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Ujjain Mahakal: 22 जुलाई से निकलेगी भगवान महाकाल की सवारी, इस बार श्रावण में पांच तो भादौ में दो सवारियां

अमर उजाला, न्यूज डेस्क, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Sun, 23 Jun 2024 06:23 PM IST
सार

इस वर्ष श्रावण मास की प्रथम सवारी 22 जुलाई को निकाली जाएगी। भादौ मास में भगवान महाकाल की अंतिम शाही सवारी 2 सितंबर को निकलेगी। श्रावण मास में पांच सवारी एवं भादौ मास में दो सवारी निकलेगी। 

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Ujjain Mahakal: Lord Mahakal's ride will start from July 22, this time there will be five riders in Shravan
बाबा महाकाल की सवारियां - फोटो : अमर उजाला
विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की सावन में निकाली जाने वाली सवारियों का सभी को इंतजार रहता है। इस वर्ष श्रावण मास की प्रथम सवारी 22 जुलाई को निकाली जाएगी। भादौ मास में भगवान महाकाल की अंतिम शाही सवारी 2 सितंबर को निकलेगी। श्रावण मास में पांच सवारी एवं भादौ मास में दो सवारी निकलेगी। 


श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में प्रथम सवारी सोमवार 22 जुलाई, द्वितीय सवारी सोमवार 29 जुलाई, तृतीय सवारी सोमवार 5 अगस्त, चतुर्थ सवारी सोमवार 12 अगस्त, पंचम सवारी सोमवार 19 अगस्त को श्रावण मास में निकाली जाएगी। इसी तरह भादौ मास में षष्टम सवारी सोमवार 26 अगस्त तथा शाही सवारी सोमवार 2 सितंबर को निकाली जाएगी। भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी श्री महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर अपने निर्धारित समय पर प्रारम्भ होकर महाकाल लोक, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां सवारी का पूजन-अर्चन होने के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर में वापस आएगी। शाही सवारी 2 सितम्बर को उपरोक्त मार्ग के अलावा टंकी चौराहा से मिर्जा नईमबेग, तेलीवाड़ा चौराहा, कण्ठाल, सतीगेट, सराफा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंचेगी।

श्रावण-भादौ मास में भस्म आरती के समय में परिवर्तन रहेगा
श्रावण-भादौ मास में प्रतिदिन भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्म आरती 22 जुलाई से 2 सितम्बर तक प्रात:कालीन पट खुलने का समय प्रात: 3 बजे होगा। प्रत्येक सोमवार को भस्म आरती का समय प्रात: 2.30 बजे होगा। भस्म आरती प्रतिदिन प्रात: 3 से 5 बजे तक और प्रत्येक सोमवार को 2.30 से 4.30 बजे तक होगी। इसी तरह 3 सितम्बर से पट खुलने का समय पूर्ववत होगा। श्रावण-भादौ मास में भस्म आरती में श्रद्धालुओं की संख्या कम की जाकर कार्तिकेय मण्डपम की अंतिम तीन पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिए चलित भस्म आरती दर्शन की व्यवस्था रहेगी।

 
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यह रहेगी सामान्य दर्शन व्यवस्था
सामान्य दर्शन व्यवस्था श्रावण-भादौ मास में त्रिवेणी संग्रहालय के समीप से नन्दी द्वार, श्री महाकाल महालोक, मानसरोवर भवन, फेसिलिटी सेन्टर-1, टनल मन्दिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन दर्शनार्थी करेंगे। साथ ही भारत माता मन्दिर की ओर से प्रशासनिक कार्यालय के संमुख से आने वाले श्रद्धालु शंख द्वार से मानसरोवर भवन में प्रवेश कर फेसिलिटी सेन्टर-1 एवं टनल मन्दिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से दर्शन उपरांत (निर्माल्य द्वार) अथवा नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर के लिए प्रस्थान करेंगे।

यह रहेगी शीघ्र दर्शन व्यवस्था
शीघ्र दर्शन व्यवस्था (250 रु.) द्वार नम्बर-4 एवं 5 के रास्ते विश्रामधाम रेम्प, सभा मण्डपम होते हुए गणेश मण्डपम से भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन करने के उपरांत निर्गम द्वार अथवा नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।

अतिविशिष्ट श्रद्धालुओं की यह रहेगी दर्शन व्यवस्था
अतिविशिष्ट श्रद्धालु निर्माल्य द्वार से श्री महाकालेश्वर मन्दिर में प्रवेश कर सूर्यमुखी द्वार से सभा मण्डपम होते हुए नन्दी हॉल व गणेश मण्डपम से भगवान महाकाल के दर्शन कर इसी मार्ग से पुन: बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।

सवारी के विभिन्न विषयों पर हुई बैठक
कलेक्टर एवं श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक संकुल भवन के द्वितीय तल के सभाकक्ष में बैठक हुई। बैठक में सांसद अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद सन्त बालयोगी उमेशनाथ महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव तथा मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य प्रदीप गुरु, राम गुरु एवं राजेन्द्र शर्मा तथा पं. आशीष पुजारी आदि ने श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी के सम्बन्ध में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव जनहित में निर्णय लेने के लिए दिए। 

 
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महाकाल की सवारी को लेकर बैठक आयोजित की गई थी। - फोटो : अमर उजाला
फिर आया सुझाव- बढ़ाई जाए बाबा महाकाल की पालकी की ऊंचाई
बैठक में सांसद अनिल फिरोजिया ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि ट्रैक्टर को सजा धजाकर ट्रैक्टर में सवारी निकाली जाए, ताकि ऊंचाई होने से सवारी मार्ग के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं को आसानी से भगवान महाकाल के दर्शन हो सकें। इसी तरह उन्होंने कोविड के दौरान सवारी मार्ग के रूट को परिवर्तित किया था, उस पर भी विचार करने की आवश्यकता है। श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की निकलने वाली सवारी में भीड़ नियंत्रण को व्यवस्थित करने का सुझाव दिया। राज्यसभा सांसद सन्त बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहा कि रामघाट पर भगवान महाकाल की आरती स्थल पर भीड़ को नियंत्रण करने के लिए पास देने की व्यवस्था की जाना चाहिए। पास जनप्रतिनिधियों, सन्त-महात्मा, पुजारी और अत्यन्त महत्वपूर्ण नागरिकों को इशू करना चाहिये। 

विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा कि किसी भी व्यवस्था को बदलने के लिए आमजन एवं प्रबुद्धजनों से सुझाव लेकर उचित निर्णय लिया जाना चाहिए। सबकी आम सहमति से किसी भी प्रकार की व्यवस्था को सुचारु रूप से कराया जा सकता है। भजन मंडली को निरन्तर आगे बढ़ाते रहें। उन्हें रुकने न दें। भीड़ को नियंत्रण करना अत्यन्त आवश्यक है। धक्का-मुक्की सवारी मार्ग में पालकी के आसपास न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए। महापौर मुकेश टटवाल एवं कलावती यादव ने भी बैठक में सुझाव देते हुए कहा कि भजन मण्डलियों को परमिशन देते वक्त उन्हें आवश्यक उचित दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए। बैलगाड़ी पर भगवान महाकाल की पालकी रखी जाए, ताकि आम श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन ठीक ढंग से हो सकें। 

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य प्रदीप गुरु ने सुझाव देते हुए कहा कि सवारियों के दौरान व्यवस्थाओं के व्यवस्थित रूप से कराए जाने की आवश्यकता है। हम सबको जनहित में निर्णय लेना चाहिए। पालकी को व्यवस्थित ढंग से निकलवाया जाए। पालकी में बदलाव हो ताकि पालकी ठीक ढंग से चल सके। इसका भी निर्णय लिया जाना चाहिए। सवारी मार्ग में पालकी की सुरक्षा बेहतर ढंग से और निर्विघ्न रूप से आगे बढ़ती रहे और धक्का-मुक्की न हो, इसका भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भगवान महाकाल को राजशाही प्रोटोकॉल मिलना चाहिये। सदस्य राजेन्द्र शर्मा ने सुझाव देते हुए कहा कि पालकी के आसपास भीड़ को नियंत्रित करना अनिवार्य है। सदस्य राम गुरु, पं.आशीष पुजारी ने भी सुझाव दिए। 
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