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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में इन नियमों का अवश्य करें पालन, पितरों की बरसेगी कृपा

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Wed, 10 Sep 2025 03:09 PM IST
सार

Pitru Paksha 2025: अनेक संस्कारों की तरह श्राद्ध कर्म के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन अत्यंत आवश्यक बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का पालन जरूरी है।

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Pitru Paksha 2025 rules and shradh karne ke niyam in hindi
Pitru Paksha 2025 - फोटो : adobe stock

पं. ज्ञानदेव आचार्य

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Pitru Paksha 2025: 
अनेक संस्कारों की तरह श्राद्ध कर्म के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन अत्यंत आवश्यक बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का पालन जरूरी है।

श्राद्ध कर्म में शुद्धता, नियम और श्रद्धा का विशेष महत्व है। इनका पालन करने से पितृगण प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर अपने लोक चले जाते हैं। इसलिए श्राद्धकर्ता को कुछ नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।

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Pitru Paksha 2025 - फोटो : adobe stock

पवित्रता और श्रद्धा का ध्यान
शास्त्र कहते हैं कि पितर श्राद्ध कर्म से ही संतृप्त होते हैं। वे अन्न और जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन इस कार्य में पवित्रता और श्रद्धा का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

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Pitru Paksha 2025 - फोटो : adobe stock

भूलों के लिए क्षमा 
सूर्योदय के समय स्नान करके एक लोटा जल पीपल पर चढ़ाएं, एक दीपक श्रद्धांजलि करके प्रार्थनापूर्वक नमस्कार कर पितरों से अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगें।

कैसा हो आसन
रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं। चिता पर बिछाए हुए, रास्ते में पड़े, पितृ-तर्पण एवं यज्ञ में उपयोग किए बिछौने, गंदगी और आसन में से निकाले हुए, पिडों के नीचे रखे तथा अपवित्र कुश निषिद्ध माने गए हैं। इसका आप विशेष रूप से ध्यान रखें।

Pitru Paksha 2025 rules and shradh karne ke niyam in hindi
Pitru Paksha 2025 - फोटो : amar ujala

योग्य ब्राह्मण
श्राद्ध में पतित, नास्तिक, मूर्ख, धूर्त, काले दांत वाले, गुरु द्वेषी, शुल्क से पढ़ाने वाले, जुआरी, अंध, कुश्ती सिखाने वाले आदि ब्राह्मणों का त्याग करना चाहिए। योग्य ब्राह्मणों को ही आमंत्रित करना चाहिए, तभी ब्राह्मण भोज का उचित फल प्राप्त होता है।

तिल और कुश का उपयोग
श्राद्ध कर्म में तिल और कुश का उपयोग अतिआवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि तिल और कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु ने की है।

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Pitru Paksha 2025 - फोटो : amarujala

पिंड को समझें 
जौ या चावल के आटे को गूंथ कर एक गोलाकृति बनाई जाती है। इसी को पिंड कहते हैं, जिसे मृतक की आत्मा को अर्पित किया जाता है।

तर्पण करते समय
माना जाता है कि अंगूठे के माध्यम से जलांजलि सीधे पितरों तक पहुंचती है, इसलिए तर्पण कर्म करते समय अंगूठे से ही पिंड पर जलांजलि दी जानी चाहिए।

सात पीढ़ियों को मुक्ति 
मान्यता और विश्वास है कि गया में श्राद्ध पिंडदान करने से व्यक्ति की सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिल जाती है।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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