला विशेष महत्व रखता है। यह मेला शहीदों के नाम से जाना जाता हैं।  यह मेला भोपाल के विलीनीकरण आंदोलन की वजह से अपनी अलग पहचान लिए हुए है।
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