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Sawan 2025: इस शिव मंदिर में लगा रहता है ताला, दर्शन के लिए मिलते हैं वर्ष में सिर्फ तीन अवसर, क्या है रहस्य
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Mon, 04 Aug 2025 07:57 AM IST
सार
यह स्थल चंदेल कालीन वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है, लेकिन अभी भी ऐतिहासिक शोध और संरक्षण की प्रतीक्षा में है। नेशनल हाईवे 44 के पास स्थित यह मंदिर 11वीं-12वीं सदी का माना जाता है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है।
बुंदेलखंड की धरा पुरातात्विक तथा ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों से समृद्ध है। अंचल का ऐसा कोई जिला नहीं होगा, जहां पुरातात्विक तथा ऐतिहासिक धरोहर विद्यमान न हो। यहां अनेक प्रसिद्ध धार्मिक तथा पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी है, लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी है जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। आज आपको ऐसे ही एक गुमनाम पर पुरातात्विक महत्व के शिव मंदिर के दर्शन करवा रहे हैं। इस स्थान का नाम है महादेव मंदिर, पाली सुजान।
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सावन के मौके पर दर्शन करते जाते श्रद्धालु।
- फोटो : अमर उजाला
सागर जिले से निकलने वाले उत्तर दक्षिण कॉरिडोर के नेशनल हाईवे 44 पर सागर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूर एक छोटा सा गांव पाली सुजान स्थित है। इसी गांव के पास स्थित एक छोटी पहाड़ी पर यह मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर तक जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा तथा निजी वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है।
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पाली सुजान महादेव मंदिर।
- फोटो : अमर उजाला
क्या खास है इस मंदिर में
ग्राम पाली ग्राम में विद्यमान पुरावशेषों में महत्वपूर्ण यह मंदिर है। यह मंदिर ऊंची जगती पर पूर्वाभिमुखी निर्मित है। मंदिर शिखर विहीन है। मंदिर में गर्भगृह, अंतराल भाग है, मंदिर की भीतरी छत सादी है। द्वारशाखा में नदी, देवी यमुना और गंगा का चित्रण है। इनमें मिथुन दृश्य, योद्धा शार्दूल पर सवार हैं और अलंकृत बेलबूटे निर्मित हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर उमा महेश्वर स्थानक मुद्रा में हैं। इनके दोनों ओर पार्श्वों में मालाधारी गंधर्व और नौग्रह तथा चंवरधारणी नायिकायें अंकित हैं। इनके ऊपर मालाधारी गंधर्व का फलक है। गर्भगृह की बाहरी भित्ति में शिववीर रूद्र अवतारों की शिलाफलक प्रतिमाएं स्थानक मुद्रा में हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के ललाट बिंब पर शिव पार्वती की प्रतिमा हैं, जिसके दोनों ओर गणेश और मातृकायें हैं। दोनों कोनों पर ब्रह्मा तथा विष्णु शिल्पांकित है। देहरी खण्ड में उदुम्बर और उसके दोनों ओर कलश लिए युगल तथा गज सिंह का फलक है। मंदिर के तीनों ओर स्तम्भ प्रकोष्ठ के मध्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। वहीं, गर्भगृह में शिवलिंग जलहरी सहित स्थापित है।
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सावन में खोला गया मंदिर।
- फोटो : अमर उजाला
मध्यकाल का है यह मंदिर
पाली सुजान गांव का यह शिव मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इकाई के संरक्षण में हैं, लेकिन मंदिर निर्माण या यह किस राजवंश से संबंधित है, किस काल खंड का है, यह पुरातत्वविद नहीं बता पाते हैं। मंदिर को बस 11वीं-12वीं सदी का बताया जाता है। मंदिर प्रांगण में अनेक दुर्लभ प्रतिमाएं भी संग्रहित हैं, जो यह बताती हैं कि कालांतर में यहां एक विशाल मंदिर रहा होगा जो कैसे नष्ट हुआ, यह कोई नहीं जानता। यहां प्राप्त प्रतिमाओं तथा वास्तुकला दृष्टि से मंदिर को चंदेल कालीन माना जा सकता है।
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पूजा के बाद फिर से लगा दिया गया ताला।
- फोटो : अमर उजाला
वर्ष में सिर्फ तीन अवसरों पर होते हैं दर्शन
पाली सुजान गांव स्थित ASI के संरक्षण में इस मंदिर के गर्भगृह में ताला लगा रहता है। मंदिर का गर्भ गृह शिवरात्रि तथा सावन सोमवार को खोला जाता है, जहां स्थानीय श्रद्धालु भगवान के दर्शन करते हैं।
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