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Naag Panchami 2019: जब नागलोक का होने वाला था नाश तो नागों के राजा ने अपनी बहन की करा दी शादी

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रशांत राय Updated Sat, 03 Aug 2019 02:55 PM IST
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Naag Panchami 2019 how to snake birth on earth and history
- फोटो : social media
हिन्दू धर्म में नागों की खास पूजा की जाती है। और इन्हें देवताओं के रूप में पूजा भी जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक सावन के पावन माह की शुक्ल पंचमी को नागपंचमी मनाया जाता है। इस बार यह उत्सव 5 अगस्त को मनाया जाएगा। इस धरती पर नागों की उत्पत्ति कैसे हुई इसके बारे में हमारे ग्रंथों में बताया गया है। इनमें वासुकि, शेषनाग,तक्षक और कालिया जैसे नाग हैं। नागों का जन्म ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रु और विनता से हुआ था।


इस नागपंचमी पर प्रसिद्ध त्र्यम्बकेश्वर मंदिर, उज्जैन में कराएं कालसर्प दोष शान्ति पूजा। (विज्ञापन)
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शेषनाग- शेषनाग का दूसरा नाम अनन्त भी है। शेषनाग ने अपनी दूसरी माता विनता के साथ हुए छल के कारण अपनी माता को छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या की थी। तब तपस्या कारण ब्रह्राजी ने उन्हें वरदान दिया था। तभी से शेषनाग पृथ्वी को अपने फन पर संभाले हुए है। धर्म ग्रंथो में लक्ष्मण और बलराम को शेषनाग के ही अवतार माना गया है। शेषनाग भगवान विष्णु के सेवक रुप क्षीर सागर में रहते हैं।

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वासुकि नाग- नाग वासुकि को समस्त नागों का राजा माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्रमंथन के समय नागराज वासुकि को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। त्रिपुरदाह यानि युद्ध में भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षसों के तीन पुरों को नष्ट कर दिया था। युद्ध के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे। नाग वासुकि को जब पता चला कि नागकुल का नाश होनेवाला है और उसकी रक्षा इसके भगिनीपुत्र द्वारा ही होगी तब इसने अपनी बहन जरत्कारु को ब्याह दी। इस तरह से उन्होनें सापों की रक्षा की, नहीं तो समस्त नाग उसी समय नष्ट हो गये होते।

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तक्षक नाग- तक्षक नाग के बारे में महाभारत में  एक कथा है। उसके अनुसार श्रृंगी ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। तब आस्तीक मुनि ने तक्षक के प्राणों की रक्षा की थी। तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है।

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ककोंटक नाग- कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार,अपनी माता के शाप से बचने के लिए सारे नाग अलग-अलग जगहो में यज्ञ करने चले गए। कर्कोटक नाग ने ब्रह्राजी के कहने पर महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित शिवलिंग की पूजा की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा।

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